ग्वालियर मध्य प्रदेश: ग्वालियर में दीनदयाल नगर पुष्कर कॉलोनी बलराम नगर जैसे क्षेत्र में लगातार डेंगू और चिकनगुनिया का प्रकोप बढ़ता रहा। और स्वास्थ्य विभाग लार्वा सर्वे के झूठे आंकड़े प्रेस रिलीज में जारी कर वाहिल लूटता रहा। यदि वास्तव में ज़मीनी स्तर पर समय रहते सही तरीके से लार्वा। का सर्वे लार्व का निस्तारण किया जाता तो न?तो डेंगू और न ही चिकनी।गुनिया इतने भयावह और विकराल रूप में फैलता। मध्यप्रदेश शासन के स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस सर्वे में की गई लापरवाही की पोल मध्यप्रदेश शासन कीट वैज्ञानीक ने ही खोल दी। जिस तरह की टिप्पणी कीट वैज्ञानीक ने की है वह बहुत गंभीर है और वह साह बताती है। किस तरीके से स्वास्थ्य विभाग मलेरिया विभाग के कर्मचारी केवल कागजों पर लीपा-पोती करते रहे लार्वा फैलता रहा।
चिकनगुनिया अपना विकराल रूप ले चुका था। ग्वालियर के मलेरिया अधिकारी और स्वास्थ्य विभाग की टीम फेल। हो चुकी थी उस समय भोपाल से कीट वैज्ञानिक शैलेंद्र। सिंह को बुलाया गया। जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में स्वयं सर्वे किया और कई जगह से लार्वा एकत्र भी किया। अब सवाल यह उठता है कि उन्हीं क्षेत्रों में सर्वे करके जब स्वास्थ्य विभाग की टीम लार्वा।को नष्ट कर चुकी थी तो फिर भोपाल से आए वैज्ञानिक को लार्वा कैसे मिल गया। यह जानकारी भी प्राप्त हुई है। कृषि वैज्ञानिक शैलेंद्र सिंह ने निरीक्षण के दौरान ही उनके साथ में गई स्वास्थ्य विभाग की टीम के लोगों को कह। दिया एंटी लार्वा सर्वे ठीक से नहीं किया गया है। यही कारण है कि कॉलोनी में जगह जगह लार्वा पनप रहा है। यही लार्वा। बीमारी का कारण भी है। कृषि वैज्ञानिक ने स्वयं भी लार्वा के सैंपल एकत्र किए हैं, जिन्हें लेकर वह भोपाल की लैब में पहुँचने के बाद यह जानने का प्रयास करेंगे कि लार्वा का कौन सा वेरिएंट है जो इतना घातक है और ग्वालियर के इन क्षेत्रों में फैल रहा है।
आपको बता दें कि इस साल चिकनगुनिया। ने अपने पिछले रिकॉर्ड तोड़ दिए और चिकनगुनिया के मरीजों में जिस तरह के लक्षण दिखाई दिए। वह भी चौंकाने वाले रहे। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार अब तक! चिकनगुनिया के चार सौ पांच मरीज मिल चुके हैं और एक मरीज की मौत भी हो चुकी है। गजरा राजा मैडिकल कॉलेज में गुरुवार को 14 मरीजों की जांच की गई थी। जिसमें सात मरीजों की पुष्टि हुई है। इसका मतलब साफ है कि अभी भी चिकन गुनिया फैलाने वाला लार्वा सक्रिय है। इसी तरह यदि हम डेंगू की बात करें तो सितंबर से अभी तक आखिरी तिमाही में 1300। ग्यारह मरीज मिल चुके हैं और अभी तक डेंगू से पांच मरीजों की मौत हो चुकी है। डेंगू से सम्बंधित सबसे भयावह आंकड़े यह रहे डेंगू के इस तिमाही में आए कुल मरीजों में से। 600 तिरासी की उम्र सत्रह साल से कम है।
यहां हर साल डेंगू भयावह स्थिति में आता है। इसके बावजूद प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग पहले से डेंगू से निपटने की कोई तैयारी नहीं करता है यही कारण है कि जब डेंगू विकराल रूप ले लेता है।तब स्वास्थ्य विभाग साफ निकल जाने के बाद लाठी पीटता नजर आता है। यहां लापरवाही कि इन्तहा यह रही। के पूरे शहर मैं। डेंगू और चिकन। गुनिया का कहर न होते हुए केवल कुछ क्षेत्रों तक सीमित था और सीमित क्षेत्रों में भी स्वास्थ्य विभाग पर्याप्त संसाधन जुटाकर लार्वा नष्ट कर डेंगू और चिकनगुनिया को काबू करने में पूरी तरह फेल साबित हुआ। जिस तरह से चिकनगुनिया और डेंगू फैला है वह साह बताता है अपनी पिछली गलतियों से स्वास्थ्य विभाग कोई सबक नहीं लेता।