ग्वालियर शहर की ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने के लिए जितने भी प्रयास किए जाते हैं वे सभी लापरवाही और भ्रष्टाचारी की भेंट चढ़ जाते हैं। जब ट्रैफिक पुलिस चौराहों पर नजर आती थी तब मैनुअली ट्रैफ़िक को सुधारा जाता था और हालात काफी ठीक थे। ट्रैफ़िक व्यवस्था को सुधारने के लिए तकनीक का सहारा लेते हुए आईटी एमएस का प्रयोग किया गया। स्मार्ट सिटी के अधीन यह व्यवस्था लागू की गई लेकिन अब यह व्यवस्था जनता के लिए मुसीबत बन गई है।
आईटीएम का संचालन करने वाली निजी कंपनी पूरी तरह तानाशाह है। इस कंपनी के ऊपर किसी तरह की निगरानी नहीं है यही कारण है कि यह कंपनी अपनी मनमर्जी से आईटीएमएस का संचालन करती है। शहर में जब चाहे जिस चौराहे के आईटीएमएस ऑटो पे कर दिए जाते हैं और अचानक ही शुरू कर दिए जाते हैं इसकी कोई जानकारी न तो ट्रैफिक पुलिस को दी जाती ना ही। जनता को इसकी जानकारी होती है। इन चौराहों से निकलने वाले वाहन चालक कई बार आपस में टकरा जाते हैं और उनका विवाद भी होता है।
शहर के कई चौराहों के आईटीएमएस का जब रियलिटी चेक किया तो देखा की कई चौराहों पर दिन में काफी समय तक ट्रैफिक सिग्नल ऑटो पर करके ब्लिंग कर। रहे थे जिसको देखकर वाहन चालक भ्रमित थे। कई ऐसे चौराहे जैसे छह नंबर चौराहे का आईटीएमएस काम कर रहा था तो डेफेडिल स्कूल का बंद पड़ा था और आगे गोले के मंदिर चौराहे का काम कर रहा था। अब दोनों चौराहों के बीच के टैफोडिल का बंद करो। आईटीएमएस वाहन चालकों को भ्रम में डाल रहा था जिससे करो। वाहन टकराने की संभावना बन रही थी। डॉ॰ दर्शन सिंह रोड से आने वाले वाहनों के लिए तो स्थिति और खराब हो जाती है क्योंकि उधर से मोड दिखाई देता है और ट्रैफिक सिग्नल न चलने की वजह से जान जोखिम में डालकर वाहन चालकों को अपने वाहन निकालने होते हैं।
जैसा कि हम आपको बता चुके हैं कि आईटीएमएस संचालक निजी कंपनी की मनमानी से ट्रैफिक पुलिस भी है परेशान है क्योंकि किसी भी तरह की गड़बड़ या दुर्घटना होने पर लोग ट्रैफिक पुलिस को ही दोषी मानते हैं जबकि ट्रैफिक पुलिस को तो खुद ही नहीं पता होता। की शहर के किन चौराहों पर आईटीएमएस काम कर रहे हैं ओ कहाँ अचानक बंद कर दिए गए हैं। रियलिटी चेक में हमने देखा है गोले के मंदिर से फूलबाग तक के सभी चौराहों पर आईटीएमएस निजी कंपनी की लापरवाही से ब्लिंक कर रहे थे और वाहन चालक अपनी जान जोखिम ने डालकर इन सराहों से अपने वाहन निकाल रहे थे।
यहाँ गौर करने वाली बात यह है के आईटीएमएस संचालक निजी कंपनी द्वारा इतने लंबे समय से ऐसी लापरवाही की जा रही है। जनता की जान जोखिम में डाली जा रही है। इसके बावजूद आईटीएम में संचालक निजी कंपनी पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं हो रही है क्योंकि जब स्मार्ट सिटी के जिम्मेदारों से पूछा था के इस तरह की लापरवाही पर इस निजी कंपनी पर क्या कार्रवाई होती है तो स्मार्ट सिटी के जिम्मेदार अधिकारी करो अपनी तरफ से। के आंकड़े नहीं बता पाए थे और गोलमोल जवाब दे रहे थे। इससे साफ स्पष्ट है के स्मार्ट सिटी की लापरवाही और स्मार्ट सिटी की संरक्षण की वजह से ही इस निजी कंपनी को तानाशाही का मौका मिला हुआ है। और शहर के वाहन चालकों की जान जोखिम में है। ट्रैफ़िक पुलिस को आईटीएमएस का संचालन पूरी तरह से अपने अधीन लेना चाहिए जिससे शहर की ट्रैफिक व्यवस्था सुचारू रूप से चल सकें और वाहन चालकों को परेशानी न हो।
शहर के चैराहों के ट्रैफिक सिग्नल्स की हकीकत इस वीडियो में देखें