दिल्ली राउस कोचिंग की बेसमेंट में 3 छात्रों की मौत ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या आपके शहर में तमाम संस्थान सुरक्षा? के मापदंडों का पालन करते हुए चल रहे हैं। क्या आपके शहर में तो बेसमेंट में व्यावसायिक गतिविधियां नहीं हो रही है? कहीं आपके बच्चे भी बेसमेंट में बनी कोचिंग्स और लाइब्रेरी में तो पढने नहीं जाते हैं? क्या आपका परिवार का कोई बेसमेंट में बने अस्पताल में?तो भर्ती नहीं होता है? यदि आपके आस-पास भी ऐसे ही किसी बेसमेंट में कोई व्यवसायिक गतिविधि हो रही है तो आप सावधान हो जाए। क्योंकि यह बेसमेंट कभी भी किसी की मौत का कारण बन सकते हैं। यहां सबसे बडा सवाल यह है कि प्रशासन की नाक के नीचे खुलेआम बेसमेंट में व्यावसायिक गतिविधियां संचालित हो रही हैं और वह भी माननीय हाई। कोर्ट के उस आदेश के बाद जिसमें बेसमेंट में चल रही समस्त व्यवसायिक गतिविधियों को रोकने का आदेश सालों पहले दिया गया था।
ग्वालियर हाईकोर्ट के वकील अवधेश तोमर का कहना है कि हाईकोर्ट के निर्देश के बाद नगर निगम और जिला प्रशासन हाईकोर्ट के निर्देशों के पालन में केवल खानापूर्ति करने के लिए कुछ समय बेसमेंट तोड़ने की कार्रवाई की थी। लेकिन अब प्रशासन हाईकोर्ट के आदेश को भूल चुका है। सन् दो हजार उन्नीस में हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी केवल हाईकोर्ट में फोटो पेश करने के उद्देश्य से कुछ तलघरों पर भी कार्रवाई की गई, लेकिन जो बड़े रसूखदारों की बिल्डिंग हैं उन पर हाथ डालने से नगर निगम परहेज करता रहा।
उस समय नगर निगम ने हाईकोर्ट को जानकारी दी थी।कि ग्वालियर शहर में एक हजार से अधिक भवनों में बेसमेंट की अनुमति नगर निगम के द्वारा दी गई। हालांकि, हाल में ही हाईकोर्ट में पेश की गई रिपोर्ट में नगर निगम अधिकारियों ने 400 से अधिक बेसमेंट का व्यवसायिक प्रयोग बंद कराने का दावा किया था। लेकिन, क्या हकीकत यही है आज सैकड़ों? की संख्या में बेसमेंट में व्यावसायिक गतिविधियां चल रही हैं सिटी सेन्टर इलाके में तमाम तमाम मल्टी। होटल्स शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में बेसमेंट का किसी न किसी तरह कमर्शियल उपयोग किया जा रहा है। प्रशासन व नगर निगम हाई कोर्ट के आदेश को अनदेखा कर यह सब होने दे रहा है।
यदि हम कोचिंग सेंटर्स की बात करें तो शहर के मुख्य कोचिंग सेंटर केंद्र रॉक्सी थाटिपुर मुरार लक्ष्मी बाई कॉलोनी और फूलबाग पर तमाम ऐसी कोचिंग और लाइब्रेरी संचालित हैं जो तमाम नियमों को दरकिनार करते हुए चल रही हैं। कुछ जगह पर तो बेसमेंट में चल रही। कोचिंग्स में छात्र पढ़ते हुए भी देखे गए तो। कुछ जगह पर बेसमेंट में ही लायब्रेरी खोलकर।नियमों की धज्जियां उड़ायी जा रही हैं। सबसे बड़ी बात है ही दिल्ली लाउस कोचिंग बेसमेंट हादसे के बाद भी इन। लाइब्रेरी कोचिंग संचालकों ने सबक नहीं लिया और इनकी संवेदनाएं नहीं जागी और इन्होंने तो विवेक से बेसमेंट मैं कोचिंग और लाइब्रेरी का संचालन बंद नहीं किया। और उस प्रशासन से क्या उम्मीद करें जो हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी बेसमेंट के व्यवसायिक उपयोग को? रुकवाने में कामयाब नहीं रहा हो।
कोचिंग के अलावा कई अस्पताल और लैब भी खुलेआम बेसमेंट में चल रही हैं। शहर के कुछ बड़े नामी कांप्लेक्स और हॉस्पिटल्स में यदि आप जाएंगे तो देखेंगे कि वाहनों को सड़क पर खड़ा होना पड़ता है जिसके वजह से सड़क पर जाम। की स्थिति पैदा होती है जबकि इन्हीं कांप्लेक्स और अस्पतालों की बिल्डिंग में बने बेसमेंट का उपयोग किसी न किसी। व्यावसायिक गतिविधि के लिए हो रहा होता है। हाई कोर्ट अधिवक्ता अवधेश तोमर की मानें तो उस समय दिया गया हाई कोर्ट का आदेश अभी भी यथावत है। यह एक ऐसा आदेश है जिसे न। तो पलटा गया है ना ही पलटा जा सकता है लेकिन उसके बावजूद भी हाई कोर्ट के आदेश के आदेश को नजरअंदाज करते हुए प्रशासन और नगर निगम खुलेआम बेसमेंट में हो रही व्यावसायिक गतिविधियों को न केवल देख रहा है बल्कि इन रसूख दार अस्पताल कोचिंग और कॉम्प्लेक्स संचालकों को संरक्षण भी दे रहा है। बड़ा सवाल यह है यदि ग्वालियर में बेसमेंट में कोई हादसा होता है। यह बेसमेंट मौत के बेसमेंट बन जाते हैं।तो इसका दोषी कौन होगा?