शहर की बदतर होती जा रही ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर शहर के तमाम चौराहों पर आईटीएमएस जिसे इंटेलीजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम कहा जाता है, का में प्रयोग किया गया था। लेकिन यह सिस्टम इतना इंटेलीजेंट निकला के इसकी इंटेलीजेंसी के कसीदे सुनकर आप अपना माथा पीटने लगेंगे। बात ग्वालियर कीकरें तो आईटीएमएस लगने के बाद न तो जनता को कोई राहत मिली है ना ही ट्रैफिक पुलिस का सर दर्द कम हुआ। ट्रैफ़िक व्यवस्था सुधारने के लिए लागू की गई यह महत्वाकांक्षी व्यवस्था उल्टा जनता के लिए फजीहत और ट्रैफिक पुलिस के लिए आफत बन गई है।
शहर के मुख्य पड़ाव चौराहों पर शुक्रवार 28 जून 2024 को पांच बजे बंद आईटीएमएस
आपको बता दें कि इंटेलीजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम का कंट्रोल कमांड सेन्टर स्मार्ट सिटी के मुख्यालय में है। और इस व्यवस्था को स्मार्ट सिटी के अंतर्गत ही लागू किया गया है लेकिन लगता है ही स्मार्ट सिटी करो के अधिकारियों का इस व्यवस्था पर कोई कंट्रोल नहीं है। इस बारे में स्मार्ट सिटी के एक जिम्मेदार अधिकारी ने बढ़ा बेतुका बयान देते हुए बताया की आईटी एमएस करो स्मार्ट सिटी करो कंट्रोल नहीं करता। यह एक निजी कंपनी को दिया हुआ है। निजी कंपनी ही इसको कंट्रोल करती है। इस बेतुके बयान में और बेतुकापन जोड़ते हुए उन्होंने आईटीएमएस में हो रही गड़बड़ का ठीकरा ट्रैफिक पुलिस के सर फोड़ दिया और बताया के ट्रैफिक पुलिस आईटीएमएस की को रेगुलेट करती है। स्मार्ट सिटी के तमाम प्रोजेक्ट के बारे में तो आप जानते ही हैं कि वह किस तरह से धराशाई हुए हैं करोड़ रुपए बहा देने के बाद भी जनता को उन प्रोजेक्ट्स की सुविधाएं नहीं मिली है और आईटीएम भी उन्हीं में से के प्रोजेक्ट है जो स्मार्ट सिटी की मानें तो एक निजी कंपनी के भरोसे या एक निजी कंपनी की तानाशाही या एक निजी कंपनी की लापरवाही में चल रहा है।
जनता ऐसे है परेशान
आईटीएम के तहत विभिन्न चौराहे पर लगाए गए ट्रैफिक सिग्नल राम भरोसे चलते हैं। कब कितने समय पर किधर का ट्रैफिक अचानक खुल जाए और बंद हो जाए करो इस गफलत में कई बार आम वाहन चालक परेशान होते हैं। आईटीएम में इतनी तकनीकी खामी है कि करो जब यह अचानक बंद हो जाते हैं तो वाहन चालक समझ नहीं पाते कि उन्हें रुकना है या निकलना है और इस वजह से कई चौराहों पर ट्रैफिक जाम की समस्या भी पैदा हो जाती है करो करो और कई बार इस गफलत में ही वाहन चालक चौराहे से क्रॉस कर जाते हैं। और आईटीएम का संचालन कर रही निजी कंपनी केवल एक ही काम बड़ी शिद्दत से करती है। वह है इन वाहन चालकों के वाहनों के नंबर प्लेट की फोटो खींच इनके संबंधित पते पर ई चालान पहुंचाना। वाहन चालकों की मानें है। यह आईटीएमएस ट्रैफिक सुधारने की बजाय एक फजीहत करो बन गई है।
ट्रैफ़िक पुलिस ऐसे हैं परेशान
आई टी एम एस इतनी ज्यादा इंटेलिजेंट व्यवस्था है ही ट्रैफिक पुलिस का सरदर्द भी बढ़ा रही है। तकनीकी खामी के कारण कहीं भी कभी भी आईटीएमएस फेल हो जाता है तो चौराहों पर वाहन चालक जब बेतरतीब तरीके से निकलने लगते हैं है तो वहां जाम की स्थिति पैदा हो जाती है और चौराहों से इन जाम को हटाने के लिए ट्रैफिक पुलिस को और दुगनी मशक्कत करनी पड़ती है। ट्रैफिक पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया के गुरुवार को भी तकनीकी खामी की वजह से आईटीएमएस कई चौराहों जैसे राजमाता चौराहा विवेकानंद चौराहा चेतकपुरी चौराहा पर अचानक बंद हो गए थे जिस वजह से इन चौराहों पर करो भीषण ट्रैफिक जाम हो गया था। ट्रैफिक पुलिस के अधिकारी ने आईटीएमएस संचालक निजी कंपनी पर यह भी आरोप लगाया यह कंपनी अपने मर्जी से जाए जब ट्रैफिक सिग्नल ऑटो पर या लिंक पर करके छोड़ देती है जिसका खामियाजा ट्रैफिक पुलिस को भी भुगतना पडता है। जबकि ट्रैफ़िक पुलिस ने आईटीएमएस संचालकों को बार बार समझाइश दी है कि वह अपनी मर्जी से यह सब न किया करें। यहाँ बड़ा सवाल यह उठता है कि जब ट्रैफिक पुलिस को ही मैदान में उतरकर यातायात व्यवस्था सुधारनी है, तो करोड़ों रुपए खर्च कर जिस आइटीएमएस का संचालन हो रहा है और जो निजी कंपनी चांदी काट रही है उसकी क्या जवाबदेही बनती है?
यहां बैठकर होता है ट्रैफिक व्यवस्था से खिलवाड़ यह है कंट्रोल कमांड सेंटर
गैर जिम्मेदार निजी कंपनी की मौज
ट्रैफिक पुलिस के आरोप से अब समझ सकते हैं। की निजी कंपनी आईटीएमएस के संचालन में किस? तरीके से मनमानी करती है। कभी भी ट्रैफिक सिंगल को अपने हिसाब से बंद या चालू कर देती है। ट्रैफिक को सुचारू रखने के लिए आईटीएमएस में तमाम तकनीकी खामियां होती है जिन्हें समय पर नहीं सुधारा जाता है। यही कारण है कि आईटीएमएस लगने के बाद भी करो शहर की ट्रैफिक जेम की समस्या में कोई सुधार नहीं हुआ है और तमाम चौराहों पर ट्रैफिक की हालत बद से बदतर हो गई है। निजी कंपनी अपनी मनमर्जी से आईटीएमएस का संचालन कर रही है। ट्रैफिक पुलिस से कोऑर्डिनेट नहीं कर रही है। जनता की परेशानी का कारण बन रही है। स्मार्ट सिटी के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट इसमें करोड़ों रुपया खर्च हुआ है उस करोड़ों रुपये के बारे न्यारे कर रही है।
स्मार्ट सिटी का तो रोल ही नहीं पता
इंटेलीजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम्स के कारनामों के बारे में सबसे रोचक बात यह है के स्मार्ट सिटी के द्वारा लागू किया गया व स्मार्ट सिटी के मुख्यालय से ही संचालित आईटीएमएस संचालक निजी कंपनी पर स्मार्ट सिटी का कोई कंट्रोल ही नहीं है। स्मार्ट सिटी के जिम्मेदार साहब यह नहीं बता सके ही इस निजी कंपनी द्वारा करो गड़बड़ होने पर या काम में खामियां पाए जाने पर या इसकी शिकायत मिलने पर इस पर कब और कितनी कार्रवाई की गई है? स्मार्ट सिटी जब भी अपने किसी प्रोजेक्ट को ठेके पर देता है तो वह प्रोजेक्ट केवल जनता की परेशानी और लूट का साधन बन जाता है। सावकर सरोवर भी जब स्मार्ट सिटी ने एक निजी कंपनी को दिया था तो वह प्रवेश शुल्क के रूप में दुगुनी राशि वसूल रहा था। अपनी मर्जी से चलने वाला आईटीएमएस भी अब वाहन चालकों से वसूली मात्र का साधन बन गया है और ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने में पूरी तरह नाकाम साबित हुआ है। इन सबके बावजूद स्मार्ट सिटी के जिम्मेदारों का खामोश बैठना कई सवाल खड़े करता है।
आईटीएमएस और भिखारियों का रोचक रिश्ता
समाजसेवी व राजनीतिक विश्लेषक विनय अग्रवाल ने आईटीएमएस से संबंधित तमाम खामियों का खुलासा किया। उनका साफ कहना था की आईटीएमएस के लागू होने के बाद से शहर की ट्रैफिक व्यवस्था और ज्यादा बिगड़ गई है। करो। यह ट्रैफिक सिग्नल कितने इंटेलिजेंट हैं की यह कुछ चुने हुए वाहन चालकों को ही बार बार ई चालान भेजते हैं। इस सिस्टम की जद में कभी भी किसी वीआईपी की गाडी आई हो इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। जबकि मैंने कई चौराहों पर एसडीएम तहसीलदार और पुलिस की गाड़ियों को ट्रैफिक सैंडल तोड़कर निकलते देखा है। कई चौराहे पर ट्रैफिक सिग्नल दौडऩे पर पहुंचने वाले ई चालान पर विनय अग्रवाल ने बड़ा ही ने अजीबो गरीब खुलासा किया है। उनका कहना है की चौराहे पर जो भिखारी के खड़े रहते हैं कई बार उनसे दूरी बनाने के लिए भी वाहन चालक अपने वाहन 2 या 4 मीटर आगे पीछे कर लेते हैं। जिसकी वजह से उनका ई चालान आ जाता है ऐसा लगता है कि इस आईटीएमएस संचालक कंपनी का इन भिखारियों के साथ भी कुछ गठबंधन है ये भिखारी ट्रैफिक सिंगल के समय ही वाहन चालकों को परेशान करते हैं और इसका लाभ आईटीएमएस संचालक कंपनी को पहुंचता है। विनय अग्रवाल ने मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव से अपील की है कि उन्हें संज्ञान लेकर स्मार्ट सिटी के अधीन संचालित एन आईटीएमएस की कार्यप्रणाली को सुधारने की ओर ध्यान देना चाहिए।
ऐसा हो सकता है ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार
आईटीएमएस (इंटेलीजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम) केवल इंटेलीजेंट ही नहीं ओवर इंटेलिजेंट है। उसका कारण है इसके पीछे काम कर रहे है अयोग्य लोग। यह ओवर इंटेलीजेंट लोग ओवर इंटेलीजेंट तो बहुत है लेकिन इतने योग्य नहीं कि यहां हम इनके नाम का खुलासा करें। करोड़ रुपए खर्च कर संचालित आईटीएमएस निजी कम्पनी के हाथो में होने कारण ट्रैफ़िक व्यवस्था सुधारने में फेल है और केवल जनता की परेशानी का कारण बन गया है। यदि शहर की ट्रैफिक व्यवस्था सुधारनी है तो इस व्यवस्था को पूरी तरह ट्रैफ़िक पुलिस के करो कंट्रोल में देना चाहिए। ट्रैफ़िक पुलिस के पास योग्यता भी है और अमला भी है और ट्रैफ़िक सुधारने का अनुभव भी। जबकि स्मार्ट सिटी एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी है और यह नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) की तरह है जिनके पास खुद के संसाधन नहीं हैं लेकिन बड़ी बड़ी परीक्षाएं आयोजित कराने में जिस तरह से तमाम गड़बड़ झाला हुए वह आपके सामने हैं। और इस गबड़झाला का कारण था निजी कंपनियों द्वारा आउटसोर्सिंग कराना और वही हालात आईटीएमएस के हैं। यह भी करोड़ों रुपये का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट निजी कंपनी के हवाले राम भरोसे चल रहा है। इस व्यवस्था में सुधार न केवल शहर के ट्रैफ़िक व्यवस्था को बेहतर बनाएगा बल्कि जनता की बढ़ी हुई परेशानियों को भी कम करेगा और ट्रैफिक पुलिस के सरदर्द को भी कम करेगा।
शहर के मुख्य चौराहे पड़ाव पर घंटों बंद पड़ा आईटीएमएस, देखिए गाडीया भिड़ते निकल रही है