ग्वालियर मध्य प्रदेश: ग्राम बनवार निवासी जग मोहन प्रजापति जो पेशे से हीट कारोबारी हैं और ईंट भट्ठों का संचालन करते हैं उनसे ईंट भट्ठे की लीज नवीनीकरण और अन्य अन्य अनुमतियों के लिए खनिज निरीक्षक रमेश रावत ने पचास हजार रुपए की रिश्वत मांगी थी। इस रिश्वत खोर खनिज निरीक्षक की शिकायत पीड़ित ईंट भट्ठा। संचालक ने लोकायुक्त पुलिस में की थी। 2018 में कलेक्ट्रेट स्थित खनिज शाखा में ईंट भट्ठा संचालक जगमोहन रिश्वत के 50 हजार रुपये जब इस भ्रष्ट भ्रष्ट खनिज निरीक्षक रमेश रावत को दे रहे थे। उसी समय लोकायुक्त पुलिस ने रंगे हाथों इसे पकड़ लिया। रिश्वतखोरी के इस मामले में न्यायालय ने रमेश। रावत को दोषी ठहराया है विशेष न्यायाधीश ने उस समय ग्वालियर और वर्तमान में इंदौर में पदस्थ खनिज अधिकारी रमेश रावत को चार साल की सजा और चार हजार रुपए जुर्माना का आदेश दिया है। न्यायालय के इस आदेश ने इन सभी शंकाओं पर विराम लगा दिया है और इस बात को प्रमाणित कर दिया है कि यदि आपके शहर में अवैध रूप से भट्टे संचालित हैं तो वो कहीं ना कहीं खनिज विभाग की मेहरबानी से ही चल रहे हैं!
24 जुलाई 2023 को मध्यप्रदेश शासन के खनिज विभाग ने शहरी क्षेत्रों में ईंट भट्ठों के संचालन से संबंधित एक आदेश जारी किया था जिसमें तमाम नियम और शर्तें दर्शायी गई थीं। इस आदेश में साफ नियम बताए गए हैं जो केवल मिट्टी की खुदाई से संबंधित है।कि किस तरीके से ईंट निर्माण के लिए ली जाने वाली मिट्टी के लिए तमाम तरह की अनुमति आवश्यक हैं। इसके अतिरिक्त शहरी क्षेत्रों में नगर निगम सीमा क्षेत्र में ईंट भट्ठो का संचालन पूर्णतः प्रतिबंधित है। इसके बावजूद आपके शहर में कई क्षेत्रों में आप ईट भट्टों का संचालन देख सकते हैं।ग्वालियर में चिरबाई नाका क्षेत्र शताब्दीपुरम शंकरपुर ऐसे तमाम क्षेत्र हैं जहाँ बड़ी संख्या में ईंट भट्ठे संचालित हो रहे हैं। यह ईंट भट्ठे न केवल मिट्टी खुदाई के लिए नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं बल्कि शहरी और नगर निगम की सीमा में खुलेआम संचालित हो कर उस नियम की भी धज्जी उड़ा रहे हैं जिसके अनुसार नगर निगम की सीमा में ईंट भट्टों का होना प्रतिबंधित है। इस के अलावा प्रदूषण विभाग के उस नियम की धज्जियां भी यह ईंट भट्टे उड़ा रहे हैं जिसके अनुसार आबादी क्षेत्र में प्रदूषण रोकने के लिए ईंट भट्ठे नहीं होना चाहिए। यह ईंट भट्ठे शहरी क्षेत्र में तो हैं और साथ ही ईंधन। के लिए कोयला लकड़ी की जगह है प्लास्टिक और जूते चप्पल की फैक्ट्री के अपशिष्ट पदार्थों को प्रयोग करते हैं जिससे बेतहाशा प्रदूषण फैल रहा है।
यहां खनिज विभाग ग्वालियर इस गंभीर मामले में किस तरह से खानापूर्ति कर रहा है उसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि अवैध ईंट भट्टों की तमाम शिकायत मिलने के बाद खानिज निरीक्षक राजेश गंगेले शंकरपुर क्षेत्र में संचालित अवैध ईंट भट्ठों पर कार्यवाही करने भी पहुंचे थे। लेकिन वह वहां पर पंचनामा बना और 15 दिन के अंदर ईंट भट्ठों को नगर निगम क्षेत्र से बाहर करने की हिदायत की खानापूर्ति करके लौट आए। इस मामले में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के जिम्मेदार अधिकारी ऋषि राज सिंह सेंगर ने तो उस समय यह तक जवाब दे दिया था कि अवैध ईंट भट्ठों पर प्रदूषण रोकने की कार्रवाई करना उनके विभाग का काम नहीं है। यहां बड़ा सवाल यह उठता है कि जब इन भट्टों की नगर निगम सीमा क्षेत्र में संचालन की अनुमति ही नहीं है तो फिर ऐसी क्या वजह है कि खनिज विभाग इनको बंद नहीं करवा पा रहा है। अब आप अवैध ईंट भट्टों के संचालन में पूरा प्रशासन किस तरीके से लापरवाह है। उसकी बानगी नीचे दिए गए इमेज के माध्यम से समझिए।
बढ़ते प्रदूषण पर चिंतित हो शहर की आबोहवा को स्वच्छ रखने के लिए पर्यावरण विभाग में लगाई गई इस सीएम हेल्पलाइन के जवाब में आप देख सकते हैं कि मई माह में अवैध ईंट भट्ठों के संचालन का यह मामला इस। शिकायत के बाद संभागीय आयुक्त महोदय ने संज्ञान में लिया था। संभाग आयुक्त महोदय द्वारा गठित एनसीएपी ग्वालियर की इम्प्लीमेंटेशन कमिटी के संज्ञान में मामला आने के बाद आयुक्त महोदय ने सभी ईंट भट्ठों की जांच के लिए जिला प्रशासन खनिज विभाग प्रदूषण विभाग पुलिस विभाग का संयुक्त दल गठित करने का निर्देश दिया था और साथ ही निर्देश दिया था के बारिश के बाद इन ईंट भट्ठों को ग्वालियर शहर की सीमा क्षेत्र में संचालित नहीं होने दिया जाएगा। संभाग आयुक्त द्वारा दिए गए इस निर्देश को महीनों निकल गए और अभी तक कृषि संयुक्त दल का गठन नहीं हुआ है। आप शिकायत की इमेज में साफ पढ़ सकते हैं। कि यह जवाब 14 मई को दिया गया है जिसमें यह भी लिखा गया है कि इस समस्या के समाधान में मार्च महीने का समय लगना संभावित है।
इस शिकायत में उल्लेख जरूर शंकरपुर क्षेत्र में संचालित अवैध ईंट भट्टों का किया गया है। लेकिन पर्यावरण को नुकसान शहर के विभिन्न क्षेत्रों में संचालित तमाम ईंट भट्ठे पहुंचा रहे हैं और प्रदूषण फैला रहे हैं और साथ ही खनिज विभाग मध्य प्रदेश शासन द्वारा दिए आदेश की भी धज्जियां उड़ा रहे हैं। इस समस्या मैं संभाग आयुक्त द्वारा संज्ञान लिए जाने के बाद भी जिस तरह से अभी तक इन अवैध ईंट भट्ठों के संचालन पर कोई रोक नहीं लगी है और इन पर कार्यवाही के लिए किसी तरह की कोई शुरुआत तक नहीं हुई है। वह जिला प्रशासन और खनिज विभाग के कार्यशैली पर सवाल खड़े करती है। ऐसा? क्या कारण रहा होगा की संभाग आयुक्त के निर्देश के महीनों बाद भी संयुक्त दल का गठन नहीं हो पाया है?
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