जब भी कहीं पर राष्ट्र गान होता है निस्संदेह वह हमें राष्ट्र प्रेम की भावना से भर देता है( यह नेताओं पर लागू नहीं होता)। लेकिन यह देखा जाता है कि जब भी कहीं राष्ट्र गान होता है और उसमें यदि वाद्य। यंत्रों का प्रयोग होना हो। ज्यादातर पाश्चात्य वाद्य यंत्र ही प्रयोग किए जाते हैं।
इसमें भी सबसे ज्यादा कौतूहल रहता है जब हमारी डिफेंस फोर्स द्वारा कहीं भी बैक पाइपर की धुन पर राष्ट्र गान हो राष्ट्र गान के समय पर बैगपाइपर कब से प्रयोग किया जा रहा है इसकी जानकारी तो नहीं है लेकिन संभव था अंग्रेजों के समय पर बैक पाइपर का प्रयोग किया जाता रहा होगा और वही परंपरा आजादी के बाद भी भारत में बनी रही। बैग पाइपर मूलतः स्कॉटलैंड का वाद्ययंत्र है, और वहां इसे अधिकांशतः सभी कार्यों में प्रयोग किया जाता है। भारत में बैक पाइपर बिरले ही देखने को मिलता है। लेकिन कई प्रतिष्ठित संस्थानों के कार्यक्रम में और सेना के कार्यक्रम में बैक पाइपर। की धुन पर राष्ट्र गान को आप देख सकते हैं। अब सवाल यह उठता है क्या इस परंपरा को बदला जाना चाहिए
जैसा कि हम आपको पहले ही बता चुके हैं की बैक पाइप पर एक पाश्चात्य वाद्ययंत्र है जो स्कॉटलैंड का है। तो फिर भारत के राष्ट्रगान में इसका प्रयोग इतने गर्व से क्यों किया जाता है? क्या भारतीय राष्ट्र गान के लिए भारतीय वाद्य यंत्रों का प्रयोग नहीं होना चाहिए।क्या इसके लिए सख्त नियम लागू नहीं होना चाहिए? यह एक विचार है यदि आप सहमत हों, तो इस विचार को आगे बढ़ाएं। ताकि यह एक आधिकारिक नियम बन जाए। के राष्ट्रगान जब भी जहां भी गाया जाएगा उसको केवल भारतीय वाद्य यंत्रों जैसे बांसुरी सितार आदि कि धुन ही दी जा सके।