संसद सत्र के दौरान बुधवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे अचानक भावुक हो गये उनका एक अलग रूप देखने को मिला। उनका गला तक भर आया। मंगलवार (30 जुलाई) को राज्यसभा में भाजपा नेता घनश्याम तिवारी मल्लिकार्जुन के नाम पर ऐसा कुछ कह दिया था जिससे खरगे काफी आहत नजर आए। जिस समय घनश्याम तिवारी ने यह आपत्तिजनक टिप्पणी की थी उस समय मल्लिक अर्जुन खड़गे सदन में नहीं थे।
राज्यसभा में मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि उनका नाम उनके पिता ने सोच समझकर ही रखा है। उनके पिता चाहते थे कि 12 ज्योतिर्लिंग में से एक उनके बेटे का नाम हो। घनश्याम तिवारी को उनके नाम से क्या दिक्कत है, जो उन्होंने ऐसा बोला? खरगे ने कहा कि घनश्याम तिवारी ने परिवारवाद का भी आरोप लगाया है, जबकि वह अपने परिवार से राजनीति में आने वाले पहले सदस्य हैं। अपने ऊपर परिवारवाद का आरोप लगने पर राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि कल जब मैं सदन में नहीं था तब घनश्याम तिवारी जी ने एक समस्या उठाई। तिवारी जी ने मुझ पर परिवारवाद के आरोप लगाए। मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि पॉलिटिक्स में मेरा पहला जेनरेशन है। इसके पीछ मेरे बाप नहीं थे और मेरी मां नहीं थी। मां के बाद मेरे पिताजी ने मुझे पाला है। यहां तक मैं उनके आशीर्वाद से पहुंचा हूँ।
राज्यसभा में अपनी बात रखते समय खरगे का गला भर आया। इस दौरान उन्होंने ये तक कह दिया कि सभापति जी इस माहौल में मैं और जिंदा जीना नहीं चाहता। इस पर सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि आप अभी और जिएंगे, आप इससे भी आगे जाएंगे। मल्लिकार्जुन खड़गे ने सभापति से यह टिप्पणी सदन की कार्रवाई से हटाने का आग्रह भी किया और सभापति जगदीश धड़कन ने उन्हें आश्वासन दिया कि पूरा मामला दिखवा कर वह ऐसा प्रयास करेंगे।
खरगे ने आगे कहा कि मुझे बुरा लगा कि तिवारी जी ने कहा कि मैं परिवारवाद से हूं। मल्लिकार्जुन शिव का नाम है। 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। मेरे बाप ने बहुत सोच कर रखा था मेरा नाम। लेकिन मैं अकेला अपने परिवार से पॉलिटिक्स में आया हूं। मुझे नहीं पता कि इन्हें क्या दिक्कत है। मेरे बारे में ऐसा क्यों कहा? कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सदन को बताया कि बीजेपी सांसद घनश्यान तिवारी ने कहा कि उनका नाम मल्लिकार्जुन है, जो कि शिव का नाम है। उनका नाम शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। तिवारी के इसी बयान पर मल्लिकार्जुन खरगे नाराज हो गए। उन्होंने कहा कि ये नाम उनके पिता ने सोम समझकर ही रखा है। वह नहीं जानते कि घनश्यान तिवारी ने ऐसा क्यों कहा।