ग्वालियर मध्य प्रदेश: इस समय ग्वालियर में रेलवे स्टेशन गहन निर्माण कार्य चल रहा है जहाँ दूसरे मंजिल पर कार्य कर रहे एक मजदूर मजदूर कहाँ बैलेंस बिगड़ा और वह निचे आ जा। जहां वह गिरा वहां खड़े हुए शरीर के टुकड़े थे। 3 ज़रिये उस मज़दूर के शरीर में घुस गए और पेट और सीने से आर। पार हो गए ऐसी स्थिति में मजदूर को जय आरोग्य अस्पताल ले जाया गया। जहां डॉक्टर्स से इलाज की जल्दबाजी न करते हुए सूझ-बूझ। का परिचय दिया और पहले सर ये खींचकर बाहर न निकालते हुए यह जानने का प्रयास किया की सरियों ने अंदर अंगो को कितना नुकसान पहुंचाया है। यह जानने के लिए मजदूर का सीटी स्कैन जरूरी था, लेकिन लंबे शरीर में होने की वजह से मजदूर को सीटी स्कैन मशीन तक ले जाना संभव नहीं था। और फिर डॉक्टर्स ने जो सूझबूझ का परिचय दिया उससे मरीज का सीटी स्कैन भी हुआ और उसके बाद ऑपरेशन करके फ़रिए भी निकाले गए और मजदूर की जान बचा ली गई।
मजदूर को सीटी स्कैन पहुँचाने के लिए सर्जरी विभाग की प्राध्यापक। डॉ॰ अंजलि जलज ने वर्कशॉप प्रभारी अतरसिंह जाटव को बुलाकर ग्राउंडर मशीन के जरिए पहले लंबे सरियों को कटवाया। उसके बाद सर्जरी विभाग को आईसीयू में शिफ्ट किया बाइकर्स स्थिर रहने की स्थित पर सीटी स्कैन कराया गया। जिसमें पता चला कि सरयू से वे छेदों के कारण मजदूर के पेट और फेफड़ों में भारी हवा भरी गई थी जिन्हें नलियों के द्वारा पहले बाहर निकाला गया डॉ अंजलि जगत के नेतृत्व में डॉ हिमांशु चंदेल सर्जन डॉ संजय पाराशर। यूरो सर्जन ने तत्काल सर्जरी की। यह जटिल ऑपरेशन लगभग लगभग 1:30 घंटे तक चला और इसमें मजदूर के अंदर शरीर के सभी क्षतिग्रस्त अंगों को सही किया गया। इतने मुश्किल परिस्थितियों में भी सूझबूझ से डॉक्टर्स ने इस मज़दूर का सफल ऑपरेशन दिया और फिलहाल इसमें दूर की हालत स्थिर है।
आपको बता दें कि जिस समय मज़दूर छोटू जाटव पुत्र संतोष जाटव कर्मचारी आवास के बन रहे बिल्डिंग में दरवाजे के पल्ले लगाने का काम कर रहा था और वह रेलवे स्टेशन पर नीचे सरियों पर गिरा था और उसके शरीर में 3 शरीर आर। पार निकल गए थे, वह स्थिति देखकर हर कोई। यह कह रहा था कि अब यह मजदूर अब बचेगा नहीं। ज्यादातर लोग उसकी जिंदा रहने की उम्मीद खो चुके थे लेकिन उसे जब अस्पताल ले जाया गया तो डाक्टर्स ने अपने सूझबूझ और कुशल चिकित्सकीय सेवाओं से बचा लिया। संभवतः यह मध्य प्रदेश का ऐसा पहला मामला है जब किसी के शरीर में बारह एमएम के तीन शरीर आर पार हो गए हों और उसके बावजूद भी। उसे जटिल ऑपरेशन कर बचा लिया गया हो। पूरे ऑपरेशन में मजदूर की जान बचाने का श्रेय डॉ॰ अंजलि जलज, डॉ॰ हिमांशु चन्देल और डॉ॰ संजय पाराशर को जाता है।