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पुलिस को आवंटित जमीन पर ही रेत का अवैध धंधा, खनिज विभाग की ऐसी मेहरबानी क्यों?

खनिज विभाग से आपकी अच्छी सेटिंग है तो आप शहर में बीचोंबीच खुलेआम कहीं पर भी रेत गिट्टी का फल लगाकर अपना अवैध कारोबार कर सकते हैं। अब यह अवैध धंधा निजी जमीन पर हो वहां तक तो ठीक है लेकिन जब अवैध रूप से गिट्टी और रेत का फड़ सरकार द्वारा पुलिस के आवास बनाने के लिए आवंटित की गई जमीन पर ही कर दिया जाए तो इसे अवैध नहीं महा अवैध और सांठगांठ नहीं महासांठगांठ कहेंगे। ऐसे अवैध रेत गिट्टी के फड़ खुलेआम चल रहे हों और विभाग को इसकी जानकारी भी न होना हो यह कैसे संभव है?

आपको बता दें कि मध्यप्रदेश शासन के नियमानुसार 1 जुलाई से रेत के उत्खनन पर प्रतिबंध लग जाता है। मॉनसून को देखते हुए पूरे प्रदेश की किसी भी नदी से किसी भी प्रकार से रेत का उत्खनन नहीं किया जा सकता चाहे आपके पास आवंटित खदान ही क्यों न हो। इसके बावजूद भी आप रेत का उत्खनन परिवहन खुलेआम होता देख सकते हैं और यही कारण है की रेत पूरे शहर में खुलेआम हर जगह उपलब्ध है। इस मामले में खनिज विभाग के जिम्मेदार साहब कहते हे ही पहले की निकाली हुई रेत भंडार करके रखी गई होगी। अब कितनी रेत भंडार की जा सकती है जो अभी तक बिक रही है? खैर खैर साहब का जवाब बता रहा है की कहीं न कहीं रेत माफिया और खनिज विभाग का यह रिश्ता पुराना है।

मानपुर गिर्द में सर्वे नंबर 398 की भूमि पुलिस विभाग को आवासीय परिसर बनाने के लिए आवंटित की गई है और इस संबंध में यह सूचना पटल भी इस जमीन पर दो तरफ से लगा हुआ है कि यह भूमि पुलिस के आवासीय परिसर के लिए आवंटित है। इसके बावजूद भी खनन माफिया इतना दबंग है कि उसने खुले आम इस जमीन पर रेत और गिट्टी की अवैध फड़ बना रखी है, जहां से अवैध रूप से रेत गिट्टी का भंडारण और विक्रय हो रहा है और यह सब के दहाड़े खुले आम की मुख्य सड़क पर चल रहा है जहाँ से दिन में कोई न कोई जिम्मेदार अधिकारी तो निकलता ही होगा लेकिन इन्होंने अपनी आँखों पर हरा चश्मा। पहन रखा है शायद इसी वजह से इन्हें यह अवैध धंधा दिखाई नहीं देता। 

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राजस्व विभाग के एप पर दिखाए गए मानचित्र में भी रेत की फड़ साफ नजर आ रही है है जिसका मतलब साफ है कि ये रेत की फड़ कोई छोटी सी जगह पर या पिछले कुछ दिनों में नहीं बनी है बल्कि काफी लंबे समय से चल रही है। अब सवाल यह उठता है है यदि यह रेत की फड? लगाने की अनुमति खनिज विभाग ने दीदी हो तो क्या करो पुलिस आवासीय परिसर के लिए आवंटित सरकारी जमीन पर है। यह काम किया जा सकता है है इसकी एवज में पुलिस विभाग को कुछ शुल्क मिल रहा है। के लिए और एक बड़ा प्रश्न यह भी है कि क्या पुलिस विभाग को इसकी जानकारी है? खैर इन सबका कारण एक ही है कि जब सबको मिलता हो चंदा तो क्यों न चले अवैध धंधा!

सूचना; – पर्यावरण को बचाना है। नदियों को बचाना है पहाड़ों को बचाना है। इस महा अभियान में आप का सहयोग अपेक्षित है।

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