गूगल क्रोम दुनिया का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला इंटरनेट ब्राउजर है। भारत में भी इंटरनेट पर कुछ भी सर्च करना हो तो लगभग हर बार क्रोम का ही इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन अब ये ब्राउजर बिकने की कगार पर पहुंच चुका है। ऐसे में आप कैसे इंटरनेट चला पाएंगे? आपको, क्या परेशानियों का सामना करना होगा? और आपके पास क्या विकल्प होंगे?यह सब सोचना आपको शुरू कर देना चाहिए। अमेरिकी में चल रही एक सुनवाई के दौरान इस बात जोर दिया गया कि गूगल को क्रोम बेच देना चाहिए। लेकिन ऐसी मांग क्यों उठ रही है, यह एक बड़ा सवाल है। आइए समझने की कोशिश करते हैं की गूगल क्रोम बेचने के लिए क्यों कहा जा रहा है और इसके पीछे की असली वजह क्या है।
गूगल क्रोम दुनिया का सबसे बड़ा ब्राउजर है, और यही बात इसके खिलाफ जा रही है। गूगल पर आरोप है कि वो इंटरनेट सर्च इंडस्ट्री पर मोनोपॉली जमाकर बैठा है। अब इस एकाधिकार को खत्म करने के लिए एक अदालती कार्यवाही के दौरान मांग की गई कि गूगल को क्रोम बेचना चाहिए। इसके अलावा गूगल के खिलाफ और भी सख्त मांग रखी गई हैं। यूएस डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस (DOJ) ने गूगल से क्रोम को बेचने की डिमांड की है. इसके लिए एक 23 पेज का डॉक्यूमेंट भी फाइल किया गया है। DOJ में शामिल सरकारी वकीलों ने डिस्ट्रिक्ट जज अमित मेहता से आग्रह किया कि वो गूगल को सैमसंग और एपल के साथ कॉन्ट्रेक्ट करने से रोके, क्योंकि इससे कई स्मार्टफोन पर क्रोम को डिफॉल्ट बनाए जाने की संभावना है।
यह भी मांग की गई है कि गूगल अमेरिकी सरकार से अप्रूव्ड खरीदार को एंड्रॉयड बेच दे। अगर गूगल फिर भी एंड्रॉयड का मालिकाना हक अपने पास रखता है और मौजूदा रेमेडी का पालन नहीं करता है, तो सरकार एक पिटिशन दाखिल करके गूगल की इस हरकत का पर्दाफाश करे। सरकारी वकीलों ने मांग रखी कि गूगल को ब्राउजर बिजनेस में दाखिल होने से रोका जाए। क्रोम के बिकने के बाद गूगल पर किसी ब्राउजर को खरीदने, सर्च इंजन या सर्च टेक्स्ट एड राइवल में इन्वेस्टमेंट करने, सर्च डिस्ट्रिब्यूटर या कंपटीशन क्वेरी-बेस्ड एआई प्रोडक्ट या एड टेक्नोलॉजी पर काम करने के लिए 5 सालों तक बैन किया जाए। अगर वकीलों के प्रोपोजल को जज मान लेते हैं, तो इससे गूगल के कंपटीटर्स और नई इंटरनेट ब्राउजर कंपनियों को कारोबार करने का भरपूर मौका मिल सकता है। कुल मिलाकर पूरा मामला गूगल की बढ़ती मोनोपौली को खतम करना है। क्योंकि मोनोपॉली के चलते मार्केट में प्रतिद्वंद्विता खत्म होती जा रही है।