बरसात के मौसम में ग्वालियर की जनता वैसे ही परेशान है क्योंकि यहां पर किसी भी और निकल। आइए हर सडक पर गड्ढई दिखाई देते हैं और जब जलभराव हो जाता है तो गड्ढे कहां होते हैं को कहा नहीं। वाहन चालकों को वाहन निकलना मुश्किल हो जाता है और पैदल चलने वालों को पैदल निकलना इस तरह के हालात होने के बावजूद भी। नगर निगम की लापरवाही का आलम यह है के कंपनी के ठेकेदारों को नियम विरुद्ध सड़कों पर गड्ढा खोदने की छूट दे रखी है।
मामला इंद्रमणि नगर मेला ग्राउंड के पीछे का है जहाँ के लिए एयरटेल के द्वारा सी की लाइन बिछाने के लिए गड्ढे खोदे गए हैं। इन गड्ढे खोदने में टेल कंपनी के ठेकेदारों द्वारा नगर निगम द्वारा दी गई शर्तों का पूरी तरह उल्लंघन किया जा रहा है हैऔर इसके बावजूद भी नगर निगम के जिम्मेदार आंख मूंदे बैठे हैं। मंजूरी की शर्तों के अनुसार यह गड्ढे खोदने का काम रात को किया जाना था लेकिन दिन में ही यह काम चल। रहा है।मंजूरी की एक और शर्त के अनुसार गड्ढे खोदने के बाद लाइन डलने के बाद गड्ढों को तुरंत भरकर जगह को रोलर से समतल किया जाना था जो नहीं किया गया हैै। काम किए जाने वाली साइट पर कोई बैरिकेट या नोटिस बोर्ड भी नहीं लगाए गए हैं जिससे वहां के राहगीरों को गड्ढों के बारे में जानकारी हो। अब यह गड्ढे रात के समय किसी बड़ी घटना का कारण बन सकते हैं।
नीचे दी गयी शर्तों पर मिली है मंजूरी जो तीस जून को खत्म हो चुकी है
इस मामले में सबसे बड़ा गड़बड़ झाला तो यह है के जिन शर्तों पर नगर निगम ने एअर टेल के ठेकेदारों को मंजूरी दी है। वह आदेश निकले दो माह हो चुके हैं। और मंजूरी की शर्त में साफ कहा गया है कि दो माह के भीतर आपको यह काम करना है और यह दो माह 30 जून को ही खत्म हो चुके हैं। और समय सीमा निकल जाने के बाद भी नगर निगम के जिम्मेदारों के संरक्षण में दो जुलाई को भी यह काम खुले आम चल रहा है। किसी मोहल्ले में केवल छज्जा या छोटी सी दीवार बनाने पर भी का हवाला देकर काम रुकवा देने वाला नगर निगम यहाँ अपनी आँखें मूंदकर कैसे बैठा है? इतना बडा काम भी सडक पर दिनदहाडे कैसे हो रहा है? यह सवाल खडे करता है कि नगर निगम की संलिप्तता भी इस कार्य में कहीं न कहीं है या फिर यह काम किसी सत्ताधारी नेता के संरक्षण में हो रहा है। इस वजह से नगर निगम के अधिकारी हाथ पर हाथ धरे।खामोश बैठे हैं। कारण कुछ भी हो लेकिन कल को इन गड्ढों की वजह से कोई हादसा होता है तो उसकी गाज नगर निगम के छोटे कर्मचारियों पर ही गिरेगी। बडे मगरमच्छ बचकर निकल जाएंगे और जिन माननीयों का संरक्षण है उनका तो नाम भी जनता के सामने नहीं आएगा। कुल मिलाकर नगर निगम के जिम्मेदार करो अधिकारियों और इनको संरक्षण देने वाले के माननियों और इनको आर्थिक रूप से पोषित करने वाले ठेकेदारों के संरक्षण में ग्वालियर गड्ढापुर बनता जा रहा है।
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