भोपाल मध्य प्रदेश: पिछले कुछ सालों में मध्यप्रदेश में तेजी से मेडिकल कॉलेज खुले हैं। गई सरकारी मेडिकल कॉलेज खोले गए हैं तो कई प्राइवेट भी शुरू हुए हैं। और अभी आगे भी 2 , 3 साल में कई नए मेडिकल कॉलेज खोले जाएंगे। लेकिन वर्तमान में जो 13 सरकारी मेडिकल कॉलेज संचालित हो रहे हैं वह किस स्तर की शिक्षा छात्रों को दे रहे हैं और किस स्तर के डॉक्टर्स यहां से तैयार हो रहे हैं इसका खुलासा तब हो गया। अब नेशनल मेडिकल कमीशन ने अपनी जाँच में इन मेडिकल कॉलेज में कई खामियां पाई। इस जाँच के बाद यह सवाल उठने लगा कि क्या केबल नाम के लिए मेडिकल कॉलेज खोले गए हैं वहां शिक्षा व्यवस्था शून्य है?
नेशनल मेडिकल कमीशन की जांच में डेरा सरकारी मेडिकल कॉलेजों में कई कमियां पाई गई हैं। एनएमसी ने इन कॉलेजों को 4 से 7 बिंदुओं पर नोटिस जारी कर। पूछा है जब न मरीज भर्ती हो रहे हैं एमआरआई जैसे टेस्ट हो रहे हैं न छात्रों को प्रैक्टिकल कराने के लिए कैडेवर( मृत शरीर) है और न फैकल्टी क्लास अटेंड कर रही है तो ये कॉलेज आखिर चला कैसे रहे हैं? जांच तीन से सात मई के बीच हुई और सभी कॉलेजों पर मेडिकल एजुकेशन रेगुलेशन 2023 के उल्लंघन का आरोप लगा है। इससे साफ होता है यह मैडीकल कॉलेज अपने छात्रों को स्तरहीन शिक्षा दे रहे हैं और योग्य डॉक्टर्स कहाँ से निकल रहे हैं।

मध्यप्रदेश के ज्यादातर सरकारी मेडिकल कॉलेजों में फैकल्टी की कमी है भोपाल के गवर्नमेंट गांधी मेडिकल कॉलेज की बात करें तो यहां सभी 20 विभागों में फैकल्टी। की संख्या में कमी है। क्लिनिकल पैथोलॉजी अधूरी है। जबलपुर मेडिकल कॉलेज में भी फैकल्टी और ट्यूटर कम है। ग्वालियर गजरा राजा मेडिकल कॉलेज में भी 20 में से 19 विभागों में स्टाफ की कमी है। नीमच मेडिकल कॉलेज में एमआरआई मशीन तक नहीं है। फॉर्म सी और वीडियो रिकॉर्डिंग तक नहीं उपलब्ध है। सागर मेडिकल कॉलेज में परीक्षाओं की वीडियो रिकॉर्डिंग और अन्य सीबी गायब है शिवपुरी शहडोल और रतलाम के मेडिकल कॉलेजों में भी फैकल्टी कम है।
अब आप समझ सकते हैं कि जब सरकारी मेडिकल कॉलेज का यह हाल है तो निजी मेडिकल कॉलेजों में शिक्षा का स्तर क्या होगा? मध्य प्रदेश सरकार का पूरा फोकस तेजी से मेडिकल कॉलेज की संख्या बढ़ाना है और कई अन्य जगह भी मेडिकल कॉलेज खोले जा रहे हैं लेकिन इस जल्दबाजी के चलते मेडिकल एजुकेशन के स्तर को ताक पे रख दिया है और तमाम खामियों के बीच में यह मेडिकल कॉलेज संचालित हो रहे हैं। अब एनएमसी ने इन सभी मेडिकल कॉलेजों को 7 बिंदुओं पर नोटिस दिया है। जिसका जवाब इन कॉलेजों को सात दिन के अंदर देना है यदि संतोषजनक जवाब नहीं मिलता है हर बिंदु के उल्लंघन पर हर कॉलेज को एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
