उज्जैन भोपाल मध्य प्रदेश: उज्जैन के महाकाल मंदिर जीर्णोद्धार सरकार के लिए नासूर बनता नजर आ रहा है। पहले भी कई बार यहां का घटिया निर्माण सुर्खियों में रहा है और बार-बार इस पर पर्दा डालने का। इसकी कमियां छुपाने का प्रयास भी होता रहा है। और एक बार फिर यह नासूर दिखाई देने लगा है। क्योंकि कई जगह पर माहता निर्माण में खामिया नजर फिर से आने लगी हैं। अब जो खबर निकलकर आ रही है उसकी माँ ने तो यदि यह खामियाँ सुधारी नहीं जाती हैं। तो आने वाले समय में बड़ा हादसा हो सकता है। श्रद्धालु को खतरा हो सकता है।
महाकाल मंदिर का घटिया निर्माण पहली बार उस समय सुर्खियों में आया था जब दो साल पहले मई के महीने में आंधी चलने से वहाँ बनी सप्त ऋषियों की मूर्तियां टूटकर जमीन पर बिखर गई थीं। गुजरात की बाबर या फ़न ने इन मूर्तियों को बनाने में क्या कारीगरी की थी। वह उस समय कुछ समय तक सुर्खियों में रही और उसके बाद ठंडे बस्ते में डाल दी गई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 अक्टूबर 2022 को उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर के नए परिसर ‘महाकाल लोक’ का लोकार्पण किया था. जिसके बाद देश विदेश से लगातार श्रद्धालु महाकाल लोक को निहारने पहुंचते हैं। लेकिन महाकाल लोक में हुए गुणवत्ताहीन निर्माण की पोल जरूर खुल गई. घटना की जानकारी मिलने के बाद जिला कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम मौके पर पहुंचे और मूर्तियों को पुनः स्थापित करने के निर्देश दिए। लेकिन अब एक बार फिर महाकाल मंदिर के घटिया निर्माण का जिन्न बाहर निकल आया है और चीख चीख के कह रहा है कि भ्रष्टाचार की दीमक इस मंदिर के खंभों में लगी हुई है और इन खंभों को खोखला कर चुकी है।

महाकाल मंदिर परिसर में 265 करोड की लागत से उज्जैन विकास प्राधिकरण काम करा रहा है। इसमें तमाम तमाम गड़बड़ नज़र आ रही है जो खंभे लगाए गए हैं। उनके फाउंडेशन अभी से जर्जर है। मंदिर की छत से पानी टपक रहा है। और यह सब खुलासा सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट रुड़की की जाँच में हुआ है। और यहां सबसे बड़ी हैरान करने की बात यह है के जब यह जाँच की गई और इस जांच के बाद गड़बड़ सामने आने लगी तो यह जांच रिपोर्ट ही गायब करा दी गईं।
इस रिपोर्ट के जो अंश मीडिया में पहुंचे हैं वह आपको भी हैरान कर देंगे। इस रिपोर्ट में साफ लिखा है के खंभों के नीचे जो बेस लगा है वह क्षतिग्रस्त हो चुका है। जहां मजबूत ग्रेनाइट स्टोन लगाना था वहां सस्ता सेंट स्टोन लगाया गया। पत्थरों। को जोड़ते समय उनके बीच दरारें छोड़ दी गयीं। छतों में जगह-जगह पानी टपक रहा है। मंदिर की मुंडेर और छत। बहुत खराब हालत में हैं। मंदिर का छोटा शिखर और रेलिंग भी क्षतिग्रस्त हैं। निर्माण में जो सामग्री इस्तेमाल की गई है वह घटिया है। दीवार पर लगे पत्थर भी कभी भी गिर सकते हैं।
अब आप सोचिए जो उज्जैन विकास प्राधिकरण एक मंदिर के निर्माण में इतना घटिया सामान प्रयोग कर सकता है और इस मंदिर से जुड़ी आस्था का मजाक बना सकता है। हिंदुओं की भावना से खिलवाड़ कर सकता है वह उज्जैन विकास प्राधिकरण। अन्य निर्माण कार्यों में कितनी बड़ी लापरवाही करता होगा। खैर जैसे पहले महाकाल मंदिर के घटिया निर्माण पर सवाल खड़े हुए थे। मामले सुर्खियों में थे उसके बाद उन। पर परदा डाल दिया गया था। आइए फिर से एक बार पर्दा गिरने का इंतजार करते हैं!
