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कोचिंग पर सितम होटलों अस्पतालों पर रहम, ऐ प्रशासन तेरा दोहरा चरित्र ठीक नहीं

कोचिंग सेंटर्स के अवैध बेसमेंट पर कार्रवाई करना तो ठीक है लेकिन अस्पताल होटल और अन्य मल्टी में बेसमेंट में संचालित अवैध व्यावसायिक गतिविधियों पर रोक लगाने में प्रशासन ढुलमुल रवैया क्यों अपना रहा है?

दिल्ली के राजेंद्र नगर की राउस कोचिंग के बेसमेंट में पानी भरने से 3 छात्रों की हुई अकाल। मौत ने पूरे सिस्टम पर सवालिया निशान खड़े किए थे। ही एमसीडी द्वारा किस तरह से बेसमेंट में अवैध गतिविधियों को संचालित किया जा रहा है। इस घटना के बाद एमसीडी ने दिल्ली के कई क्षेत्रों की तमाम कोचिंों के बेसमेंट में संचालन पाए जाने पर उन पर ताला जड़ दिया उन पर त्वरित कार्रवाई की लेकिन ये मौत के बेसमेंट केवल कोचिंग तक ही सीमित नहीं हैं ऐसी तमाम अन्य व्यावसायिक गतिविधियां भी बेसमेंट में संचालित की जा रही है। वह चाहे अस्पताल हो होटल हो या अन्य कॉम्प्लेक्स। दिल्ली राउस कोचिंग बेसमेंट हादसे का सबसे बड़ा गुनाहगार तो एमसीडी खुद है जिसको ग्वालियर के एक छात्र ने महीनों पहले ही इस तरह की दुर्घटना का अंदेशा जताते हुए शिकायत की थी लेकिन एमसीडी के जिम्मेदार अधिकारी कान में रुई लगाए और आंख में हरा चश्मा पहने बैठे रहे। यही हालात दिल्ली से लेकर मध्यप्रदेश तक हैं जहां जिम्मेदार निगम प्रशासन नागरिकों कि जान को ताक पर रखकर मौत के बेसमेंट का संचालन करा रहा है।

भोपाल में कोचिंग संस्थानों के बेसमेंट का उपयोग पार्किंग के अलावा अन्य व्यावसायिक गतिविधियों के लिए किया जा रहा था। यहां पर क्लास भी लगाई जा रही थी। इसके बाद हमने किसी दुर्घटना की आशंका को देखते हुए औरस एकेडमी, कौटिल्य अकादमी, स्टेप अप एकेडमी, अनएकेडमी, नीट मेंटर एकेडमी, और दुर्रानी क्लासेस के बेसमेंट को सील कर दिया गया है। इनके रास्ते को भी बंद कर दिया गया। भविष्य में कोई भी दुर्घटना से बचने के लिए हम सुनिश्चित करेंगे कि इसका उपयोग ना हो। अब सवाल यह उठता है कि क्या भोपाल में केवल कोचिंग सेन्टर ही प्लेसमेंट में संचालित हैं? क्या तमाम होटल अपने व्यावसायिक गतिविधियों को बेसमेंट में संचालित नहीं कर रहे तो फिर उन पर प्रशासन और भोपाल नगर निगम मेहरबानक्यों है? रसूखदारों के कई अस्पताल ऐसे हैं जहां बेसमेंट का प्रयोग पार्किंग के लिए न होते हुए अन्य व्यवसायिक गतिविधियों के लिए हो रहा है। यह बेसमेंट भी कभी भी मौत के बेसमेंट बन सकते हैं लेकिन इस और प्रशासन की नजर क्यों नहीं पड़ती?

ग्वालियर में भी प्रशासन का डंडा कोचिंग सेन्टर पर चला। यहां पर एमएलबी कॉलोनी स्थित कॉमर्स वर्ल्ड क्लासेज बीएस। राजपूत नीट कोचिंग और एम जी डी भौतिकी। कोचिंग पर कार्रवाई करते हुए प्रशासन और नगर निगम की टीम ने ताले जड़ दिए। ये सभी कोचिंग हैं। नियम विरुद्ध बेसमेंट में संचालित की जा रही थीं। किसी भी दुर्घटना की आशंका को देखते हुए प्रशासन ने त्वरित कार्यवाही करते हुए इन सभी कोचिंगों को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया। ग्वालियर में जिस तत्परता से कोचिंग सेंटर पर कार्यवाही के लिए प्रशासनिक और नगर निगम अमला सड़कों पर उतर आया है उसी प्रशासन और नगर निगम के फाइलों में तमाम अन्य अवैध बेसमेंट संचालन की शिकायतों की भरमार है लेकिन उनको दबाते हुए केवल कोचिंग हो। टारगेट बनाकर एकतरफा कार्रवाई करना शाह बताता है कि दिल्ली हादसे के आधार पर केबल ज्वलंत मुद्दे को देखते हुए कोचिंग सेंटर्स पर ही कार्रवाई की जा रही है। प्रशासन और निगम के जिम्मेदारों का यह उद्देश्य। कतई नहीं है के पूरे शहर को मौत के बेसमेंट से मुक्त किया जाए।

थाटीपुर स्थित झंवर स्टेट की एक मल्टी का बेसमेंट सालों से व्यावसायिक उपयोग के लिए बंद किया हुआ है। वहां के निवासी अपनी गाड़ी बाहर खडी करने को मजबूर हैं। इसी तरह की तमाम और अन्य मल्टी भी है। और इनकी शिकायतें भी निगम कार्यालय की फाइलों में दबी हुई है। ग्वालियर का सबसे ज्यादा कथित प्रतिष्ठित आरजेएन अपोलो अस्पताल भी बेसमेंट में अवैध रूप से व्यावसायिक गतिविधि के संचालन में आगे हैं। यहाँ पर गाड़ियां सडक पर इस तरह पार्क होती है के दिन भर जाम की स्थिति बनी रहती है। लेकिन बताया जाता है यह अस्पताल इतने बड़े रसूखदार व्यक्ति का है की कोई प्रशासनिक अधिकारी इधर झांकने की हिम्मत भी नहीं कर पाता है। सिटी सेन्टर मैं कई ऐसे होटल संचालित हैं जिसमें बेसमेंट का उपयोग भी हॉल के रूप में या अन्य व्यवसायिक गतिविधियों में होता है। लेकिन इनके साथ भी जिम्मेदारों का कुछ गठबंधन नजर आता है। इसलिए यह भी किसी भी तरह की कार्रवाई से बचे हुए हैं।

हम यहाँ इस बात के पक्षधर बिल्कुल नहीं है की कोचिंग सेंटर्स। को बेसमेंट में अवैध रूप से संचालन की अनुमति होनी चाहिए बल्कि हम इस बात पर जोर दे रहे हैं कि कोचिंग सेंटर्स के साथ साथ अन्य किसी भी तरह की अवैध गतिविधि बेसमेंट में नहीं होना चाहिए। इस मामले में माननीय हाई कोर्ट ग्वालियर बेंच ने भी 2018 में आदेश जारी किया था जिसमें उन्होंने बेसमेंट में चल रही अवैध व्यावसायिक गतिविधियों पर रोक लगाने की बात कही थी और नगर निगम ने खानापूर्ति के लिए कुछ जगह कार्रवाई कर माननीय हाईकोर्ट में फोटो उपलब्ध करा दिए थे। वह आदेश अभी भी यथावत है और उस आदेश को भूलकर प्रशासन और नगर निगम अधिकारी खुलेआम अवैध गतिविधियां बेसमेंट में संचालित होने दे रहे हैं, हालांकि ग्वालियर कलेक्टर महोदय रुचिका चौहान ने आश्वस्त किया है। कि अब नगर निगम के साथ बैठकर पूरा पूरा वार्षिक प्लान तैयार किया जाएगा जिसमें 1 1 क्षेत्र से क्रमबद्ध बेसमेंट पर कार्यवाही की जाएगी और इसमें सभी तरह के व्यवसायिक। उपयोग करने वाले बेसमेंट संचालकों पर शिकंजा कसा जाएगा।

बेसमेंट तो बेसमेंट होता है। अवैध तो अवैध होता है। गलत तो गलत होता है चाहे वह कोचिंग संचालक। का हो चाहे अस्पताल का हो चाहे होटल का हो चाहे किसी अन्य मल्टी। का हो और चाहे किसी सरकारी दफ्तर का हो। मौत किसी भी बेसमेंट में हो सकती है। मौत कह कर नहीं आती। मौत अवैध रूप से संचालित किसी भी बेसमेंट में आ सकती है। कोई भी अवैध बेसमेंट मौत का बेसमेंट हो सकता है। मौत किसी तरह का भेदभाव नहीं करती तो उम्मीद करें कि प्रशासन भी भेदभाव न करते हुए सभी तरह के प्लेसमेंट पर एक समान कार्रवाई कर पाएगा!

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