मानसून का नाम लेते ही चेहरे पर सुकुन और गर्मी से राहत मिलने का आभास होने लगता है लेकिन यह आभास बारिश होनेसे पहले तक ही सुहाना लगता है और जैसेही बारिश होने लगती है सुकून काआभास अचानक ही तमाम परेशानियों में बदल जाता है और एक आम नागरिक को अपने घर या ऑफिस से निकलते ही आभास होने लगता है कि मानसून जितना सुकून लेकर आया है उससे ज्यादा तो परेशानियां सामने आ गईहै। लेकिन यह परेशानियां मानसून निर्मित हैं या गैर जिम्मेदारों द्वारा थोपी गई है यह आप खुद निर्णय लें।
रविवार शाम को चंद पाल की बारिश ने शहर की जनता को चांद तारे दिखा दिए और शहर में ऐसे कई क्षेत्र नजर आए जहां पर सड़क पानी से लबालब नजर आए। यह पानी आसपास के नालों और सीवर से तूफानलेकर सड़कों तक पहुंच रहा था। कई मुख्य मार्गों पर लोगों को अपनी गाड़ियां निकालने में परेशानी का सामना करना पड़ा गाड़ियों के पहिए पानी में डूबे हुए नजर आए। तो वही पैदल राहगीरभी गंदे पानी मैं होते हुए निकालने को मजबूर नजर आए। हालांकि नगरनिगम ने दावा किया था कि आगामीमानसून की तैयारी के लिए नल और चैंबर साफ कर दिए गए हैं लेकिन शहर में जो हकीकत नजर आई वह इसबात पर मोहर लगा रहे थे कि यह चैंबर और नाले केवल कागजों पर साफ किए गए हैं।
नगर निगम की इस मेहरबानी के चलते शहर के नागरिकों ने मानसून का स्वागत गंदे बदबूदार पानी को सहते हुए और गटर की गंदगी में चलते हुए किया। शहर के कई पॉश एरिया में भी सीवर ओवरफ्लो होते हुए नजर आए जो चीज सीख कर हकीकत बता रहे थे कि उनकी सफाई नहीं की गई है। कई गली मोहल्ले में नालियां जाम होने से उनका गंदा बदबूदार पानी सड़कों पर भरा हुआ नजर आया। इन सब हकीकत की वजह से शहर की जनता जी मानसून का इंतजार कर रही थी और जिस मानसून से वह सुकून चाह रही थी उसे मानसून की वजह से थोड़ी सी बारिश होते ही नागरिकों को मजबूरी बस मानसून का स्वागत गटर की बदबू और नाले के गंदे पानी से लबालब सड़कों को सह कर करना पड़ा।