Education

एमपी में बदहाल शिक्षा: हाईवे किनारे टपरे में पढ़ने को मजबूर बच्चे, हकीकत चौंकाने वाली है!

भोपाल मध्य प्रदेश: मध्य प्रदेश सरकार शिक्षा व्यवस्था के स्तर सुधरने की कितने भी बातें और दावे कर लें? लेकिन हकीकत में मध्यप्रदेश की शिक्षा व्यवस्था की तस्वीर एकदम उलट है।  जहां एक और उच्च गुणवत्ता वाले सीएम राइज स्कूल बनने की बात मध्यप्रदेश सरकार कर रही है वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसे भी स्कूल हैं जहां बच्चों के बैठने के लिए एक कमरा भी उपलब्ध नहीं है। ऐसी ही तस्वीर सामने आ रही है शिरोंज के मुरादपुर प्राथमिक शाला। से जहाँ ही बदहाली साफ बयां कर रही है कि मध्यप्रदेश की शिक्षा व्यवस्था उस तरह ये तो कतई नहीं है जो सरकार दावे करती है। 

सिरोंज की मुरादपुर प्राथमिक शाला में जो प्राथमिक  विद्यालय है, उसकी शुरुआत आज से 11 साल पहले 2000। 1314 में हुई थी लेकिन तब से लेके आज तक इस प्राथमिक शाला के लिए स्कूल भवन नहीं बन सका है और यही कारण है कि इस स्कूल की कक्षाएं भोपाल सिरोंज स्टेट हाईवे के किनारे ही बने एक छोटे से टपरे में चल रहा है। इस प्राथमिक शाला में तेईस बच्चों को प्रवेश दिया गया है लेकिन हालात यह है यहां इन बच्चों के बैठने तक की व्यवस्था नहीं है। सूत्र बताते हैं कि 11 साल पहले जब यह स्कूल शुरू किया गया था। तब से कभी ग्रामीणों की दहलान में तो कभी कमरों में कक्षा चली। इसके बाद एक कमरा किराए से लेने। की कोशिश भी की गई लेकिन मकान मालिक ने अभी नहीं दिया। इस कारण अब यह स्कूल। एक टपरे में संचालित है और ये बच्चे टपरे में ही पढ़ने को मजबूर हैं।

मुराद पुर प्राथमिक शाला सिरोंज विकासखंड का अकेला एक ऐसा स्कूल नहीं है जिसके पास भवन नहीं है बल्कि इस विकासखंड में तमाम ऐसे स्कूल हैं जो कहीं टपरे।में तो कहीं पेड़ के नीचे संचालित है। कुछ अन्य स्कूल हैं भी तो वह जर्जर भवन में चल रहे हैं। इस तरह पूरे विकासखंड में शिक्षा बदहाल है और बिना समुचित संसाधनों के पढ़ने के लिए बच्चे मजबूर हैं। सिरोंज विकासखंड में मुरादपुर, चौड़ा खेड़ी भूरी टोरी बिशनपुर हरिजन बस्ती, अयोध्या बस्ती सहित 8 स्कूल भवन विहीन हैं. ये स्कूल पेड़ के नीचे या किसी चबूतरे पर संचालित हो रहे हैं। 

स्कूल की बदहाली के संबंध में बीआरसी ओम प्रकाश रघुवंशी बताते हैं कि हर साल स्कूल भवन की मांग पत्र तैयार कर शासन को अवगत कराते हैं और हम क्या कर सकते हैं। इस प्राथमिक शाला में दो शिक्षिकाएँ शत्रुखानं और सुनंदा शर्मा पदस्थ हैं और दोनों ही नियमित रूप से इस टप्रे में बच्चों को पढ़ाने के लिए आती हैं। ये शिक्षिकाएं भी इस कपड़े में पढ़ाने को मजबूर हैं लेकिन उनको भी इस बात का दर्द है कि इतने सालों तक इस स्कूल को एक स्थाई जगह नहीं मिल रही है, जहां पर भी ग्रामीण जगह उपलब्ध करा। देते हैं, वहीं स्कूल का संचालन होने लगता है। इस स्कूल की यह बदहाली मध्य प्रदेश सरकार के उन सभी दावों की पोल खोल रही है जिसमें वह सरकारी स्कूलों के शिक्षा के स्तर में सुधार और बेहतरीन गुणवत्ता की बात करते हैं। 

Gajendra Ingle

Our vision is to spread knowledge for the betterment of society. Its a non profit portal to aware people by sharing true information on environment, cyber crime, health, education, technology and each small thing that can bring a big difference.

Recent Posts

अनीता आनंद हो सकती है कनाडा की पहली भारतीय मूल की प्रधानमंत्री, जानिए कौन है अनिता आनंद

नई दिल्ली: कनाडा के प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो के इस्तीफे के बाद सभी के मन में…

2 hours ago

प्रयागराज महाकुंभ शाही स्नान की तिथियाँ

प्रयागराज,  उत्तर प्रदेश: जब भी महाकुंभ की बात होती है तो सबसे पहले श्रद्धालुओं के मन…

2 hours ago

टैक्स चोर पूर्व भाजपा विधायक, आयकर के छापे में मिली अकूत संपत्ति हो रहे चौंकाने वाले खुलासे

सागर, मध्य प्रदेश: आयकर विभाग ने रविवार को सागर में बड़ी कार्रवाई करते हुए भाजपा के…

12 hours ago

ISRO के नए चीफ वी नारायणन, 40 साल के अनुभव के साथ और क्या कुछ है इनमें खास, जानिए

नई दिल्ली: इस्रो ने अपना नया मुखिया वी॰ नारायणन को बनाया है। इसरो यानी इंडियन…

12 hours ago

दिल्ली चुनाव तारीखों का ऐलान, 5 को वोटिंग और 8 फरवरी को रिजल्ट

नई दिल्ली: द इंग्लेज पोस्ट की खबर पर मुहर लगाते हुए चुनाव आयोग ने मंगलवार…

1 day ago

32 दिन डिजिटल अरेस्ट रख 71 लाख की ठगी, सायबर ठगी का अनोखा मामला

ग्वालियर, मध्य प्रदेश: लगातार बढ़ते हुए डिजिटल मामलों को रोकने के लिए गृह। मंत्रालय की…

1 day ago