ग्वालियर मध्य प्रदेश: ग्वालियर में मंथन विकास की नदियां बह रही हैं। इस मामले में कोई शक नहीं है। तमाम बड़े प्रोजेक्ट पूरे हो चुके हैं और कई का निर्माण कार्य जारी है। लेकिन यदि शहर की यातायात व्यवस्था को सुधारने के लिए बने आरओबी।की बात करें तो यहाँ इंजीनियरिंग का अजीब नमूना नज़र आता है। और इनको बनाने वाले इनके पीछे के नमूने कौन हैं? उनके बारे में तो कहना ही क्या? क्योंकि यह आरओबी इतनी लापरवाही से बनाए गए हैं। इनके दोनों एंड एक्सिडेंट प्रोन जोन बन चुके है। और दोनों ही एंड पर ट्रैफिक इस तरह गड़बड़ रहता है कि वाहन चालक को घूमकर घूम।यह परेशान होकर ही वहाँ पर से अपनी जान हथेली पर ले कर निकलना होता है।
यदि हम बात पढ़ाब आरएी की करें तो इसका एक छोर रेलवे स्टेशन की तरफ खुलता है जबकि दूसरा छोर सिंधिया कन्या विद्यालय की दीवाल से सट कर पड़ाव की तरह खुलता है। यहां इस आरोपी को सिंधिया कन्या विद्यालय। को कितने नजदीक बनाया गया था कि उनकी। रक्षा खतरे में थी जिसको देखते हुए उन्होंने अपनी सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए ऊँची-ऊँची दीवारें खड़ी कर दी थी। लेकिन आरोपी का यह छोर एक एक्सीडेंट प्रोन जोन बन चुका है। क्योंकि यह सीधे जिस जगह पर। उतरा है वहां से यात्री को यदि पडाव। की ओर जाना हो तो वह। उल्टा आने का प्रयास करता है। इसके चलते ट्रैफिक व्यवस्था बिगड़ती है। पड़ाव की तरफ से आने वाले वाहन और आरोपी की सर्विस लाइन से आने वाले वाहन भी हमेशा एक दूसरे से टकराने के खतरे में रहते हैं।
इसी तरह इस पुल का जो दूसरा छोर है जो स्टेशन की ओर खुलता है वहाँ यदि मुरार थाटीपुर के क्षेत्र से वाहन चालक स्टेशन पे पहुंचना चाहते हो तो उन्हें आरोपी के नीचे से जाना पड़ता है आरोबी। को। राइट टर्न पर बंद कर दिया गया है। यहाँ पर भी स्टेडियम की तरफ से आने वाले वाहनों के चलते हमेशा टकराने का खतरा बना रहता है। पड़ाव आरओबी का यह छोर जिस तरह खुलता है वहां वीआईपी सर्किट हाउस के साथ साथ तमाम वीआईपी बंगले हैं। साथ ही रेलवे स्टेशन की तरफ से आने वाले रास्ते को भी वहां चौराहे पर बंद करते हुए लेफ्ट टर्न दिया गया है। और जो बहन यहाँ टर्न हो कर। आते हैं वह वापस यूटर्न।लेने के फेर में एक्सीडेंट का शिकार हो जाते हैं।
इस तरह यदि देखें तो यह पड़ाव आरओबी दोनों छोरों पर एक्सीडेंट जोन के चलते इंजीनियरिंग का अजीब नमूना बना हुआ है यह आरोबी न केबल जनता का समय खराब करता है बल्कि जनता की जान भी जोखिम में पड़ी रहती है। जबकि पड़ाव का ही। पुराना आरोबी। बिल्कुल व्यवस्थित है वहाँ पर दोनों छोर पर चौराए हैं। और ट्रैफिक सिग्नल भी हैं जिसके चलते एक्सीडेंट। की संभावना नगण्य हो जाती है। लेकिन नए पड़ाव आरओबी के दोनों छोर पर। इस तरह की गड़बड़ होने के चलते यहाँ पर ट्रैफिक भी उतना नहीं देखा जाता है। आज भी ज्यादातर वाहन पुराने। पुराने आरोपी को ही प्रयोग करते हैं। नया आरोबी केवल उस स्थिति में अंतिम विकल्प के रूप में प्रयोग किया जाता है।
यहाँ से निकलने वाली जनता के मन में हमेशा यह खयाल आता है कि क्या इस पड़ाव आरओबी के दोनों छोरों पर कोई बेहतर विकल्प हो सकता है जिससे कि यहां से ट्रैफिक सुचारू रूप से निकल सके। जनता को बिना समय खराब किए यहां से निर्बाध निकलने का।रास्ता मिले।
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