ग्वालियर मध्य प्रदेश: शनिवार को ग्वालियर शहर के पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने का कारण बन रहे अवैध ईंट भट्टों को हटाने की खबर जनसंपर्क द्वारा प्रसारित की गई। जिसमें बताया गया कि जिला प्रशासन के निर्देश पर खनिज विभाग द्वारा शहर की सीमा में स्थित मऊ, जमाहर एवं सिंहपुर तालाब इत्यादि क्षेत्र में स्थित ईंट भट्टों को हटाने के लिये कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं। इन नोटिसों के बाद ईंट भट्टा संचालकों द्वारा स्वत: ही ईंट भट्टे हटाने (डिसमेंटल) करने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है। जिला खनिज अधिकारी श्री प्रदीप भूरिया ने बताया कि नगर निगम सीमा में स्थित ग्राम मऊ, जमाहर में ईंट भट्टे हटाने की कार्रवाई जारी है। स्वत: ही ईंट भट्टे हटाने के लिये भट्टा संचालकों ने शपथ पत्र भी खनिज विभाग को सौंपे हैं।
यह खबर जो प्रसारित की गई है यह केवल कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति को दर्शाती है। आपको बता दें कि नगर निगम सीमा क्षेत्र में ही दर्जनों ईंट भट्ठे अलग अलग क्षेत्रों में संचालित है। पर्यावरण संरक्षण और बढ़ते प्रदूषण के लिए हमेशा जागरूक रहने कार्य करने वाले गजेन्द्र इंगले मामले को एक साल पहले प्रशासन के संज्ञान में लाया था। उस समय नगर निगम निगम प्रदूषण विभाग और खनिज विभाग मामले को एक दूसरे के ऊपर टालता रहा था। इस संबंध में गजेन्द्र इंग्ले ने सीएम हेल्पलाइन पर भी शिकायत दर्ज की थी जिसमें नगर निगम क्षेत्र में संचालित ईंट भट्ठों को निगम क्षेत्र से बाहर करने की मांग की थी। सीएम हेल्पलाइन की इस शिकायत को भी प्रदूषण विभाग खनिज विभाग वह अन्य एक-दूसरे के पाले। में। भेजते रहे थे। यह शिकायत सीएम हेल्पलाइन पर महीनों गोता खाती रही। इस सम्बन्ध में तत्कालीन संभाग आयुक्त सुदाम खांडे को भी ईंट भट्ठों के कारण हो रहे प्रदूषण से अवगत कराया गया था और उन्होंने उसी समय आज से लगभग सात माह पूर्व एक आदेश जारी किया था जिसमें उन्होंने जिला कलेक्टर के अंतर्गत खनिज विभाग नगर निगम प्रदूषण विभाग ही एक ही टीम गठित कर इन ईंट भट्ठों पर कार्यवाही की बात कही थी। उस समय खनिज विभाग ने भी बारिश के बाद तक ईद भट्टो के हटाने की बात कही थी। लेकिन संभाग आयुक्त के आदेश के 7 माह। में भी यह सभी विभाग इस मामले मामले में शिथिल नजर आए और कार्रवाई के नाम पर केवल ईंट भट्ठा।संचालकों को नोटिस थमा दिए गए।
कुछ दिनों पूर्व पूर्व इस मामले में गजेंद्र इंगले ने मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव यादव को भी उनके व्हाट्सएप पर ईंट भट्टों के संबंध में अवगत कराया था। और वर्तमान संभाग आयुक्त मनोज खत्री को भी अवगत कराया था। इस पूरे मामले में अभी तक इन। संबंधित विभागों और जिला प्रशासन का रवैया ढुलमुल ही नजर आया है और अभी भी संभाग आयुक्त के आदेश के इतने समय बीत जाने के बाद भी खनिज विभाग ने कार्रवाई की खानापूर्ति की है। और इन भट्टों को न हटाते हुए। केवल इनके संचालकों से शपथ पत्र ले लिए हैं। और एक जगह पर खानापूर्ति लिए ईंट भट्ठों को डिसमेंटल करने का फोटो सेशन किया गया है। ईंट भट्ठे संचालकों के जो शपथ पत्र खनिज विभाग को प्राप्त हुए हैं उन पर यह संचालक खुद कितने दिनों में अपने भत्ते डिस्मैंटल करेंगे। और यदि वह सीमा भी निकल जाती है। तो विभाग इन पर क्या कार्रवाई करेगा इस बारे में कोई भी जानकारी अभी तक स्पष्ट नहीं है। तत्कालीन संभागायुक्त के आदेश को 7 महीने तो गुजर चुके हैं। अब देखना होगा कि नगर निगम सीमा से ईंट भट्ठो को बाहर करने के लिए अभी और कितना समय लगता है?