उदयपुर राजस्थान: अपने बेबाक बयान के लिए जानी जाने वाली वसुंधरा राजे सिंधिया अब भले ही भाजपा द्वारा साइड लाइन कर दी गई हूँ लेकिन वह अपने बयानों से लगातार खलबली मचाए रहती हैं। लोकसभा चुनाव के बाद कई बार वह इस तरह के बयान दे चुकी हैं जिन पर प्रदेश की ही नहीं पूरे देश की राजनीति गर्मा जाती है और उनके बयान पर तरह तरह के कयास लगाए जाने लगते हैं। ऐसा ही एक बयान उन्होंने उदयपुर में एक धार्मिक कार्यक्रम के दौरान दिया। अब धार्मिक कार्यक्रम में इस तरह का हलचल मचाने वाला बयान देना चर्चा का विषय बना हुआ है। राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने उदयपुर में एक कार्यक्रम के दौरान क्या बयान दिया पहले वह समझिए
काश ऐसी बारिश आए, जिसमें अहम डूब जाए, मतभेद के किले ढह जाएं, घमंड चूर-चूर हो जाए, गुस्से के पहाड़ पिघल जाएं, नफरत हमेशा के लिए दफन हो जाए और सब के सब, मैं से हम हो जाएं।
उनके इस बयान के बाद पार्टी में एक बार फिर हलचल मच गई है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे एक दिवसीय दौरे पर उदयपुर पहुंचीं और सलूम्बर विधायक अमृतलाल मीणा के घर पहुंचकर शोक संतप्त परिजनों को सांत्वना दी। उन्होंने कहा है कि आदिवासियों की आवाज उठाने वाले एक लोकप्रिय नेता के निधन से भाजपा को बड़ी क्षति हुई है। इससे पहले पूर्व सीएम राजे ने ऋषभदेव मंदिर में जैन संत आचार्य पुलक सागर महाराज के ज्ञान गंगा महोत्सव को संबोधित किया। इस महोत्सव में राजे ने जनता को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच को आगे बढ़ाते हुए सभी लोग भारत के विकास में अपना योगदान दें। लेकिन इसके आगे उन्होंने बरसात के मौसम को जोड़ते हुए दो पंक्तियों में कहा- काश ऐसी बारिश आए, जिसमें अहम डूब जाए, मतभेद के किले ढह जाएं, घमंड चूर-चूर हो जाए, गुस्से के पहाड़ पिघल जाएं, नफरत हमेशा के लिए दफन हो जाए और सब के सब, मैं से हम हो जाएं।
उनके इस बयान के बाद जहां एक ओर भाजपा में अंदरूनी हलचल मची हुई है। तो वहीं अन्य पार्टियां इस बयान के कई मायने निकाल रही हैं। इसे वसुंधरा राजे का दर्द भी माना जा रहा है जो अचानक से एक कार्यक्रम के दौरान छलक गया। ऐसा माना जा रहा है कि उन्होंने ये चारों इशारों में ही इस बयान के जरिए किसी न किसी पर बड़ा तंज किया है। उनके इस बयान को लेकर दिनभर राजनीतिक गलियारों में घमासान मचा रहा।