भोपाल, मध्य प्रदेश: अभी हाल ही में पन्ना के धरमपुर थाना की एक खबर मीडिया में चर्चाओं में है जिसमें थाने का एक वीडियो वायरल हुआ है। और इस वीडियो में थाने के कर्मचारी नाचते गाते जश्न मनाते खुशी के माहौल में नजर आ रहे हैं। यह वीडियो बहु प्रसारित होते ही तरह तरह की बातें चलने लगीं, अनुशासनहीनता बताया जाने लगा। और पुलिस कर्मियों की यह खुशी कुछ लोगों को इतनी नागवार गुजरी कि उन्होंने इस वीडियो पर बात का बतंगड़ बनाते हुए इसे आगे प्रेषित किया। मीडिया की सोशल मीडिया पर चल रही बातों का बढ़ता दबाव देखते हुए पुलिस अधीक्षक साई कृष्ण स्वयं धर्मपुर थाना पहुंचे और उन्होंने इस नाच गाने में संलिप्त पुलिसकर्मियों को तत्काल प्रभाव से लाइन अटैच कर दिया। अब यहां सवाल यह उठता है कि क्या नाचना गाना, खुशियां मनाना, अपराध है?
सबसे पहले आप समझ लें कि लेख का यह आशय कतई नहीं है कि हम पुलिसकर्मियों का पक्ष लें। लेकिन पुलिसकर्मी भी इंसान होते हैं। यदि वह इंसान है तो उनके भी कुछ मानवाधिकार हैं। उनकी भी एक सहज मानव प्रवृत्ति है। और उनको भी अपने जीवन के छोटे बड़े उपलब्धियों पर उत्सव मनाने का हक़ है। क्या वहाँ पर पुलिसकर्मी कोई अनैतिक गतिविधि कर रहे थे? क्या वह वहां पर गाली गलौच कर रहे थे? क्या वह वहाँ पर मदिरा पान कर रहे थे? यदि ऐसा कुछ नहीं था तो सिर्फ गाने चलाना और नाचना गाना किस तरह से इतना भारी जुर्म हो गया की उनकी नौकरी पर ही बन आई? यदि पुलिस कर्मियों द्वारा किसी आम नागरिक से दुर्व्यवहार गाली गलौज उसकी शिकायत दर्ज न करना उसे थाने से भगा देने का वीडियो बहुत प्रसारित होता और ऐसी कोई घटना होती तो निस्संदेह है ऐसे पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई के लिए हम भी किसी तरह का विरोध न करते हुए ऐसी कार्यवाही का समर्थन करते ।
आइए सबसे पहले समझते हैं कि शांत मन और खुशियों से यदि आप कहीं पर कार्य करें तो उसका क्या महत्व होता है। इस बात को हमें बताने की ज़रूरत ज़्यादा है नहीं क्योंकि प्रदेश सरकार ने स्वयं ही सालों पहले आनंदम विभाग प्रारंभ किया था जिसका उद्देश्य यही था लोग जीवन में खुश रहे। आनंद में रहे शांत विचार में रहे जिससे कि उनकी कार्यक्षमता और बढे। यदि आप अपने जीवन के छोटे बड़े कार्यक्रम में खुशियां मनाते हैं दोस्तों के संग या सहकर्मियों के संग खुशियां साझा करते हैं।इससे आपके व्यक्तिगत जीवन में काफी फायदा होता है और इसका लाभ आपकी कार्यक्षमता को भी बढ़ाता है। जहां एक ओर आनंदम विभाग ऐसे प्रयास कर रहा है कि लोग खुशियों में तनाव मुक्त जीवन जीए, वहीं हमारा यह मानना है कि पुलिस विभाग को भी ऐसे कुछ प्रयास करने चाहिए जिसमें पुलिसकर्मी तनाव मुक्त जीवन जीए ताकि उनकी कार्य क्षमता और कार्य कुशलता में भी इजाफा हो।
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जो लोग पुलिस विभाग से संबंधित हैं किसी न किसी तरीके से पुलिसकर्मियों के करीबी हैं उनके परिवार के हैं वह समझ सकते हैं कि पुलिसकर्मी कितने तनाव में जीवन जी रहे हैं। पिछले कुछ समय में पुलिसकर्मियों द्वारा आत्महत्या की भी तमाम घटनाएं सामने आई हैं। जिस समय पूरा देश और सभी आम नागरिक देश में बड़े त्योहार मना रहे होते हैं उस समय भी कई पुलिसकर्मियों को त्योहार मनाने के लिए अपने परिवार के बीच में रहने की फुर्सत तक नहीं मिलती। और वह और आम जन की सुरक्षा के लिए कहीं न कहीं ड्यूटी पर तैनात रहते हैं। पुलिसकर्मियों का जीवन भारी तनाव से गुजरता है। कभी उन्हें किसी छुट भैये नेता तो कभी किसी बड़े माननीय दबाव में काम करना होता है। तो कभी किसी बाहुबली रसूखदार के दबाव में उन्हें अपने कर्तव्य से विमुख होना पड़ता है। और यकीन मानिए ऐसी कर्तव्य विमुखता का मलाल उन्हें अवसाद में ले जाता है और वह तनाव में जीते हैं। और कई बार इस तनाव की झल्लाहट ही शिकायतकर्ता के सामने प्रदर्शित हो जाती है।
मैं तो समझता हूँ कि प्रदेश के हर थाने में ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए या ऐसे छोटे बड़े दैनिक उत्सवों की अनुमति होनी चाहिए जिसमें पुलिसकर्मी भजन करे कीर्तन करें संगीत सुने, नाचे गाएं , हँसे हैं एक दूसरे को चुटकुले सुनाए। कुल मिलाकर पुलिस कर्मी अपनी तनावपूर्ण ड्यूटी के दौरान कुछ छोटे ऐसे क्रियाकलाप करें जो उन्हें खुश और आनंदित रहने में तनाव से मुक्त रहने में अवसाद से दूर रहने में सहयोग करे। मनोवैज्ञानिक बताते हें के खुश रहने वाले लोग आनंदित रहने वाले लोग रचना रचनात्मक और कार्यकुशल होते हैं। और बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान आसानी से कर देते हैं। कई पुलिस कर्मी डायबिटीज रक्त चाप और अन्य गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं। उन्हें भी थानों में योग ध्यान ध्यान। गीत संगीत खुश रहने आदते रहने के अवसर प्रदान किए जाएँ। तो उन्हें अपनी बीमारियों को दूर करने में भी मदद मिलेगी।
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यहां हमारा उद्देश्य यह कतई नहीं है कि हम इस बात की वकालत कर रहे हैं पुलिसकर्मी सही हैं लेकिन चाहे पुलिसकर्मी हों। या अन्य विभाग के कर्मी यदि कार्य स्थल पर तनाव मुक्त माहौल रहेगा कर्मचारी खुश रहेंगे आनंदित रहेंगे, तो वह अपनी सेवाएं और बेहतर तरीके से दे पाएंगे। यदि पुलिसकर्मी आनंदित आनंद आनंद वर्तनावमुक्त रहेंगे, तो आम शिकायतकर्ताओं से उनके व्यवहार में भी सुधार आएगा। आप यक़ीन मानिए कि पन्ना के धरमपुर थाना परिसर में टीआई बलवीर सिंह के जन्मदिन पर जिस समय यह खुशियों का माहौल होगा , उस समय कोई पीड़ित शिकायतकर्ता यदि पहुँचा हो तो पुलिस का रवैया बहुत सकारात्मक रहा होगा। मैंने स्वयं कई थानों में दोनों तरह की परिस्थितियों का विश्लेषण किया है। जब पुलिसकर्मी तनाव में होते हैं तो झुंझलाते हैं, दुर्व्यवहार करते हैं। और जब वह अपने जीवन में किसी न किसी उपलब्धि के चलते या किसी खुशी के चलते आनंदित होते हैं, तो वह बड़ी ही शालीनता से व्यवहार करते हैं।
आपको बता दें कि ऐसे ही कई मामले पहले भी सुर्खियां बटोर चुके हैं। पहले भी होली के समय नाच-गाना करते हुए। या अन्य त्यौहार पर थाना परिसर में खुशियां मनाते हुए पुलिस कर्मियों के वीडियो वायरल हुए हैं। वायरल करने वालों ने लाग लपेट करके मिर्च मसाला झोंककर इन वीडियो को वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंचाया है। और वरिष्ठ अधिकारियों की सख्त कार्रवाई का खामियाजा पुलिसकर्मियों को भुगतना पड़ा है उन्हें महीनों तक अपनी सेवाओं से दूर रहना पड़ा है। पुलिसिंग में सुधार के लिए जो प्रयास किए जा रहे हैं उसमें इस बात का भी समावेश हो कि यदि पुलिसकर्मी खुशियां मना रहे हैं तो उनको खुशी मनाकर, आनंदित रहकर तनाव मुक्त रहकर कार्य करने हेतु भी एक व्यवस्था बनाई जाए।