Saturday, November 9, 2024
25.1 C
Delhi
Saturday, November 9, 2024
HomeSportsगरीबी और दिव्यांगता को हरा रुबीना ने जीता पैरालिंपिक में मेडल,  मुख्यमंत्री...

गरीबी और दिव्यांगता को हरा रुबीना ने जीता पैरालिंपिक में मेडल,  मुख्यमंत्री ने दी रुबीना को बधाई

भोपाल मध्य प्रदेश: पेरिस में चल रहे पैरालंपिक खेल में भारत के झोली में एक और मेडल आ गया जब रुबीना फ्रांसिस ने 10 m एयर पिस्टल में एसएचओ 1। कैटेगरी में ब्रॉन्ज मेडल जीता। इस मेडल की खुशी पूरे देश में तो रही ही लेकिन सबसे ज्यादा गौरवान्वित हुआ मध्यप्रदेश का जबलपुर क्योंकि जबलपुर की बेटी रुबीना फ्रांसिस ने यह ब्रॉन्ज मेडल जीतकर पूरे मध्यप्रदेश का नाम देश में गौरवान्वित कर दिया। यहाँ रूबीना ने न केवल ब्रॉन्ज मेडल जीता बल्कि एक इतिहास भी रच दिया क्योंकि पैरा ओलंपिक के इतिहास में मेडल जीतने वाली रूबीना फ्रांसिस मध्यप्रदेश। की पहली खिलाड़ी बन गई हैं रुबीना ने मध्यप्रदेश के भोपाल शूटिंग अकादमी में ट्रेनिंग ली थी। 

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने रुबीना फ्रांसिस की इस उपलब्धि पर खुशी व्यक्त की। उन्होंने एक्स पर लिखा, “पेरिस पैरालंपिक 2024 में महिला 10 मीटर एयर पिस्टल (SH1) स्पर्धा में भारतीय निशानेबाज और जबलपुर की बेटी रुबीना फ्रांसिस को कांस्य पदक जीतने पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं। आपकी यह जीत देश और प्रदेश के युवाओं, विशेषकर बेटियों के लिए संघर्ष से सफलता का प्रेरणास्त्रोत बनेगी। बाबा महाकाल से प्रार्थना है कि आपकी इस जीत का क्रम लगातार जारी रहे और आप इसी तरह देश और मध्यप्रदेश को गर्वित करती रहें।

आपको बता दें कि रुबीना फ्रांसिस भारत सरकार के आयकर विभाग में नौकरी करती है।अभी हाल ही में उनको यह नौकरी मिली थी और पंद्रह जुलाई को ही उन्होंने मुंबई में ज्वाइन किया था। मूलत जबलपुर में रहने वाली और जबलपुर में ही पैदा होने वाली रूबीना के पिता साइमन फ्रांसिस एक बहुत ही गरीब परिवार से आते हैं। वह अभी भी जबलपुर में एक मोटर मैकेनिक हैं। रूबीना के बारे में वह बताते हैं कि बचपन से ही रूबीना दिव्यांग थी उसके दोनों पैर खराब थे। साइमन ने अपनी बेटी के इलाज के लिए तमाम प्रयास किए। वह कई अस्पतालों में अपनी बेटी को लेकर भटके लेकिन उनकी बेटी के पैर सही नहीं हो सके। रुबिना जबलपुर के चर्चित क्रिश्चियन स्कूल सेंट अलॉइसिस मैं अध्ययनरत रही। जब रूबीना 7वीं क्लास में पढ़ रही थी तभी से उनको शूटिंग मैं रुचि बढ़ गई। उस समय ओलंपिक खिलाड़ी गगन नारंग के नेतृत्व में उनके स्कूल में गन फ़र ग्लोरी अकादमी की पूरी टीम आई थी और उस समय रूबीना ने भी राइफल् शूटिंग में भाग्य आजमाया था जिसमें उन्हें 50 में से 45 अंक मिले थे और उनके इस हुनर को देखते हुए गगन नारंग ने उन्हें तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराई थीं। इसके बाद रूबीना 2017 में भोपाल की शूटिंग अकादमी में आ गई। और फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। दोनों पैर न होने के बावजूद रूबीना ने अपनी दिव्यांगता को अपने हौसलों पर कभी हावी नहीं होने दिया उनके इस हौसले के पीछे उनकी मां सुनीता का भी बड़ा योगदान रहा।  वर्तमान में ही रुबीना सेंट अलाॅयसिस कॉलेज से अपना एमकॉम कर रही हैं। 

रुबीना ने पैरालंपिक मैं ब्रॉन्ज मेडल जीतकर जबलपुर और मध्य प्रदेश का मान बढ़ाया है। साथ ही यहां रुबिना फ्रांसिस् की वह जीवनगाथा है जो हर एक आने वाले खिलाड़ी को यह प्रेरणा देगी। कि अपनी कमजोरियों को अपने ऊपर हावी नहीं होने देना चाहिए लगातार प्रयास रखना चाहिए। अपने हौसलों को जिंदा रखना चाहिए।  इस वीडियो में देखिए ब्रॉन्ज मेडल जीतने के बाद रूबीना कितनी कॉन्फिडेंट नजर आ रही हैं और युवाओं को क्या सक्सेस मंत्र दे रही हैं उन्हीं की जुबानी सुनिए..

theinglespost
theinglespost
Our vision is to spread knowledge for the betterment of society. Its a non profit portal to aware people by sharing true information on environment, cyber crime, health, education, technology and each small thing that can bring a big difference.
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular