ग्वालियर मध्य प्रदेश; नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश पर शहर में निरीक्षण करने के लिए विशेष रूप से गठित की गई टीम ने दो दिन तक शहर के विभिन्न कचरा निस्तारण और एसटीपी प्लांट का निरीक्षण किया। इस निरीक्षण के दौरान टीम को तमाम खामियां नजर आईं और जब। टीम के सदस्यों ने नाराजगी जाहिर करते हुए नगर निगम के जिम्मेदारों को कमियों से अवगत कराया तो यह ज़िम्मेदार अधिकारी बगलें झांकते नजर आए। दो दिन के लिए ग्वालियर दौरे पे आई टीम अपनी रिपोर्ट बना चुकी है। यह रिपोर्ट नगर निगम ग्वालियर की मुश्किलें बढ़ा सकती है।
आपको बता दें की मुख्य सचिव मध्य प्रदेश ने एनजीटी को यह रिपोर्ट पेश की थी कि पूरे मध्यप्रदेश में सभी नगर निगम नगर परिषदों में सॉलिड वेस्ट और गंदे पानी का शत प्रतिशत निस्तारण होता है। उनकी इतनी बेहतरीन रिपोर्ट पर भौतिक सत्यापन के लिए एनजीटी ने विशेष टीम गठित की। और चिन्हित। नगर निगम में जांच के लिए भेजी। इस टीम में विभिन्न सदस्यों में एक सदस्य दिल्ली सेंट्रल पीएचई से, एक सदस्य मिनिस्ट्री ऑफ एनवायरमेंट एंड फॉरेस्ट से और केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड की टीम के सदस्य शामिल थे। ग्वालियर आई टीम ने सोमवार और मंगलवार को शहर के विभिन्न क्षेत्रों में स्थित सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, कचरा ट्रांसफर के साथ साथ केदारपुर बुद्धा पार्क और बरा के कचरे के ढेर भी देखे। टीम ने कचरा गाडियों का भी निरीक्षण किया।
आपको बता दें कि एनजीटी द्वारा गठित विशेष दल। के ग्वालियर आगमन की जानकारी नगर निगम को थी। इसे देखते हुए ही निगम आयुक्त ने अपनी तरफ से भी पूरी तैयारी कर रखी थी और अपना एक दल भी इस टीम को सही स्थल पर भ्रमण कराने के लिए लगा। दिया था। इस टीम में उपायुक्त अमर सत्य गुप्ता सहायक यंत्री महेंद्र अग्रवाल राकेश कश्यप और कार्यपालन यंत्री। राकेश शुक्ला और पुष्पेंद्र श्रीवास्तव शामिल थे। इतनी सब तैयारियों के बावजूद भी नगर निगम की पोल खुल गई। जब एनजीटी द्वारा गठित विशेष दल जलालपुर स्थित सीवर ट्रीटमेंट प्लांट और लैंडफिल साइट पर पहुंचा और कचरे का रिकॉर्ड देखा तो उन्हें रिकॉर्ड में ही अंतर नजर आया और एनजीटी के विशेष दल के सामने ही नगर निगम के जिम्मेदारों की हकीकत सामने आ गयी।
सूत्रों की मानें तो एनजीटी द्वारा गठित विशेष दल।को कचरा निस्तारण में कई खामियां नजर आईं। लैंडफिल साइट पर उन्हें मशीनें बंद भी मिलीं। तमाम लापरवाही को देखते हुए विशेष दल। के सदस्य कई बार नाराज होते भी नजर आए। तमाम खामियों के बारे में पूछे जाने पर दल।के सदस्यों को संतोषजनक जवाब नहीं मिला। विशेष दल को डिस्पोजल में भी समस्या नजर आई और जो आंकड़े कागजों पर दिखाये गये उसमें भी गैप नजर आया। हालांकि गड़बड़ तो बढ़ता देख आखिर में मोर्चा सँभालने के लिए नगर निगम आयुक्त हर्ष सिंह भी मैदान में उतर गए। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी और एनजीटी द्वारा गठित विशेष दल की पेनी निगाह तमाम खामियों को सूचीबद्ध कर चुकी थी। अब देखना होगा कि यह विशेष दल एनजीटी में क्या रिपोर्ट प्रस्तुत करता है और यदि इस। रिपोर्ट में और मुख्य सचिव मध्य प्रदेश सरकार द्वारा प्रस्तुत शत प्रतिशत वाली रिपोर्ट में भिन्नता नजर आती है तो नगर निगम की मुश्किल बढ सकती हैं।