इंदौर, मध्य प्रदेश: स्मार्ट सिटी यह नाम सामने आते ही दिल में, क्या क्या ख्याल आते हैं? सामने किस तरह के दृश्य दिखने लगते हैं और किस तरह के सुख की अनुभूति होती है। दो हजार पन्द्रह में जब देश की प्रधानमंत्री ने स्मार्ट सिटी योजना की घोषणा की थी तब वास्तव में एक ऐसी सुखद अनुभूति होती थी कि हम शायद कुछ सालों बाद ऐसे शहर में रहेंगे जहां न तो सीवर की समस्या होगी न सड़कों की और ना पेयजल की। ऐसे सपने सजो लिए थे लेकिन जैसे जैसे स्मार्ट सिटी योजना आगे बढ़ती गई। यह सपने पंख लगाकर जाने कहां उड़ गए पता ही नहीं चला। और आज दस साल बाद जो दिखाई दे रहा है वह है वहीं पेयजल के लिए जद्दोजहद वहीं गड्ढों वाली ऊबड़ खाबड़ सड़कें और वही गटर गंदे नालों की समस्या। और हम बात किसी और स्मार्ट सिटी की नहीं बल्कि स्मार्ट सिटी नंबर वन इंदौर की कर रहे हैं।
जिस तरह अन्य स्मार्ट सिटी में ऊपरी कंगूरे बनाकर ऊपरी सजावट दिखाकर रंग रोगन कर स्मार्ट सिटी का सपना साकार होने के शब्द बाग दिखाए गए। वही हालात इंदौर के रहे। यहां भी बड़े बड़े प्रोजेक्ट बनाकर ऐसा माहौल बनाया गया कि स्मार्ट सिटी का सपना साकार होने वाला है। इंदौर इन प्रोजेक्ट्स के मामले में देश में सबसे आगे रहा और तमाम साल तक स्मार्ट सिटी की दौड़ में पहले पायदान पर आता रहा। कई बार यह सवाल भी खड़े हुए कि ऐसा क्या होता है कि इंदौर ही हमेशा पहले पायदान पर आ जाता है क्योंकि यहां कई क्षेत्रों के लोगों को आज भी मूलभूत सुविधा तक नहीं मिल रही है। कहीं पोल रह जाए कहीं कमी रह?जाए तो उसे ऊपर से रंग रोगन कर।कैसे छुपाया जाता है यह स्मार्ट सिटी के कारिंदे अच्छी तरह जानते हैं। लेकिन इन कारनामों को उजागर करना भगवान को भी अच्छी तरह आता है और बारिश होते ही स्मार्ट सिटी इंदौर ये स्मार्टनेस की हकीकत सामने आ गई। इंदौर के एक ज़िम्मेदार नागरिक ने फेसबुक पर अपना दर्द किस तरह बयां किया आप भी पढिए और देखिए
इंदौर में ब्रिलियंट कन्वेंशन सेन्टर से लेकर विजय नगर थाने तक पानी से लबालब हो गए। यह सब इसलिए हुआ क्योंकि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में हम मूलभूत सुविधाओं जैसे डेनिस सिस्टम और सीवेज के लिए वह व्यवस्था नहीं कर पाए जो आवश्यक थी। अब आप वीडियो को ही देख लीजिए कि क्या हाल हैं कन्वेंशन सेंटर के और विजयनगर थाने के …