Wednesday, December 25, 2024
17.1 C
Delhi
Wednesday, December 25, 2024
HomeBig Newsपंजीयन दफ्तर में कलेक्टर की जांच से क्या आएगी आंच? भोपाल में...

पंजीयन दफ्तर में कलेक्टर की जांच से क्या आएगी आंच? भोपाल में बैठे आका बोलें जमके डालो डांका!

ग्वालियर मध्य प्रदेश: ग्वालियर का जिला पंजीयक कार्यालय हमेशा से विवादों में रहता है। यहाँ खुलकर भ्रष्टाचार होता है। सरकारी जमीनों के खरीफ फरोख्त की लीपा पोती की जाती है दलालों और सर्विस प्रोवाइडर के आड़ में यहां के कारिंदे वह सब कुछ करते हैं। जिसे आप दिनदहाड़े लूट कह सकते हैं। शहर में कहीं भी सरकारी जमीन को औने 3/4 दाम में आपको खरीदना हो। तो बस इस जिला पंजीयक विभाग में आपकी अच्छी खासी सेटिंग होनी चाहिए। यदि यहां आपका मामला सेट है तो किसी भी तरह के जमीन के खेल खेल से बड़ा मुनाफा कमा सकते हैं। जिला पंजीयक विभाग में उप पंजीयकों द्वारा चल रही इस गड़बड़ झाले। की अति जब ग्वालियर कलेक्टर रुचिका चौहान तक पहुंची तो उन्होंने इस मामले में संज्ञान लिया और अचानक ही वह पंजीयन कार्यालय में पहुंच गई।

जिला कलक्टर रुचिका चौहान के जिला पंजीयक कार्यालय में पहुंचते ही वहाँ बैठे उप।पंजीयक और तमाम अधिकारियों के बीच में हड़कंप मच गया। वहाँ दिन भर डेरा जमाए बैठे रहने वाले तमाम सर्विस प्रोवाइडर और दलाल वहां से भाग निकले। मतलब वहां के हालात ऐसे थे जैसे कोतवाल को देखकर चोर भागते हैं। तमाम सर्विस प्रोवाइड डर अपने दफ्तरों पर ताले डालकर आम भीड़ की तरह तमाशबीन बनकर दूर खड़े हो गए। कलेक्टर रुचिका चौहान के सख्त तेवर देखकर वरिष्ठ जिला पंजीयक दिनेश गौतम जिला पंजीयक अशोक शर्मा और तमाम उप पंजीयक की घबराहट का आलम यह था कि उनकी आवाज भी कलेक्टर साहब के सामने नहीं निकल रही थी। कलेक्टर रुचिका चौहान ने सभी सर्विस प्रोवाइडर की सूची मांग ली और गड़बड़ करने वालों को कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश भी दिए। उन्होंने वहां तमाम अव्यवस्थाएं देखीं और सभी उप। पंजीयकों को सख्त निर्देश दिए कि शासन के नियमों के अनुसार ही काम करें अपनी मनमर्जी से नहीं। रजिस्टियों में बड़ा खेल करने वाले उपमंझीयक कपिल व्यास के कक्ष में बैठकर कलेक्टर रुचिका चौहान ने रजिस्ट्री कराने की पूरी प्रक्रिया अपने सामने देखी।

कलेक्टर रुचिका चौहान ने सख्त लहजे में वहां उपस्थित सभी अधिकारियों को निर्देशित किया। उन्होंने साफ कहा की सर्विस प्रोवाइडर द्वारा जो दस्तावेज अपलोड किए जाते हैं उनकी ठीक से जांच हो और जो भी स्टांप ड्यूटी की चोरी करें उसका लाइसेंस तत्काल निरस्त करें। ऐसे तमाम सख्त निर्देश तो कलेक्टर रुचिका चौहान ने दिए हैं लेकिन सालों से अपने मनमर्जी से काम करने वाले इस जिला पंजीयन कार्यालय में इन निर्देशों का कितना असर होगा इसके लिए हमें इतिहास की तमाम ऐसी ही घटनाओं को समझना होगा। तत्कालीन कलेक्टर अनुराग चौधरी कि संज्ञान में भी जब यह मामला आया था ही जिला पंजीयक। कार्यालय में परिस्थितियों में बड़ी गड़बड़ी होती है। यहाँ सरकारी जमीन भी खुर्द बुर्द करने में यहां के उप पंजीयक गुरेज नहीं करते। उस समय तत्कालीन कलेक्टर अनुराग चौधरी ने भी आदेश दिया था कि यदि कोई पंजीयक सरकारी जमीन को खुर्द बुर्द कर रजिस्ट्री करते पाया जाता है तो उसके विरुद्ध सख्त कार्रवाई होगी।एफआईआर तक की जाएगी। उस समय इस आदेश के विरोध में अपनी मनमर्जी से इस विभाग को चलाने वाले यहां के जिम्मेदार पंजीयक उप पंजीयक भोपाल पहुंच गए थे। और वहाँ से वे तत्कालीन कलेक्टर अनुराग चौधरी के उस आदेश का तोड़ लेकर आ गए थे। भोपाल में बैठे इस विभाग के वरिष्ठ जिम्मेदार द्वारा प्रदेश स्तर पर यह आदेश निकाल दिया गया था कि कलेक्टर को इस तरह की कार्रवाई करने का अधिकार नहीं है। 

भ्रष्टाचार का तालाब बने जिला पंजीयक कार्यालय का पानी कहां कहां तक कौन कौन पीता है इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि यहाँ खुलेआम रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार का खेल चलता है। सूत्रों की मानें तो यहां पर हर सामान्य रजिस्ट्री पर भी ऊपर से दी जाने वाली राशि तय है जिसे उप पंजीयक स्वयं न लेकर दलालों के माध्यम से लेते हैं। कोई सरकारी जमीन खुर्द बुर्द करनी हो या कोई बेशकीमती जमीन हो। तो उसमें ऊपर से ली जाने वाली राशि के लिए बड़ी डील की जाती है। एक आम नागरिक जो जीडीए का प्लॉट भी लेता है। तो उसे जीडीए द्वारा घरेलू में आवंटित प्लॉट की रजिस्ट्री के लिए भी व्यवसायिक स्टांप ड्यूटी मांग कर चक्कर कटाकर परेशान किया जाता है। दिनदहाड़े लूट की यह दुकान और अपने मन मर्जी से अपने नियम तय करने की व्यवस्था सालों से यहां चल रही है। पत्रकार ने तो यहां एक उप पंजीयक। को खुलेआम दिनदहाड़े अपने कक्ष में रिश्वत के पैसे लेते। कैमरे में कैद भी कर लिया था उस वीडियो को जब तत्कालीन वरिष्ठ पंजीयक दोहरे के माध्यम से विभाग में उच्च स्तर पर शिकायत की गई थी तो दोहरे द्वारा केवल उप पंजीयक  को नोटिस देने की खानापूर्ति की गई। अभी हाल ही में ग्वालियर के प्रतिष्ठित कमला। राजा कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य को तीन साल पहले एक ऐसे ही वीडियो के आधार पर निलंबित किया गया जिसमें वह किसी से पैसा ले रहे थे। जबकि उसी तरह के वीडियो के आधार पर जिला पंजीयक। कार्यालय ने अपने बाजीगर उपपंजीयक को निर्दोष साबित कर दिया। इन सब उदाहरणों से आप समझ सकते हैं कि जिला पंजीयक कार्यालय मैं भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी का खेल कितना बड़ा है?यहां के तार कहां कहां तक जुड़े हुए हैं। यहां रजिस्ट्री कराने वाले लोगों से यहां बैठे द*** और सर्विस प्रोवाइडर ही डील करते हैं। इस बारे में उप पंजीयक दूध के धुले बनकर कहते हैं कि हमें तो पता ही नहीं चलता कि कौन पैसा लेता है। और ऊपर दूसरी मंजिल पर बैठे जिला पंजीयक अशोक शर्मा और वरिष्ठ जिला पंजीयक दिनेश गौतम तो इतने भोले हैं। के नीचे क्या कुछ चल रहा है उन्हें कभी पता ही नहीं चलता। जबकि कलेक्टर रुचिका चौहान उन्हें वहां पहुंचते ही तमाम खामियां देखीं, उनके जिला पंजीयक कार्यालय पहुंचते ही वहां मची भगदड और वहाँ के इन सभी कारिंदों के चेहरे का उडा हुआ रंग साफ बताता है। कि यह विभाग अपने मनमर्जी से चलने का आदी है। या ऐसा भी कहा जा सकता है कि परिवहन विभाग की तरह ही पंजीयन विभाग भी शासन की काली कमाई की काली भैंस है। इसलिए इस विभाग में चल रहे गड़बड़ झाले पर सभी आँखें मूँद कर यहाँ से निकलने वाला दूध पी रहे हैं। लेकिन अब कलेक्टर रुचिका चौहान की सख्ती से एक उम्मीद की किरण जगी है!

theinglespost
theinglespost
Our vision is to spread knowledge for the betterment of society. Its a non profit portal to aware people by sharing true information on environment, cyber crime, health, education, technology and each small thing that can bring a big difference.
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular