करोड़पति कचरा कपड़ा व्यापारी बन गया कचरा सेठ अनोखे शोक से घरवाले भी परेशान

आपने बॉलीवुड की मशहूर फिल्म हंगामा में एक किरदार देखा होगा कचरा सेठ। कचरा सेठ जो करोड़पति था लेकिन कचरा सेठ के नाम से फिल्म में उसका किरदार मशहूर थाश लेकिन यदि हम आपको कहें कि असल जिंदगी में भी एक करोड़पति सेठ है जो कचरा सेठ के नाम से पूरे शहर में जाना जाता है तो शायद आप चौंक जाएं। लेकिन चौकिंए नहीं यह हकीकत है। यह हकीकत है मध्यप्रदेश के मुरैना जिले के एक कपडा व्यापारी की, जो है तो करोडपति लेकिन उसे घर में कचरा इकट्ठा करने का शौक है और कचरा भी कोई एक दो बोरी नहीं तनों कचरा जिसको फेंकने के लिए जेसीबी का सहारा लेना पड़ता है ट्रोलियां भर कर कचरा उसके घर से निकलता है।

दरअसल मुरैना के कपड़ा व्यापारी योगेश गुप्ता के परिवारजनों और पड़ोसियों ने वार्ड 23 के पार्षद से शिकायत की थी कि योगेश गुप्ता के घर में काफी सारा कचरा जमा किया हुआ है जिससे बदबू फैल रही है और लोग बीमार हो रहे हैं। शिकायत पर जब नगर निगम अमला पहुंचा तो वह देखकर हैरान रह गया। उसे मशीनों का प्रयोग कर कचरा घर के बाहर फेंकना पड़ा। जब कचरा घर के बाहर फेंका तो गली में इतना कचरा इकट्ठी हो गया। के उसे उठाने के लिए जेसी भी बुलानी पड़ी और जब जेसीबी ने कचरा उठाकर ट्रॉलियों में भरा तो 4 ट्रोली कचरा नगर निगम को वहां से फेंकना पड़ा। इस कचरे में फटे पुराने कपड़े प्लास्टिक का सामान वो तमाम ऐसी चीजें थी जिनका कोई उपयोग नहीं है।

यह पहला मामला नहीं है जब इस व्यापारी के घर से ढेर सारा कचरा निकला हो। इससे पहले 2022 में भी योगेश गुप्ता के घर पर कचरा पर जमा होने की शिकायत थी जिसमें नींबू आम के छिलके और तमाम नारियल के छिलके और तमाम गंदगी घर में भरी हुई थी जिसकी बदबू से अडोसी पडोसी परे परेशान थे उस समय भी शिकायत करने पर जब नगर निगम अमला पहुंचा था तो इस व्यापारी के घर से लगभग 12 ट्रोली कचरा निकाला गया था। इस व्यापारी को कचरा इकट्ठा करने का ऐसा शौक है कि यदि यह कहीं बाहर भी व्यापार के लिए जाता है तो वहां से भी फटे पुराने कपड़े और कचरा अपने बैगों में भर लाता है। जब यह व्यापारी कामकाज के लिए दिल्ली जाता है तो वहाँ से भी कपड़ों का कचरा अपने बैगों मे भर लाता है।

मनोचिकित्सकों का मानें तो यह एक प्रकार का मनोरोग है जिसमें किसी व्यक्ति को होर्डिंग हैबिट डेवलप हो जाती है। बचपन से ही उसको हर चीज़ काम की ओर उपयोगी लगने लगती है जिसको वह इकट्ठा करने लगता है उसे उस वस्तु को फेंकने का मन नहीं होता है और कहीं न कहीं उस वस्तु के उपयोग की आस में वह धीरे धीरे। ढेर सार या कचरा इकट्ठा कर लेता है।

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