डिजिटल डेस्क नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने गुरुवार को न्यायपालिका की भूमिका, पारदर्शिता की कमी और हाल की घटनाओं को लेकर चिंता जताई. उन्होंने न्यायपालिका द्वारा कार्यपालिका और विधायिका के क्षेत्र में हस्तक्षेप को लेकर तीखे सवाल उठाए.
उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ ने न्यायपालिका पर बड़ा हमला किया। दिल्ली में न्यायाधीश यशवंत वर्मा के घर पर आग लगने पर जले नोटों से भरे बैग मिले थे इसके बावजूद उनपर एफआइआर दर्ज नहीं हुई थी। इस घटना पर सवाल करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि क्या कानून से परे एक श्रेणी को अभियोजन से छूट हासिल है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का बयान इस समय पूरे देश में सुर्खियों में है। और जिस तरह से उन्होंने न्यायपालिका की कार्य प्रणाली पर सवाल खड़ा किया है, वह एक नई बहस को जन्म दे सकता है।
धनखड़ ने कहा, ‘अगर यह घटना आम आदमी के घर पर हुई होती तो इसकी (प्राथमिकी दर्ज किए जाने की) गति इलेक्ट्रॉनिक रॉकेट सरीखी होती, लेकिन उक्त मामले में तो यह बैलगाड़ी जैसी भी नहीं है.’ उपराष्ट्रपति ने कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्र जांच या पूछताछ के खिलाफ किसी तरह का सुरक्षा कवच नहीं है. उन्होंने कहा कि किसी संस्था या व्यक्ति को पतन की ओर धकेलने का सबसे पुख्ता तरीका उसे जांच से सुरक्षा की पूर्ण गारंटी प्रदान करना है।

हाल ही में एक जज के आवास पर हुई घटना, उन पर एफआईआर दर्ज न होने और राष्ट्रपति को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मद्देनजर उपराष्ट्रपति ने ये सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि देश ने ऐसे लोकतंत्र की कल्पना नहीं की थी, जहां जज कानून बनाएंगे, कार्यपालिका का काम भी काम खुद ही करेंगे और सुपर संसद की तरह काम करेंगे। हाल ही में एक फैसले में राष्ट्रपति को निर्देश दिया गया है। आखिर हम कहां जा रहे हैं? देश में क्या हो रहा है? ये बातें उपराष्ट्रपति ने राज्यसभा के प्रशिक्षुओं के छठे बैच को उपराष्ट्रपति एन्क्लेव में संबोधित करते हुए कहीं।
मामले की आंतरिक जांच के लिए गठित तीन न्यायाधीशों की समिति की कानूनी वैधता पर भी सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि तीन न्यायाधीशों की समिति मामले की जांच कर रही है, लेकिन जांच कार्यपालिका का अधिकार क्षेत्र है न्यायपालिका का नहीं।
