जीडीए जिसे आप ग्वालियर डेवलपमेंट अथॉरिटी के नाम से जानते हैं। यदि हम इसे ग्रैंड डैकोइट अलायंस कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी क्योंकि में इस संस्था ही कारिंदों के कारनामे ऐसे हैं जिन पर पूरा के पूरा महाग्रंथ लिखा जा सके। छोटे मोटे मामले और आर्थिक अनियमितता तो यह आम बात है लेकिन सालों पहले यहां एक इतना बड़ा घोटाला हुआ जिसे छुपाने के लिए यहां के कारिंदों ने उन मामलों की फाइलें तक गायब करा दी और सबसे बड़ी बात यह है कि 12 साल बाद भी न तो उन फाइलों का पता चला है। ना ही उस मामले में कोई कार्रवाई हुई है।
सालों पहले जीडीए द्वारा तमाम प्राइम लोकेशन की कॉलोनियों पर गलत तरीके से प्लॉट्स सोसायटियों को आवंटित किए गए थे। इस खेल में बेशकीमती प्लॉट कोडियों के भाव इन सोसाइटों को दिए गए थे। शताब्दी पुरम सिटी सेन्टर विनयनगर आनंदनगर जैसी पॉश और बड़ी कॉलोनियां बसीने की स्कीम जब आई थी उस समय जीडीए के गैर जिम्मेदारों द्वारा कुछ सोसाइटों को प्लॉट देने के नाम पर बड़ा खेल किया गया था। इस आर्थिक अनियमितता का मामला जब उजागर हुआ है तो इससे भी बड़ा कारनामा यहां के अधिकारियों ने कर दिखाया और इन मामलों से जुड़ी फाइलें ही गायब कर दी। साल दो हज़ार ग्यारह बारह में इन कॉलोनियों में आवंटस से जुड़ी छब्बीस फाइलें गायब हुई थी और इसमें एफआईआर भी दर्ज की गई थी।और जीडीए को भी कार्रवाई करनी थी लेकिन आज बारह साल बीत जाने के बाद भी इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
अब हम आपको बताते हैं के 12 साल बाद जमीन में गड़ा हुआ यह मामला अचानक कैसे ऊपर आया है? कुछ माह पूर्व ग्वालियर विकास प्राधिकरण का कार्यभार सीईओ नरोत्तम भार्गव ने संभाला है। उनके पास ऐसे कई पीड़ित हितग्राही इन स्कीमों से आ रहे थे जिनकी प्लॉट आवंटन को लेकर कुछ समस्याएं थी। जब इन हितग्राहियों को न्याय दिलाने के लिए नरोत्तम भार्गव अपने संबंधित तो से जानकारी लेते थे तो पता चलता था कि उसका रिकॉर्ड ही नहीं है। पूरे मामले की डिटेल लेने पर नृतम भार्गव जीके पकड़ में आया कि ये सब वही गड़बड़झाला माली। स्कीम के आवंटन के रिकॉर्ड हैं जो बारह साल पहले गायब कर दिए गए थे। सीईओ नर्तम् भार्गव की सक्रियता के चलते ही अब यह मामला फिर से उजागर हुआ है। उन्होंने पुलिस को पत्र लिखकर भी इस मामले में की गई कार्रवाई का अपडेट मांगा है।