डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली: गर्म शुरू होते ही लोग इंतजार करने लगते हैं बारिश के मौसम का। बारिश जो लोगों को सुकून देती है राहत देती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यही बारिश आपके लिए जानलेवा भी हो सकती है?नुकसानदायक भी हो सकती है। पूरे देश में वर्षा जल पर नजर रखने वाले एक अध्ययन में पता चला है कि इलाहाबाद, विशाखापत्तनम और मोहनबाड़ी (असम) में अम्लीय वर्षा अधिक हो रही है, जबकि थार से उठने वाली धूल जोधपुर, पुणे और श्रीनगर में बारिश को अधिक क्षारीय बना रही है। अध्ययन में भारत के दस शहरों की वर्षा के पीएच मान का विश्लेषण किया गया।
हाल ही में भारत मौसम विज्ञान विभाग (आइएमडी) और भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान की ओर से किए अध्ययन में अधिकांश निगरानी वाले स्थानों पर पीएच स्तरों में चिंताजनक गिरावट का पता चला है। यह इस बात की ओर इशारा करती है कि शहरीकरण और औद्योगिकीकरण का वर्षा जल पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। अम्लीय (एसिडिक) और क्षारीय (अल्कलाइन) दोनों प्रकार की वर्षा के विषैले प्रभाव हो सकते हैं, जिससे जलीय और वनस्पति जीवन प्रभावित हो सकता है।

इस मामले में विस्तृत जानकारी देते हुए। विज्ञानियों ने कहा है कि अम्लीय वर्षा वर्तमान में हमारे क्षेत्र के लिए कोई बड़ा और तत्काल खतरा उत्पन्न नहीं कर रही है। पीएच जितना कम होगा, बारिश की अम्लता उतनी अधिक होगी। पीएच एक माप है जो 0 से 14 के पैमाने को इंगित करता है। कोई पदार्थ कितना अम्लीय या क्षारीय है इसके माध्यम से इसकी जानकारी होती है। इसमें सात का पैमाना न्यूट्रल है। 1987 से 2021 तक ग्लोबल एटमास्फियर वाच स्टेशनों पर किए अध्ययन में अधिकांश स्थानों पर समय के साथ पीएच में कमी पाई गई। हालांकि, टीम ने कहा कि थार रेगिस्तान से आने वाली धूल जोधपुर और श्रीनगर के वर्षा जल की अम्लीय प्रकृति का मुकाबला कर सकती है, जिससे इन शहरों में पीएच मान बढ़ सकता है।
विज्ञानियों यह भी कहना है। कि शुष्क मौसम के दौरान बारिश थोड़ी अधिक अम्लीय होती है। हालांकि, अध्ययन किए गए शहरों में से ज्यादातर में बारिश समय के साथ ज्यादा अम्लीय होती पाई गई। वाहनों और औद्योगिक गतिविधियों वाले शहरों में नाइट्रेट सबसे ज्यादा प्रभावी आवेशित कण पाया गया, जबकि जोधपुर, पुणे और श्रीनगर में कैल्शियम के आवेशित कण प्रमुख थे, जो धूल और मिट्टी के प्रभाव का संकेत हैं।
