भोपाल मध्य प्रदेश: प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ॰ मोहन यादव की अध्यक्षता में एक कैबिनेट बैठक हुई। इस बैठक में स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार के लिए तमाम फैसले लिए गए। प्रदेश के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों में 3 नए सुपर स्पेशियलिटी विभाग शुरू किए जाने का फैसला भी लिया गया पीडियाटेक। कार्डियोलॉजी पीडियाट्रिक न्यूरोलॉजी और नियो नेटोलॉजी विभाग विभाग भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज के साथ ही अन्य कॉलेज में भी खोले जाएंगे। लेकिन पायलट प्रोजेक्ट के तहत यह विभाग सबसे पहले गांधी मेडिकल कालेज भोपाल में ही शुरू होंगे।
आपको बता दें कि मध्य प्रदेश में शिशु मृत्यु दर राष्ट्रीय आंकड़ों से अधिक है और ऐसा बताया जा रहा है कि शिशु मृत्यु दर के आंकड़ों को कम करने के लिए ही मेडिकल कॉलेजों में इन नए विभागों की शुरुआत की जा रही है। कई बार शिशुओं में कार्डियक न्यूरोलॉजिकल समस्याएं होने के चलते ऐसे बच्चों को इलाज के लिए प्रदेश से बाहर भेजना पड़ता था। गांधी मेडिकल कॉलेज में इन विभागों के साथ ही 12 नए सुपर स्पेशलिटी डॉक्टर्स के पद भी स्वीकृत किए गए हैं। इस पर हर साल हर एक करोड़ चौहत्तर लाख रुपये का खर्च आएगा। इसके साथ ही गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल प्रदेश का पहला ऐसा कॉलेज बन जाएगा जहां पीडियाट्रिक्स न्यूरोलॉजी विभाग होंगे।

यदि बात पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी और नियो नेटोलॉजी की बात करें तो इस मामले में राजधानी के गांधी मेडिकल कॉलेज से आगे ग्वालियर। का गजरा राजा मेडिकल कॉलेज और रीवा मेडिकल कॉलेज हैं जहां यह दोनों विभाग पहले से ही कार्यरत हैं। आने वाले समय में पीडियाटेक न्यूरोलॉजी विभाग भी यहां स्थापित हो जाएगा।
यदि शिशु मृत्यु दर के आँकड़ों पर नजर डालें तो मध्यप्रदेश में शिशु मृत्यु दर 42 है। ग्रामीण इलाकों में यह दर 52 और शहरी क्षेत्रों में 36 है देश की औसत शिशु मृत्यु दर पच्चीस है। इसका मतलब है देश में प्रति 1000 जन्म देने वाले बच्चों में से 25 की मौत हो जाती है जबकि मध्यप्रदेश में प्रति हजार जन्म लेने वाले बच्चों में से 42 की मौत होती है। इस तरह यह आंकड़े बताते हैं कि मध्यप्रदेश शिशु मृत्यु दर में राष्ट्रीय आंकड़ों से भी कहीं आगे है। यह आंकड़े साफ दर्शाते हैं कि शिशु स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में मप्र की स्थिति ठीक नहीं है। सरकारी मेडिकल कॉलेज में पीरियाट्रिक्स न्यूरोलॉजी पीडियाट्रिक्स कार्डियोलॉजी और नियो। नेटोलॉजी विभाग होने के बाद ग्रामीण क्षेत्र में होने वाली शिशु मृत्यु दर कैसे सुधरेगी यह भी एक बड़ा सवाल है!
