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भाजपा की पंचनिष्ठा में गांधीवादी दृष्टिकोण को महत्व, जानिए क्या हैं पंच निष्ठाएँ? क्या है इनका महत्व?

भोपाल मध्य प्रदेश: कई बार यह चर्चाएं चलती हैं कि एक राजनीतिक पार्टी की विचारधारा होती है। पार्टी की विचारधारा में ऐसा होता है लेकिन पार्टी की विचारधारा होती क्या है पार्टी के कार्यकर्ताओं को? किन बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए पार्टी की विचारधारा को आत्मसात करना चाहिए। यह कई बार ज्यादातर कार्यकर्ता नहीं जानते हैं और केवल ऊपरी दिखावे और आर्थिक लाभ की दृष्टि से। कोई न कोई राजनीतिक पार्टी में शामिल हो जाते हैं। भारतीय जनता पार्टी का जब गठन हुआ तब से यही माना गया कि यह एक सिद्धांतों पर आधारित पार्टी है। यहाँ कुछ ऐसे मूलभूत सिद्धांत हैं जिन्हें हर छोटे छे छोटे कार्यकर्ता और बड़े से बड़े पार्टी नेता को एक समान ही पालन करना होता है। इसी उद्देश्य से पार्टी ने अपने कार्यकर्ताओं के लिए पंच निष्ठा का प्रावधान रखा। यहां पंच का अर्थ है 5 और निष्ठा से अभिप्राय है भक्ति विश्वास। मतलब साफ है कि यदि आप भाजपा के सदस्य हैं तो आपको इन पांच निष्ठाओं को आत्मसात तो करना ही होगा। 

सबसे पहले समझते हैं कि ये पाँच निष्ठाएं क्या हैं-

1. राष्ट्रवाद और राष्ट्रीय एकात्मता 

2. लोकतंत्र की भावना पर विश्वास 

3. सामाजिक आर्थिक विषय पर गांधीवादी दृष्टिकोण

4. सकारात्मकता पंथनिरपेक्षता अर्थात सर्वधर्म समभाव 

5. मूल्यों पर आधारित राजनीति

आप यकीन मानिए कि भाजपा में आज ज्यादातर ऐसे कार्यकर्ता होंगे जिन्हें अपनी पार्टी की इन पांच निष्ठाओं के बारे में जानकारी तक नहीं होगी और जब जानकारी नहीं होगी तो इन्हें आत्म।साथ करना तो दूर की बात है। हम यह दावे के साथ कह सकते हैं कि भाजपा कार्यकर्ताओं इन पांच निष्ठाओं की जानकारी नहीं होगी। इसके लिए हम प्रज्ञा ठाकुर का उदाहरण लेते हैं। वही प्रज्ञा ठाकुर जिन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के लिए आपत्तिजनक टिप्पणी की थी जिसके बाद देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें कभी माफ न करने वाला बयान दिया था। अब यहाँ पार्टी की पंच निष्ठाओं की बात करें। तो उसमें तीसरी निष्ठा सामाजिक आर्थिक विषय पर गांधीवादी दृष्टिकोण ही है और इस निष्ठा का उद्देश्य यह है कि एक शोषण मुक्त एवं समतायुक्त समाज।की स्थापना की जा सके। अब यदि पार्टी की यह निष्ठा है और प्रज्ञा ठाकुर गांधी जी पर आपत्तिजनक बयान देती रहीं तो इसका अर्थ तो यही है कि प्रज्ञा ठाकुर जैसी भाजपा की बड़े नेता भी अपनी ही पार्टी की निष्ठा से अनभिज्ञ रहीं। आप सोशल मीडिया पर ऐसे तमाम भाजपा कार्यकर्ता और भाजपा आईटी सेल को देख सकते हैं जो कई बार। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर अनुचित टिप्पणी करते हैं। इसका मतलब साफ है कि उन्हें अपने ही पार्टी की इस निष्ठा की जानकारी नहीं है। 

भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता अपनी पार्टी की इन 5 निष्ठाओं को नहीं जानते इसका सबसे बड़ा उदाहरण तब देखने को मिला जब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री वर्तमान में चल रहे भाजपा की सदस्यता अभियान के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में पहुंचे थे और वहां उन्होंने भाजपा जिला अध्यक्ष सुमित पचौरी और विधायक भगवानदास सबनानी से भाजपा की पंच निष्ठा के बारे में पूछा। बार बार पूछने पर भी पचौरी और सबनानी मुख्यमंत्री महोदय। को पार्टी की पंचनिष्ठा नहीं बता सके। यहाँ आश्चर्य की बात यह है की यह कार्यक्रम हिंदी भवन में रखा गया था। जो वार्ड चौबीस में आता है और यह वार्ड भगवानदास सबनानी की ही विधानसभा क्षेत्र में है। मंच से कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा की पार्टी की पंचनिष्ठाएं हैं। वो इनमें से सबसे महत्वपूर्ण कौन सी? निष्ठा है। वैसे तो सभी निष्ठाएं अहम हैं और इसी बीच मुख्यमंत्री ने नाम लेते हुए कहा बताओ सुमित बताओ भगवान भाई क्या हैं? ये पंचनिष्ठाएँ प्रश्न सुनते ही दोनों सख्त पकाई मुद्रा में मुख्यमंत्री की तरफ देखने लगे।फिर एक दूसरे का चेहरा देखने लगे और जैसे तैसे एक दो निष्ठाएं गिना पाए वह भी उनको पीछे से वहीं बैठे किसी अन्य कार्यकर्ता ने बता दी थी। मुख्यमंत्री डॉ॰ मोहन यादव को स्वयं ही वहां उपस्थित समस्त। कार्यकर्ताओं को भाजपा की पंचनिष्ठा के बारे में विस्तार से बताना पडा। मुख्यमंत्री ने कहा कि सबसे अहम है लोकतंत्र की भावना में विश्वास। फिर उन्होंने सभी पंचनिष्ठाओं को एक एक करके वहां उपस्थित समस्त।कार्यकर्ताओं को बताया। 

यहाँ मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव का 1 1 शब्द प्रासंगिक है। भाजपा इन मूल्यों पर आधारित पार्टी है हर? कार्यकर्ता को इन पंचनिष्ठाओं को आत्मसात करना चाहिए जिनमें प्रथम लोकतंत्र की भावना में विश्वास अति महत्वपूर्ण है। क्योंकि भारत सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और जो। राजनीतिक पार्टी। भारत में नेतृत्व करना चाहती है उसे लोकतंत्र की भावना में विश्वास करना ही चाहिए। एक और निष्ठा राष्ट्रवाद और राष्ट्रीय एकात्मता।को भी बहुत सोच समझकर गड़ा गया है। भाजपा के हर कार्यकर्ता को राष्ट्र प्रथम। की भावना से और राष्ट्रीय एकात्मता। को मजबूत बनाने के लिए कार्य करना चाहिए। भारत में गांधीवादी दृष्टिकोण को नकारा नहीं जा सकता और यही वजह है कि भाजपा की पंचनिष्ठाओं में भी गांधीवादी दृष्टिकोण है सामाजिक आर्थिक विषय पर गांधीवादी दृष्टिकोण जिससे शोषण मुक्त एवं समतायुक्त समाज। की स्थापना हो सके भी पंच निष्ठाओं में से एक है। सकारात्मकता पंथ निरपेक्षता अर्थात सर्वधर्म समभाव। आज हम देखते हैं कि देश के प्रधानमंत्री माननी नरेंद्र मोदी भी सर्वधर्म समभाव के लिए प्रयासरत रहते हैं और सभी धर्मों के कार्यक्रमों में सहज रूप से जाते हुए देखे जाते हैं। भाजपा की पांचवीं निष्ठा है।मूल्यों पर आधारित राजनीति। निश्चित ही पार्टी की जब स्थापना हुई थी तब भाजपा मूल्यों पर आधारित राजनीति ही करती थी। लेकिन आज इस निष्ठा को संभवत ज्यादातर भाजपाई भूल चुके हैं क्योंकि देश में कई जगह पर भाजपा अब जोड़ तोड़कर सरकार बनाने में जुटी रहती है। 

आज भाजपा का सदस्यता महा अभियान शुरू हो गया है और तमाम लोग भाजपा की सदस्यता ग्रहण करना चाहते हैं लेकिन इसके पीछे उनकी भावना इन। पंचनिष्ठाओं को आत्मसात करना नहीं बल्कि सत्ता की चकाचौंध का लाभ उठाना है। भाजपा इस समय निसंदेह देश की सबसे मजबूत राजनीतिक पार्टी है और सबसे ज्यादा राज्यों में सत्तासीन हैं। केंद्र में भी पिछले तीन लोकसभा चुनाव जीत कर मजबूत स्थिति में है। और जो सत्ता के नजदीक रहेगा उसे तमाम तरह के लाभ मिलने की उम्मीद रहती है। और केवल यही एक कारण है कि आज तमाम लोग भाजपा से जुड़े हुए हैं। तमाम लोग दूसरी पार्टियां छोड़कर भाजपा में आ गए हैं और तमाम नए लोग भी इस। सदस्यता अभियान में भाजपा से जुड़ेंगे। लेकिन भाजपा के वह संस्थापक जिन्होंने एक ऐसी राजनीतिक पार्टी बनाई थी जिसमें संस्कारों निष्ठाओं अनुशासन की बात होती थी। अब तो लोग वह बात करना भी पसंद नहीं करते।  मुख्यमंत्री जी ने यह प्रश्न पूछ कर अब यह सवाल खड़ा कर दिया है कि लोग अब भाजपा में आकर केवल अपने निहित स्वार्थ। की पूर्ति कर रहे हैं और हो सकता है कि इस कार्यक्रम के दौरान हिंदी भवन में मौजूद तमाम भाजपाइयों को मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव का यह प्रश्न नागवार गुजरा हो!

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