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महाप्रभु का महाखजाना; जानिए कहां से आया इतना बड़ा खजाना, क्या है इसकी हकीकत

पुरी जगन्नाथ धाम में मौजूद जगन्नाथ महाप्रभु के आंतरिक खजाने को लेकर लम्बे समय से काफी तरह की चर्चाएं की जा रही थीं। यहां पर के लिए अथाह सोने चांदी का भंडार होने की बात तो कही ही जाती थी।साथ में यह भी कहा जाता था कि सर उसकी रक्षा करते हैं अंदर बडा तहखाना भी है और इसमें कोई प्रवेश नहीं कर सकता। लेकिन इस रविवार को महाप्रभु के इस माह खजाने को जब खोला गया तो इसकी हकीकत सामने आई हालांकि यह अरबों रुपए का खजाना बाहर निकला है लेकिन यहां पर बाकी जिस भी तरह की को फ़ोन करो साफ होने की बातें थी वह सब भ्रामक निकली।

कहाँ से आया इतना बड़ा खजाना

प्राचीन काल में विभिन्न राज्यों पर विजय प्राप्त करने के पश्चात महाप्रभु को कीमती रत्न, हीरा, जेवरात, मुकुट आदि दान किया जाता था, इसे आंतरिक खजाने में रखा गया है। 1978 के बाद आज महाप्रभु जगन्नाथ का रत्न भंडार खोला गया। अब धीरे-धीरे खजानों के कई रहस्य सामने आएंगे।माना जाता है कि रत्न भंडार में अलग-अलग धातुओं की महंगी मूर्तियां रखी गई हैं। ऐसे में करोड़ों जगन्नाथ भक्तों के साथ देश दुनिया की नजर महाप्रभु के रत्न भंडार के खजाने के रहस्य पर टिकी हैं। पुरी जगन्नाथ मंदिर का अंदरूनी रत्न भंडार खोल दिया गया है। पहले 1805 में चार्ल्स ग्रोम की ओर से खजाने का डॉक्यूमेंटेंशन किया गया था, उस दौरान 64 सोने चांदी के आभूषण, 128 सोने के सिक्के, 1,297 चांदी के सिक्के, 106 तांबे के सिक्के और 1,333 प्रकार के कपड़े थे। जानकारी के लिए बता दें कि इस मंदिर को 12 वीं सदीं में बनावाया गया था। उनके बाद सन 1197 में उड़िया शासक अनंत भीम देव ने मंदिर को वर्तमान रूप दिया।


शुभ मुहूर्त में खजाने की शिफ्टिंग

रत्न भंडार के अंदरूनी भाग की निगरानी के साथ उसमें रखे आभूषणों को स्थानांतरित करने की प्रकिया शुरू हो गई है। रत्न भंडार खोलने की शुभ घड़ी गुरुवार सुबह 2:15 बजे तक है। इस समय इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि महाप्रभु की नीति बाधित ना हो। सभी कार्य संपन्न होने के बाद वहां उपस्थित एएसआई एक्सपर्ट रत्न भंडार का अनुध्यान करेंगे। इसके बाद पुन: ताला सील कर दिया जाएगा। 46 साल बाद पहली बार रत्न भंडार का तहखाना खोला गया है. 11 सदस्यों की टीम ने सुबह रत्न भंडार में प्रवेश किया. रत्न भंडार खोलने के लिए एक शुभ मुहूर्त तय किया गया था, जिसका पालन करते हुए एक विशेष समय पर मंदिर में टीम दाखिल हुई.

उल्लेखनीय है कि पिछले रविवार को जगन्नाथ मंदिर के बाहरी रत्न भंडार को खोला जा चुका है। बाहरी रत्न भंडार में रहने वाले रत्न एवं आभूषणों को संदूक में रखकर मंदिर के अंदर ही बनाए गए स्ट्रॉन्ग रूम में रखा गया है। उस दिन आंतरिक रत्न भंडार को भी खोलने का प्रयास किया गया था। हालांकि, ताला नहीं खुल पाया था। जिसके बाद रत्न भंडार कमेटी ने ताला काटकर आंतरिक रत्न भंडार में प्रवेश किया था। कमेटी आंतरिक रत्न भंडार का निरीक्षण करने के बाद वापस लौट आई और रत्न भंडार में नया ताला लगाकर सील कर दिया गया। अब आज आंतरिक रत्न भंडार को खोला गया है और उसमें रखे आभूषण व रत्नों को स्थानांतरित किया जाएगा। इसके बाद रत्न भंडार की मरम्मत की जाएगी।

जब पहली बार खुला था यह खजाना

1978 में जब यहां पर आधिकारिक रूप से रत्न भंडार खोला गया तो उसमें मौजूद चीजों की गणना की गई थी। इस पूरे काम को करने में दो महीने का वक्त लग गया था। उस वक्त बताया गया था रत्न भंडार में रखे गए सोने के आभूषण करीब 250 किलो थे। हजारों किलों के चांदी के आभूषण थे और इनके अलावा तमाम तरह के हीरे जवाहरात और मणिक यहां मौजूद थे। हालांकि, इसके बाद भी मंदिर में दान दिया जाता रहा है। और उम्मीद की जा सकती है कि पिछले छियालीस सालों में यह खजाना को फ़ोन करो बढ़कर इससे कहीं ज्यादा हो गया होगा।

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