देवास मध्य प्रदेश: प्रदेश सरकार किसान हितैषी होने के कितने भी दावे कर? लें लेकिन अपनी जमीन से संबंधित कामों के लिए एक किसान को किस तरीके से राजस्व विभाग के अधिकारियों के चक्कर? काटने पड़ते हैं? और किस तरीके से एक किसान को फुटबाल बनाकर एक ओर से दूसरी ओर फेंका जाता है उसकी हकीकत एक किसान ने एक पोस्टर बनाकर। उस समय उजागर कर दी जब वह अपनी समस्या लेकर जन सुनवाई में पहुँचा था। मामला देवास का है और देवास। का यह किसान इस समय अपने इस पोस्टर को लेकर पूरे प्रदेश में ही सुर्खियों में बना हुआ है। इस पोस्टर में उसने राजस्व विभाग के अधिकारी किस तरीके से नामांकन और पटांकन के नाम पर खेल खेलते हैं उसको उजागर किया है।
इंदौर निवासी किसान पंकज मंडलोई ने अभी हाल ही में देवास। जिले में एक जमीन खरीदी थी। सीमांकन में जगह कम निकली थी और जिसके संबंधित कार्य कराने के लिए उन्हें राजस्व अधिकारियों के चक्कर काटने पड़ रहे थे। यह किसान राजस्व विभाग की कार्यप्रणाली के संबंध में पोस्टर बनाकर जनसुनवाई में पहुंचा। इस पोस्टर में विस्तार से बताया गया कि राजस्व विभाग में कैसे काम होता है। तहसीलदार को इंगित कर नीचे सिलसिलेवार नामांकन, बटांकन और सीमांकन से जुड़ी समस्याएं बताईं। किसान ने पोस्टर में बताया कि कैसे किसानों को गुमराह किया जाता है। कहा जाता है कि आदेश हो गए हैं, लेकिन महीनों बीतने के बाद भी किसानों तक आदेश नहीं पहुंचे। आखिर में जब किसान सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत करता है तो उसे अधिकारी कहते हैं कि यह शिकायत वापस ले लो, तभी काम संभव होगा।
विवादों में रहने वाले राजस्व विभाग की कार्यशैली पर अक्सर सवाल उठते हैं। कभी आरोपों की जद में पटवारी आते हैं तो कभी आरआई। तहसीलदार-एसडीएम तक भी आंच पहुंचती हैं, लेकिन शिकायतों का असर नहीं होता। कुछ लोग इतने परेशान होते हैं कि वे थक-हारकर नए तरीके अपनाते हैं, ताकि समस्या का समाधान हो जाए। यहां इस किसान ने अपनी शिकायत दर्ज कराने का अनूठा तरीका तो निकाला ही लेकिन साथ में कहीं ना कहीं राजस्व विभाग की कार्यशैली की भी पोल खोल कर रख दी। जिस तरह से पूरी पूरी व्यवस्था बनी हुई है उसी व्यवस्था का चित्रांकन इस किसान ने अपने पोस्टर पर कर रखा था। अब उम्मीद की जा सकती है। यदि थोड़ा भी पानी हो तो इन जिम्मेदार राजस्व अधिकारियों को शर्म आए और वह अपनी कार्यशैली में थोड़ा सुधार करे।