सुप्रीम कोर्ट 22 जुलाई को उन याचिकाओं पर सुनवाई करेगा, जिनमें इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए राजनीतिक पार्टियों को उद्योग जगत से मिले चंदे की एसआईटी जांच कराने की मांग की गई है। को फ़ोन करो ऐसी संभावना बताई जा।रही है कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अहम फैसला दे सकता है और एसआईटी जांच के आदेश भी दे सकता है।
उस समय पूरे देश में हलचल मच गई थी जब सुप्रीम कोर्ट ने इस साल फरवरी में अपने एक फैसले में चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया था। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड जारी करने वाले बैंक एसबीआई के चुनावी बॉन्ड जारी करने पर तुरंत रोक लगा दी थी। चुनावी बॉन्ड योजना के तहत राजनीतिक दलों को गुमनाम तरीके से चंदा देने का प्रावधान था।
आपको बता दें कि राजनीतिक पार्टियों को गलत तरीके से ब्लैक मनी दी जाती थी और इसी को रोकने के लिए मोदी सरकार ने इलेक्टोरल बॉन्ड का प्रावधान शुरू किया था। इलेक्टोरल बॉन्ड में खामियां यह थी कि बॉन्ड लेने वाले की कोई भी जानकारी किसी को नहीं होती थी लेकिन यह इलेक्टोरल बॉन्ड बैंक से लेने के बाद वह व्यक्ति किस पार्टी को देना चाहता था? यह उसका अपना निजी निर्णय होता था और यही से इलेक्टोरल बॉन्ड में गड़बड़ झाला की शुरुआत होती थी को फ़ोन करो आपको बता दें कि राजनीतिक पार्टियों को गलत तरीके से ब्लैक मनी दी जाती थी और इसी को रोकने के लिए मोदी सरकार ने इलेक्टोरल बॉन्ड का प्रावधान शुरू किया था। इलेक्टोरल बॉन्ड में खामियां यह थी कि बॉन्ड लेने वाले की कोई भी जानकारी किसी को नहीं होती थी लेकिन यह इलेक्टोरल बॉन्ड बैंक से लेने के बाद वह व्यक्ति किस पार्टी को देना चाहता था? यह उसका अपना निजी निर्णय होता था और यही से इलेक्टोरल बॉन्ड में गड़बड़ झाला की शुरुआत होती थी और बड़ी बड़ी कंपनी अपने हित के काम कराने के लिए यही इलेक्टोरल बॉन्ड संबंधित राजनीतिक पार्टियों को जो दे देती थी ।
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