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जिस चुनाव आयुक्त के कसीदे कसते थे मीडिया हाउस, एक्जिट पोल फर्जी बता उसी ने खोल दी इनकी पोल!

नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने जब भी चुनाव की घोषणा के समय हुई प्रेस वार्ता में बड़ी बड़ी बातें और दावे किए मेन। स्ट्री मीडिया उसकी वाहवाही करते नजर आया। बात यदि मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार की करें उनका कहा गया हर शब्द तो मीडिया को पत्थर की लकीर लगा। ज्यादातर ने उनके कुत्तरकों पर किसी तरह की खबर बनाने से हमेशा गुरेज किया। लेकिन अब एग्जिट पोल बार बार फेल। होने पर मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने ऐसे सभी मीडिया हाउस को एक ऐसी नसीहत दे डाली जो अब इन मीडिया हाउस की खुलकर किरकिरी कर रही है। पहले लोकसभा, फिर विधानसभा चुनावों में एग्जिट पोल्स के किरकिरी होने के बाद चुनाव आयोग ने भी इसे आड़े हाथों लिया है। महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनावों के तारीखों का ऐलान करते हुए देश के मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने न केवल एग्जिट पोल्स पर सवाल उठाए बल्कि टीवी चैनलों को भी खुलकर नसीहत दी। उन्होंने मतगणना और फिर परिणाम प्रकाशित करने की प्रक्रिया समझाते हुए कहा कि किसी भी सूरत में सुबह 8.50 बजे से पहले कोई रुझान आने का सवाल ही नहीं उठता, फिर 8 बजने कुछ मिनटों में ही रुझान कैसे दिखाए जाने लगते हैं? राजीव कुमार ने इन रुझानों को बिल्कुल फर्जी बताते हुए कहा है कि एग्जिट पोल्स और मीडिया संस्थानों को अपनी जिम्मेदारियां समझकर आत्मचिंतन करना होगा। ऐसे सभी मीडिया हाउस ध्यान दें राजीव। कुमार ने आपके एग्जिट पोज के रुझान को फर्जी कहां है। मतलब आप लोग अपनी टीआरपी बढ़ाने के खेल में फर्जी एग्जिट पोल का खेल खेल रहे हैं। और अब मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने आपके एक्जिट पोल की पोल खोलकर रख दी है।

राजीव कुमार इतने पर ही नहीं रुके उन्होंने इसके आगे ऐसे मीडिया हाउस के फ़र्जी एक्जिट पोल की कलई खोलते हुए कहा, ‘एग्जिट पोल को हम गवर्न नहीं करते। लेकिन आत्मचिंतन की जरूरत है जरूर है कि सर्वे का सैंपल साइज क्या था, सर्वे कहां हुआ, उसका रिजल्ट कैसे आया, अगर रिजल्ट मैच नहीं किया तो मेरा कोई उत्तरदायित्व है या नहीं? ये सब देखने की जरूरत है। एनबीएस जैसी कुछ संस्थाएं हैं जो एग्जिट पोल्स को गवर्न करती हैं। मेरे हिसाब से अब वक्त आ गया है कि ये संस्थाएं आत्मचिंतन करें।’ मुख्य चुनाव आयुक्त ने संवाददाताओं से कहा कि जिस दिन पोलिंग खत्म हुई, उससे करीब-करीब तीसरे दिन मतगणना होती है। इधर, पोलिंग खत्म होने के दिन शाम छह बजे से बताया जाने लगता है कि ये होने वाला है। लोगों को भी लगता है कि यही होने वाला है। लेकिन इसका कोई वैज्ञानिक आधार सार्वजनिक नहीं है। जब काउंटिंग का समय शुरू होता है तब सुबह 8 बजके 5 मिनट या 10 मिनट से रिजल्ट आने शुरू हो जाते हैं। यह बिल्कुल फालतू है। 

यहां मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने जो कुछ कहा उसे उन सभी मेन स्ट्रीम मीडिया हाउस और आजकल व्यूवर्स बढ़ाने की दौड़ में लगे यू ट्यूब चैनल्स को बहुत गंभीरता से लेना चाहिए क्योंकि राजीव कुमार का यह सवाल आपकी साख पर बट्टा लगाने के लिए पर्याप्त है। राजीव कुमार का जो बयान है उससे साफ नज़र आता है कि चुनाव आयोग के मतगणना शुरू होने के रुझान आने से पहले ही मतलब चुनाव आयोग की जानकारी से पहले ही चैनल को पता चल जाता है और वह अपने रुझान बताने लग जाते हैं। जबकि टीवी चैनल पर दिखाए जा रहे इन। रुझानों का चुनाव आयोग के वास्तविक आंकड़ों से कोई वास्ता नहीं होता। यह केवल टीआरपी बटोरने की टीवी चैनलों की आपसी होड़ है जिसमें जल्दबाजी के चक्कर में वास्तविक आंकड़ों से पहले ही अपने केबिन में बैठकर बनाए गए आंकड़े परोस दिए जाते हैं। यह सारी बातें मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव। कुमार के बयान से स्पष्ट हो रही है। उनके इस नसीहत को गंभीरता से लेना चाहिए और आने वाले समय में या तो एग्जिट? पोल पर विराम लगा देना चाहिए। या फिर एग्जिट पोल को ज्यादा एग्ज़ैक्ट और वास्तविक बनाने के लिए फील्ड पर ज़मीनी स्तर पर अपनी मेहनत को और बेहतर प्रयास करते हुए अमल में लाना चाहिए। 

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