ग्वालियर मध्य प्रदेश: पिछले साल मध्यप्रदेश सरकार ने घोषणा की थी कि प्रदेश में कहीं पर भी अवैध कॉलोनियों को वैध नहीं किया जाएगा। शहरी विकास एवं नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने यहां तक कहा था कि इसको लेकर विधानसभा में विधेयक भी लाया जाएगा। उस समय मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद तमाम जिलों में अवैध कॉलोनियों पर कार्रवाई की खाना पूर्ति शुरू हो गई थी। ग्वालियर में भी प्रशासन कथित एक्शन मोड में आकर ।। अवैध कॉलोनियों की सूची तैयार करने में लग गया था और ऐसा लग रहा था। मानो प्रशासन इस बार बार अवैध कॉलोनाइजर और भू माफियाओं को चने चबवा देगा।
सभी क्षेत्रों के एसडीएम ने उस समय अपने अपने क्षेत्र में निर्मित और निर्माणाधीन अवैध कालोनों की सूची बनाकर कलेक्टर। को सौंपी थी। लेकिन कमाल की बात देखिए। प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए यह सूची नगर निगम को भेज दी। नगर निगम ने अपने अपने क्षेत्राधिकारियों को सूची भेज दी। अब क्षेत्राधिकारी। क्या कलेक्टर और एसडीएम से ज्यादा पावरफुल है जो कार्रवाई करते? तो वहां पर भी कुछ गिनी चुनी कार्रवाई। नगर निगम ने अवैध निर्माण पर की और ऐसा बताया गया कि देखो प्रशासन अवैध कॉलोनाइजर और भू।माफियाओं पर कितना सख्त है। लेकिन हकीकत में मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद लगभग एक साल होने को है लेकिन अभी तक इस तरह से अवैध कॉलोनियों को प्रशासन ने संरक्षण दिया है उसकी हकीकत यह डोलती, घूमती फाइल बता रही है।
जिस समय यह सूची नगर निगम को भेजी गई। उस समय कहा गया कि नगर निगम को कार्रवाई करनी है जो कमाल हुआ है वह देखिए कि अब नगर निगम ने अपने स्तर पर जांच की है और अवैध कालोनियों की एक सूची प्रशासन को भेजी है। मतलब पहले सूची प्रशासन से नगर निगम को पहुंची और अब नगर निगम से एक सूची प्रशासन को पहुँची है लेकिन दोनों सूचियों में अवैध कॉलोनियों की संख्या में जमीन आसमान का अंतर है। कई ऐसी कॉलोनियाँ जो प्रशासन की सूची में अवैध बताई गई थी वह अब नगर निगम की सूची से गायब हैं।

अवैध कॉलोनियों की सूची जिस तरह गोल गोल घूम रही है वह साफ बता रही है कि दुनिया गोल है और यह भी उजागर कर रही है कि कुछ न कुछ गड़बड़ तो है जिस गोल मोल करने का प्रयास किया जा रहा है, साथ ही यह बात भी निकलकर आ रही है कि यह फाइल जितना ज्यादा इधर से उधर घूम रही है। उतना ही इन फाइलों पर वजन बढ़ता जा रहा है। अब यह फ़ाइल कहाँ जाकर रुकेंगी? और, क्या वास्तव में प्रदेश सरकार का अवैध? कालोनियों का मकड़जाल खत्म करने कसना। यह प्रशासन पूरा कर पाएगा? यह दूर की कौड़ी नजर आ रहा है।
नगर निगम ने अब प्रशासन को। अवैध कॉलोनियों। की सूची उनके मालिकों के नाम सौंपे हैं। इसमें सबसे ज्यादा अवैध कॉलोनी कुल 97 मुरार क्षेत्र में है। अवैध कॉलोनियों पर कार्रवाई के मामले में अपर कलेक्टर ने सभी एसडीएम को इन। लोकेशंस के खसरे के कोलंबारा में एंट्री करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही पंजीयन विभाग को भी पत्र लिखा है। खसरे नंबर के जमीन पर लौट की बिक्री पर रोक लगाने के लिए कहा है साथ ही नगर निगम को भी इन। क्षेत्रों में भवन निर्माण की अनुमति नहीं देने की बात कही है। साथ ही नगर निगम को अवैध कॉलोनी बसाने वालों के नाम सार्वजनिक करने के लिए भी कहा गया है।
अब यहां प्रशासन खसरे के कॉलम नंबर 12 मैं। एंट्री करने की जो बात कह रहा है। जिससे कि आम लोगों को वास्तविकता समझ में आ। जाए वह कितना असरकारक होगा इस बात में भी संदेह है। क्योंकि अवैध कालोनियों पर काम करने वाले एक समाज सेवी अबोध तोमर। का कहना है कॉलम नंबर 12 में एंट्री होने के बावजूद भी पंजीयन विभाग ने कई कालोनी में रजिस्ट्री कर दी है। इस बात में हकीकत इसलिए भी नजर आती है। इससे पहले भी पंजीयन विभाग ने कई जगह पर रोक के बावजूद कई जगह पर सरकारी भूमि होने के बावजूद भी रजिस्ट्रियाँ की हैं। और तरह के गढ़झाला में भूमाफियाओं के साथ रजिस्ट्रार भूमिका भी संदिग्ध है कि इतने सब नियमों के बावजूद भी रजिष्टियां हो रही हैं।

अबोध तोमर का यह भी कहना है कि जिस तरह से पिछले लंबे समय से से केवल फाइल घुमाने का खेल चल रहा है। जब से फाइल घूम रही है तब से कई अवैध कॉलोनियों में तो अब निर्माण भी हो चुके हैं। यह साख बताता है कि कहीं न कहीं भू माफियाओं खासा प्रभाव प्रशासनिक अधिकारियों पर है। जिस तरह से खुले आम बन रही अवैध कॉलोनियों नगर निगम और प्रशासन लंबे समय से आंखें मूंदा है। केवल फाइल घुमा रहा है। यह साफ बताता है कि भू माफिया कॉलोनाइजर कहीं न कहीं इतनी रसूख रखते हैं कि प्रशासन भी इनके आगे घुटने टेक रहा है!