उज्जैन मध्य प्रदेश: उज्जैन में महाकाल लोक के नजदीक दीवाल गिरने से दो लोगों की मौत के बाद अब जिम्मेदारी का ठीकरा एक दूसरे के सर पर फोड़ने का खेल शुरू हो गया है। और यक़ीन मानिए सारे पक्षों द्वारा बताई गई बातों से निष्कर्ष निकालें तो यह साफ जाहिर होता है है इस घटना के पीछे सबसे बड़ा दोषी अगर कोई है वह है स्मार्ट सिटी उज्जैन यह हम नहीं कह रहें हैं यह उन आरोपों से और जो काम स्मार्ट सिटी ने किया उससे निकल कर आ रहा है। अमूमन यह हमारे भारत की परम्परा है। कि कोई भी घटना होने के बाद जाँच जाँच जाँच कि आंच खुद पर न आए। इसके लिए दूसरों के सर पर आरोप मढ़ दिए जाते हैं। इस दीवार का निर्माण के पीछे से संबंधित तमाम विभाग भी अब ऐसा ही कर रहे हैं लेकिन सभी के बयानों से जो सार। निकलकर आ रहा है उसमें। स्मार्ट सिटी की तरफ से की गई लापरवाही सामने आ रही है।
सबसे पहले को हम बताते हैंकि स्थानीय पार्षद माया राजेश त्रिवेदी इस मामले में क्या कह रही हैं उनका कहना है कि दीवार ढहने से जिन दो लोगों की मौत हुई है वो प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही है। जो रिटेनिंग वॉल बनी है उसके ऊपर आठ इंच की दीवार बिना पिलर उठाए बना दी। इसके बाद इसमें 100 ट्रक मिट्टी भर दी। पानी को निकालने का कोई रास्ता ही नहीं बचा। इसके बाद हेरिटेज होटल वालों ने 15 दिन पहले अपनी नई दीवार बनाना शुरू कर दी। दीवार बनाते समय इंजीनियरों ने ये नहीं देखा कि वे किस तरह से कंस्ट्रक्शन कर रहे हैं। पार्षद कहती हैं कि जो भी निर्माण हो रहा है वह गुणवत्ता पूर्ण नहीं हो रहा है। जिस काम को पार्षद महोदय गुणवत्ता हीन बता रही हैं वह स्मार्ट सिटी उज्जैन द्वारा किया गया है।
मध्य प्रदेश टूरिज्म विभाग के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर डी एस परिहार का कहना है कि मार्च के महीने में यह प्रोजेक्ट टूरिज्म विभाग को हैंड ओवर किया गया। यह पूरा प्रोजेक्ट स्मार्ट सिटी उज्जैन देख रेख में बन रहा है। हमने इसमें कोई छेड़खानी नहीं की। जो भी स्मार्ट सिटी ने काम किए थे वो वैसे ही है। हमें तो जो एरिया मिला है उसमें अपना कंस्ट्रक्शन कर रहे हैं। टूरिज्म विभाग की मानें तो साफ समझ में आ रहा है की गुणवत्ताहीन काम करके स्मार्ट सिटी ने टूरिज्म विभाग को हैंडओवर कर दिया है।
महाकाल लोक फेज-2 के तहत महाराजवाड़ा स्कूल हेरिटेज बिल्डिंग का संरक्षण होना है। स्मार्ट सिटी ने इसका संरक्षण कर हेरिटेज होटल बनाया और एमपी टूरिज्म को सौंप दिया। खास बात यह है कि महाराजवाड़ा ऊंचाई पर है और मंदिर की तरफ का हिस्सा ढलान पर है। इसलिए यहां कुछ साल पहले रिटेनिंग वॉल बनाई गई थी। हेरिटेज होटल का महाकाल लोक के साथ संविलियन किया जाना था। इसलिए रिटेनिंग वॉल के पहले एक और दीवार बननी थी। बाद में रिटेनिंग वॉल को ढहाना था। यह प्रोजेक्ट यूडीए के पास था, लेकिन स्टे होने की वजह से काम रुका था।
स्कूल से सटा हुआ मकान गणपति मंदिर के पुजारी विमल व्यास का है। वे बताते हैं कि 2016 के सिंहस्थ के दौरान 5 फीट की रिटेनिंग दीवार बनाई थी। उस समय रोड चौड़ा किया गया था, जिसमें मेरे मकान का हिस्सा भी टूटा है। इसके बाद स्मार्ट सिटी ने महाराजवाड़े को अधिगृहीत किया और वहां हेरिटेज होटल बनाया है। उसका जो गार्डन बना है वहां इतनी मिट्टी भर दी कि पानी निकालने का कोई रास्ता ही नहीं छोड़ा। मैंने इसकी शिकायत तत्कालीन स्मार्ट सिटी सीईओ आशीष पाठक से की थी। इसके बाद पिछले साल सितंबर में रिटेनिंग वॉल के ऊपर आठ इंच चौड़ी दीवार बनाई। उस वक्त भी मैंने कहा था कि आठ इंच दीवार से कुछ नहीं होगा। इसकी शिकायत कलेक्टर को भी की थी। व्यास बताते हैं कि पिछले साल अक्टूबर नवंबर में स्मार्ट सिटी के अधिकारियों ने रिटेनिंग वॉल और हेरिटेज होटल के बीच के स्पेस में लगभग 5 फीट मिट्टी भर दी थी। इसका लेवल मेरे मकान की छत के बराबर कर दिया था। जबकि, इसके लेवल को कम रखना था, ताकि पानी बाहर निकल सके।
यह सब बातें जो निकलकर आ रही हैं वह सा फ बता रही हैं के यहां पर निर्माण कार्य स्मार्ट सिटी द्वारा किया गया। और स्मार्ट सिटी के इंजीनियरों की कलाकारी देखिए।कि उन्होंने रिटेंशन वॉल के ऊपर से ही दीवाल बना दी और वह दीवाल भी बिना पिलर। के बनाई गई और गुणवत्ताहीन थी। पूरे प्रदेश में कहीं भी स्मार्ट सिटी द्वारा किए गए कामों गुणवत्ता पर हमेशा सवाल खड़े होते रहे हैं और अब उज्जैन। के महाकाल लोक में दीवार ढहने के हादसे के पीछे भी स्मार्ट सिटी का किया गया गुणवत्ता हीन काम है सामने आ रहा है।