ग्वालियर मध्य प्रदेश: विवेकानन्द निदम आरओबी के लोकार्पण को लेकर पिछले कुछ दिनों से जिस तरह घमासान मचा हुआ था उस घमासान कि आग थमने का नाम नहीं ले रही है आनन फानन में आयोजित किए गए। लोकार्पण कार्यक्रम में जिस तरह का तमाशा हुआ, वह साफ दिखाता है कि लोकार्पण की खानापूर्ति केवल भाजपा की अंदरूनी गुटबाजी को दबाने के लिए वर्चुअली की गई। लेकिन इसके बावजूद जो कुछ हुआ उसने श्रेय लेने की होड़ और भाजपा के अलग अलग गुटों के बीच की खींचतान को उजागर कर दिया।
आनन फानन में 8 अप्रैल को लोकार्पण कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम था विवेकानंद नीलम आयुक्त कार्यालय के सामने जहां पर छोटा-सा पंडाल लगाकर खानापूर्ति की व्यवस्था की गई थी क्योंकि लोकार्पण तो वर्चुअली होना था और लोकार्पण प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव को करना था मुख्यमंत्री ने। भोपाल में बैठकर वर्चुअली कार्यक्रम से जुड़कर अपने बयान देते हुए वहीं से बटन दबाकर विवेकानन्द नीलम को जनता को समर्पित कर दिया। लेकिन मुख्यमंत्री द्वारा जनता को लोकार्पित किए गए विवेकानंद नीलम आरओबी पर फीता लगाकर उस फीते को काटने ग्वालियर सांसद भारत सिंह कुशवाहा भी पहुंच गए। उन्होंने भी पूरे जोश के साथ भाजपा के अन्य कार्यकर्ताओं के साथ फीता काटकर लोकार्पित किए हुए आरओबी को ही लोकार्पित कर दिया।

अभी तक आपने भाजपा नेताओं के मुंह से सुना होगा कि डबल इंजन की सरकार है डबल विकास है। लेकिन अब तो लोकार्पण भी डबल हो रहा है। अब जनता को इससे ज्यादा क्या चाहिए। अब इंजन डबल है यह श्रेय लेने वाले डबल हैं और डबल हैं या ट्रिपल हैं या कवाड्रूपल !!! इस मौके पर एक सिंधिया समर्थक मुन्नालाल गोयल ने जो होर्डिंग लगाया उसमें ग्वालियर सांसद भारत सिंह कुशवाह को गायब कर दिया। पिछले कुछ समय से यह देखा जा रहा है कि ग्वालियर सांसद भारत सिंह कुशवाह ग्वालियर क्षेत्र में हो रहे कार्यक्रमों में ज्योतिरादित्य सिंधिया के हस्तक्षेप से खुश नहीं है। और वहीं दूसरी ओर सिंधिया समर्थक किसी भी कीमत पर सिंधिया का किसी तरह का विरोध सहने को तैयार नहीं हैं।

एक ही पार्टी से कई बड़े नेता जब होते हैं तो क्षेत्र की जनता विकास की उम्मीदों को भी डबल कर लेती है। एक और नरेन्द्र सिंह तोमर है जो केंद्र सरकार में बङे ब़े नेताओं तक अच्छी पैठ रखते हैं और दूसरी ओर ज्योतिराज सिंधिया हैं उनका भी केंद्र में अच्छा दबदबा है। दो बड़े नेता और उसके बाद तीसरे प्रदेश के मुख्यमंत्री जो स्वयं भी ग्वालियर चंबल अंचल के विकास को प्राथमिकता की बात करते हैं। इन सबके बावजूद ग्वालियर विकास में पिछड़ गया है।अब तो उज्जैन, जबलपुर रीवा जैसे शहर भी ग्वालियर से कहीं बेहतर नजर आने लगे हैं। ऐसा लगता है मानों डबल इंजन है डबल पावर है। लेकिन दोनों अलग अलग दिशा में खींचतान मचाए हुए हैं।
अब जनता बस इस बात के इंतज़ार में है कि भाजपा में इंजन बहुत है हर इंजन में पावर है लेकिन हर इंजन अलग दिशा में चल रहा है। अब ये सभी इंजन यदि ग्वालियर के विकास को सर्वोपरि रखकर एक ही दिशा में जुड़ जाए। इन सबकी शक्ति मिलकर ग्वालियर के विकास। कोई प्राथमिकता देने लगे। अपने निजी स्वार्थों से उठकर सोचने लगे तो निश्चित ही जनता अपने इन बड़े नेताओं से जो अपेक्षा कर रही है वह धरातल पर भी आएंगे।ग्वालियर फिर से विकास की मुख्यधारा में जुड जाएगा लेकिन अन्त में मन में सवाल यही आता है “काश ऐसा हो पाता”