Tuesday, December 24, 2024
12.1 C
Delhi
Tuesday, December 24, 2024
HomeEditors deskजेएएच में एक्ट ऑफ गॉड में 3 की मौत, खबरदार जो कांजीलाल...

जेएएच में एक्ट ऑफ गॉड में 3 की मौत, खबरदार जो कांजीलाल बनकर सिस्टम की पोल खोली!

ग्वालियर मध्य प्रदेश: ग्वालियर चंबल अंचल के सबसे बड़े अस्पताल जय आरोग्य (जया रोग नहीं) के ट्रामा सेन्टर के इंटेंसिव केयर यूनिट में मंगलवार को सुबह 7 बजे के लगभग आग लग जाती है। एसी में शॉर्ट सर्किट आग का कारण बताया जा रहा है। जिस समय आग लगी इस आईसीयू में 10 मरीज भर्ती थे आग के बाद पूरे वार्ड में काला धुआं भर गया और मरीजों को। बाहर निकाला गया 10 में से 6 मरीज वेंटीलेटर पर थे और शिफ्ट करने के बाद एक के बाद एक 3 की मौत हो गई शिवपुरी के 63 वर्षीय कांग्रेस नेता आजाद खान मैं सुबह 11 बजे अंबाह निवासी 55 वर्षीय रजनी राठौर ने 1 बजे और छतरपुर के 32 वर्षीय बाबूलाल ने रात आठ बजे प्राण त्याग दिए। इन सब के बाद शुरू हुआ आरोप प्रत्यारोप का वही खेल जो हर घटना के बाद होता है जहां एक और मृतकों। के परिजन लापरवाही का आरोप लगाते नजर आए तो वहीं जिला प्रशासन और अस्पताल प्रशासन अपने दामन को पाक साफ बताता नजर आया। खबरदार जो किसी परिजन ने इस घटना को एक्ट ऑफ गॉड का नाम लेकर सिस्टम की बखियां उखाड़ने की कोशिश की! प्रभारी मंत्री तुलसी सिलावट जी कितने बड़े रहनुमा हैं उन्होंने जांच के आदेश दे तो दिए हैं। 

घटना का आंखों देखा हाल जो वहां प्रत्यक्षदर्शी बता रहे हैं उसके अनुसार सुबह आईसीयू में जलने। की बदबू आ रही थी और यह सूचना वहाँ ड्यूटी पर तैनात बॉर्ड बॉय और अन्य स्टाफ को दी गई थी। और जितनी देर वहाँ इस बदबू और फिर वहां से निकल रही चिंगारी को। रोकने में की गई वह देर ही काफी थी कि यह छोटी सी चिंगारी एक बड़ी आग में बदल गई। जो मरीज वेंटिलेटर पर थे उन्हें वेंटिलेटर से हटाकर अम्बू बेग के सहारे बाहर लाया गया यहां और बेहतर विकल्प अस्पताल में क्यों नहीं था यह भी एक बड़ा प्रश्न है। निस्संदेह है वहां उपस्थित स्टाफ ने प्रयास किया होगा उन्होंने आईसीयू की खिड़कियां। तोड़कर धुआं बाहर निकालने का भी प्रयास किया।और मरीजों को भी बाहर निकाला। लेकिन डब्बा बंद वातानुकूलित वार्ड में और क्या सुरक्षा इंतजाम होने चाहिए, क्या वह मापदंडों के मुताबिक हैं? आपको बता दें कि जितनी भी आग की घटनाएं होती हैं उसमें ज्यादातर मैं मौत जल कर नहीं बल्कि काले धुएं से दम घुटने से ही होती है। तो फिर इतने बड़े अस्पताल के निर्माण में फायर। सेफ्टी के लिए पर्याप्त व्यवस्थाएं क्यों नहीं थी? 

अब आप अंचल के सबसे बड़े अस्पताल जय आरोग्य। कि फायर फाइटिंग सिस्टम की हकीकत भी जान लीजिए। यहां बड़ी लापरवाही की बात यह है कि 2022 में फायर ऑडिट हुआ था जिसमें फायर सेफ्टी टीम ने यहां हाइड्रेट स्प्रिंकलर न होने सहित तमाम खामियां बताई थी और इन कमियों को सुधारने के लिए फायर। कंसल्टेंसी एंड सर्विस इंजीनियर ने लगभग 4 करोड का प्रस्ताव बनाकर 25 नवंबर, 2022 को भेजा गया था जिसको कहीं बंद बस्ते में डाल दिया गया और तमाम प्रयासों के बावजूद भी वह ठंडे बस्ते में ही पड़ा रहा। इस ऑडिट के बाद फायर सेफ्टी टीम ने यहां 2000। 23 तक की ही सशर्त अनुमति दी थी। अब दो हजार तेईस में जब यह अनुमति ही खत्म हो गई थी तो यह इतना बडा अस्पताल।बिना किसी फायर सेफ्टी के संचालित किस?की लापरवाही से हो रहा था? यहां एक और बड़ी लापरवाही यह रही कि आग। को बचाने के लिए लगने वाले फाइव सेफ्टी सिलेंडर भी एक्सपायरी डेट थे। अस्पताल के अधीक्षक डॉ सुधीर सक्सेना खुद ही सिस्टम का लचर रवैया उजागर कर रहे हैं। उनका कहना है की फायर सेफ्टी ऑडिट समय समय पर कराया जाता है। हाइडेंट और स्प्रिंकलर सिस्टम और फायर ऑफिसर न होने जैसी तमाम कमियां कई बार बताई गई हैं।कई बार मुख्यालय को रिमाइंडर भी भेजा गया है। इन सब बातों का मतलब साफ है कि सिस्टम उस समय तक होता है जब तक कोई बड़ा हादसा न हो जाए। 

आपको बता दें अस्पताल में सुरक्षा इंतजाम को लेकर अभी कल ही पूरा प्रशासनिक अमला अस्पताल में गया था। जिले की सबसे बड़ी अधिकारी कलेक्टर रुचिका चौहान भी अस्पताल पहुंची थीं और वहां उन्होंने जो। सुरक्षा की बात की थी वह शायद डॉक्टर्स की सुरक्षा और सुरक्षा गार्डों की संख्या तक ही सिमटकर रह गई। इतनी बड़ी अधिकारी के पहुंचने के बाद भी वहां इस चीज़ की जांच नहीं की गई कि क्या अस्पताल में फायर। सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम हैं। यदि वहां एक्सपायरी डेट अग्निशमन यंत्र लगे हैं तो उन्हें क्यों नहीं हटाया गया? यह लापरवाही किसकी रही? इन सब चीजों पर प्रशासनिक अमले का ध्यान वहां नहीं गया। 

जे ए एच के आईसीयू में लगी आग की दर्दनाक तस्वीरें

खैर घटना दुखद है। हर नेता अभिनेता बनकर इस पर दुख व्यक्त करेगा, घडियाली आंसू बहाएगा और चिंता मत कीजिए। जांच होगी प्रभारी मंत्री तुलसी सिलावट ने आदेश दिए हैं तो जांच तो होगी। लेकिन जांच में यह भी निकलकर आ सकता है कि यह एक्ट ऑफ गॉड है। मतलब जो भगवान ने ही लिख रखा था उसमें सिस्टम क्या कर सकता है? फायर सेफ्टी सिस्टम न होना सिस्टम की मजबूरी नहीं एक्ट ऑफ गॉड के माथे मड दिया जाएगा। वातानुकूलित डब्बानुमा वार्ड में काला धुआं भरना एक्ट ऑफ गाॅड साबित कर दिया जाएगा। अस्पताल ने तो एसी लगवाए।उसमें चिंगारी तो एक्ट ऑफ गॉड है! धुंआ मरीजों के फेफड़ों में क्यों गया कमरे? में ही क्यों नहीं घूमता रहा ऐक्ट ऑफ गॉड ह! जितनी भी घटनाएं दुर्घटनाएं होती हैं उसमें सिस्टम की कोई लापरवाही नहीं होती वह सब गॉड होते हैं। और हर जांच का नतीजा यही बताता है। यदि आपको इस जाँच में कोई संशय हो। तो बनिए कांतिलाल मेहता और सिस्टम में बैठे हुए लापरवाहों का एक्ट ऑफ डेविल उजागर कर दीजिए!

theinglespost
theinglespost
Our vision is to spread knowledge for the betterment of society. Its a non profit portal to aware people by sharing true information on environment, cyber crime, health, education, technology and each small thing that can bring a big difference.
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular