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विनेश फोगाट के वजन घटने बढ़ने को लेकर हर वह पहलू जो आपको जानना जरूरी है

विनेश फोगाट का वजन क्यों बढ़ा? क्या घटनाक्रम रहा? वजन घटाने के लिए क्या प्रयास रहे? आइए समझते हैं पूरे घटनाक्रम को

“मुझे अपने वजन को बेहतर तरीके से प्रबंधित करना होगा। मेतने इतने लंबे समय के बाद अपने वजन को कम कर 50 kg तक किया है। इसलिए मैं इसे जितना संभव हो उतना बनाए रखने की कोशिश करूंगी। मेरी मांसपेशियाँ मजबूत है इसलिए मेरा वजन जल्दी बढ़ जाता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि। मैं कितनी फिट हूँ फिर भी मेरा वजन बढ़ता है मै सिर्फ अपना वजन नियंत्रित करना चाहती हूँ। मेरे पास 4 महीने बचे हैं और हर। दिन बहुत महत्वपूर्ण है मैंने वजन में बदलाव इसलिए किया है। क्योंकि मेरे पास कोई विकल्प नहीं था। मैंने 50 kg में अपने देश के लिए कोटा जीता। मुझे खुशी है कि मैं ओलंपिक में जा सकती हूँ।” इस साल अप्रैल में किर्गिस्तान के बिस्केक में हुई विश्व चैंपियनशिप में जब विनेश फोगाट ने 50 kg वर्ग के लिए ओलंपिक कोटा प्राप्त किया था। तब उन्होंने खुद ही यह वजन को नियंत्रित करने की बात स्वीकार की थी।

बुधवार को जब यह खबर पूरे देश में फैलती है। कि 100 g वजन अधिक होने की वजह से दिनेश फोगाट को ओलंपिक गेम्स में रेसलिंग में अयोग्य घोषित कर दिया गया है और अब उन्हें न। तो फाइनल खेलने का मौका मिलेगा और न? ही वह सभी खिलाड़ियों में किसी भी रैंक पर रहेंगी। इस के बाद पूरे देश में तमाम तरह की चर्चाएं चलने लगीं और उन सभी चर्चा के सवालों के जवाब आपको इस खबर में मिलेंगे। विनेश का वजन क्यों बड़ा? उसने अपना वजन कम करने के लिए क्या क्या किया इसमें विनेश की भी गलतियाँ रहीं या नहीं यह सब समझने के लिए उन।कुछ दिनों में या उससे पहले क्या हुआ यह सब समझना बहुत जरूरी है। 

विदेश में फोगाट हमेशा से 53 किलो वर्ग में खेलती रही लेकिन पिछले समय भारतीय कुश्ती महासंघ से जो विवाद हुआ उसके चलते अंतिम पंचाल को ओलंपिक में 53 किलो वर्ग में मौका दिया गया था और यही वजह थी ही विनेश को तमाम मेहनत करते हुए अपना वजन कम करके। पचास किलोग्राम वर्ग में जगह बनानी पड़ी और उसमें वह कामयाब भी हुई। विनेश फोगाट की शारीरिक बनावट जिस तरह की है उसके अनुसार उनका प्राकृतिक भजन 57/58 किलो होना चाहिए लेकिन वह अपने वजन को नियंत्रित कर ही 53 किलो भार। वर्ग में खेलती रही। अब अपना वजन 50 kg पर बनाए रखना विनेश। के लिए एक बड़ी चुनौती थी। और वह स्वयं भी इसे एक बड़ी चुनौती मानती थी और इसके लिए वह लगातार मेहनत भी कर रही थीं। 

अब उस पूरे घटनाक्रम को समझिए जिसके चलते विनेश फोगाट का वजन बड़ा और वह ओलंपिक गेम्स में अयोग्य घोषित हो बाहर हो गई। ओलंपिक में दो बार प्रतियोगियों का वजन किया जाता है एक बार प्रतियोगिता शुरू होने से पहले और दूसरी बार पदक का मुकाबला होने से पहले पहली बार किए गए वजन  में दिनेश फोगाट का वजन 49.9 किलोग्राम था। छह अगस्त को विनेश फोगाट को एक ही दिन में तीन मुकाबले खेलने पडे थे और तीनों ही मुकाबलों में उन्होंने जीत दर्ज कर फाइनल में जगह बनायी थी। दिन में यह 3 मुकाबले वो इससे हुई थकान। इसके बाद में ली गई अतिरिक्त डाइट। के बाद ऐसा बदलाव हुआ जिसे विनेश फोगाट के मैनेजर और चिकित्सक प्रबंधित नहीं कर सके। पहले मुकाबले के बाद दिनेश ने काफी जूस पिया। उसके बाद उनका वजन 300। ग्राम बडा दूसरे मुकाबले के बाद भी तमाम खाद्यपदार्थ दिए गए और उनका वजन दो। किलो बढ गया और इसके बाद भी 3 मुकाबलों की थकान और ऊर्जा हानि हटाने के लिए काफी अतिरिक्त डाइट दी गई। जिससे उनका वजन बढ़कर बावन दशमलव सात किलो हो गया। अब विनेश और उनकी प्रबंधन टीम के लिए एक ही दिन में यह वजन घटाना बड़ी चुनौती थी और इसके लिए तमाम प्रयास किए गए भारतीय ओलंपिक दल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर दिनशापारदीवाला ने भी तमाम प्रयास किए। चिकित्सक का कहना है कि उन्हें विश्वास था। कि भजन को नियंत्रित कर लिया जाएगा लेकिन एक ही दिन में 3 मुकाबले में डीहाइड्रेशन से और कमजोरी से बचाने के लिए तरल पदार्थ और डाइट देना भी जरूरी थी उसके बाद विदेश का वजन काबू करने के लिए तमाम प्रयास किए गए। उनके बाल भी काटे गए उनके कपड़ों को भी छोटा किया गया जिससे वजन के समय कुछ अंतर आ सके। लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद भजन 52.7 से 50.1 तक ही आ सका। और 100 g अधिक वजन के चलते विनेश अयोग्य घोषित हो गईं फिलहाल विनेश। शारीरिक रूप से स्वस्थ हैं। लेकिन मानसिक पीड़ा के चलते अवसाद में है इस वजह से उन्हें ओलंपिक के ही पॉलीक्लिनिक में रखा गया है। 

यहाँ हमें विनेश के इस प्रयास की प्रशंसा करनी चाहिए कि उन्होंने अपना वजन लगातार कम बनाए रखा इसके लिए उन्होंने अथक प्रयास किया। और यहां पचास किलोग्राम वर्ग में खेलना उनका शौक नहीं बल्कि भारतीय कुश्ती महासंघ के विवाद के बाद उनकी मजबूरी रही। एक ही दिन में विनेश ने 3 मुकाबले खेले भी और जीते भी अब उन मुकाबलों में हुई ऊर्जा हानि और डीहाइड्रेशन से विनेश। को बाहर रखना भी जरूरी था जिसके लिए उन्हें अतिरिक्त तरल पदार्थ दिए गए। एक ही दिन में तीन मुकाबले खिलाया जाना कहीं न कहीं ओलंपिक कमेटी की चूक है। जिस विनेश की शारीरिक बनावट और मसल्स मजबूत है और जिसका वास्तविक वचन कहीं ज्यादा है उसकी प्रशंसा करनी चाहिए कि वह अपनी वजन को 50 किलोग्राम के भीतर नियंत्रित रखी हुई थी। इससे पहले दो हजार सोलह के ओलंपिक क्वालीफायर में भी जब अड़तालीस किलोग्राम वजन में विनेश प्रयास कर रही थीं तो वहां अयोग्य घोषित कर क्वालीफाई नहीं कर सकी थीं। उस गलती से सीख लेते हुए ही इस बार विनेश। काफी सजग थी और अपना वजन नियंत्रित करने के लिए लगातार मेहनत कर रही थी। 

अब आप सोचेंगे के इस पूरे घटनाक्रम में गलती किसकी है? गलती ढूंढ पाना और किसी एक को दोषी ठहराना इस पूरे घटनाक्रम में बिल्कुल भी आसान नहीं है। विनेश ने स्वयं हमेशा इस वजन को नियंत्रित रखने को चुनौती माना और उसके लिए प्रयासरत रही इसलिए उनकी भी गलती नहीं है। विदेश की पूरी टीम ने उनके खान पान और वजन कंट्रोल का पूरा ध्यान रखा। अब जो शेड्यूल ओलंपिक ने दिया उसमें तीन खेल एक ही दिन में खेलना वह भी जरूरी था। मंगलवार की रात तक तो शायद विनेश और टीम को भी विश्वास रहा होगा। कि वह वजन को नियंत्रित कर लेंगे। सभी ने श्रेष्ठ प्रयास किया लेकिन अंत में होता वही है जो समय ने लिख कर रखा हो!

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