ग्वालियर मध्य प्रदेश: कलेक्टर रुचिका चौहान के निर्देशन में जिले में अवैध अतिक्रमण के विरूद्ध कार्यवाही सतत जारी है। इस क्रम में सोमवार को ग्राम अकबरपुर मुंजप्ता स्थित शासकीय भूमि सर्वे नम्बर 69 रकवा 3.344 हे. भूमि पर से शासकीय भूमि जिस पर अतिक्रमणकारियो द्वारा मकान बनाकर, दीवाल बनाकर, टीन शेड बनाकर, नीव भरकर अतिक्रमण किया गया था। इस शासकीय भूमि पर किये गये अतिक्रमण को अनुविभागीय अधिकारी श्री अतुल सिंह के निर्देशन मे पुलिस थाना बहोडापुर एवं पुरानी छावनी के स्टॉफ की उपस्थिति मे हटवाया गया। अतिक्रमण मुक्त की गई भूमि का बाजार मूल्य 6 करोड़ रुपये है।
ऐसे तमाम सरकारी जमीन अबतक बेची जा चुकी हैं और उन पर कॉलोनी भी बन चुकी है और तमाम अन्य सरकारी जमीनों पर अभी कब्जे की शिकायतें हैं लेकिन ऐसे कई मामलों में कार्रवाई न करते हुए राजस्व अधिकारी और नगर निगम अधिकारी कलेक्टिव एप्रोच से कार्रवाई कर रहे हैं। निस्संदेह अकबरपुर में जमीन खरीदने वाले और जमीन बेचने वाले दोनों का ही कनेक्शन राजनीतिक आकाओं या प्रशासनिक माफियाओं से नहीं होगा। अब इसे खानापूर्ति की कार्यवाही न कहें तो क्या कहें? राजनीतिक रसूख रखने वाले बड़े बड़े मंत्रियों के साथ मंच साझा करने वाले भू माफिया जब।किसी सरकारी जमीन की घेराबंदी में शामिल होते हैं तो वहां पर यही प्रशासनिक अधिकारी आँख मूँदे क्यों बैठे रहते हैं?

कार्रवाई के दौरान तहसीलदार सतेन्द्र सिंह तोमर, नायब तहसीलदार वृत्त बहोडापुर, नगर पुलिस अधीक्षक नागेन्द्र सिंह सिकरवार, जितेन्द्र सिंह तोमर थाना प्रभारी बहोडापुर व अन्य स्टॉफ, नगर निगम ग्वालियर से भवन अधिकारी यशवंत मैकले, मदाखलत अधिकारी केशव चौहान, क्षेत्राधिकारी विशाल गर्ग व राजस्व निरीक्षक वृत्त बहोडापुर संजय अगरैया, पटवारी ज्योति चौकरो, रांदीप राजावत, धर्मेन्द्र कुलश्रेष्ठ, शेलेश कुशवाह आदि उपस्थित रहे। और यह जितने भी अधिकारी उपस्थित रहे इन सबको पता है कि इस पुरानी छावनी क्षेत्र में ही कहां कहां पर और किस किसने मंदिर माफी की चरनोई की अन्य सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण कर लिया है। ऐसे कई प्रकरण इन महाशयों के विभागों में लंबित हैं और उनकी फाइल धूल फांक रही है। फाइल जब धूल फांकती है तो उसके बदले में जिम्मेदार क्या फांकते हैं यह बताने की जरूरत आज आम नागरिकों को नहीं है!
