मुरैना , ग्वालियर मध्य प्रदेश: चंबल के तमाम घाटों पर अवैध रेत उत्खनन चलता रहता है। ऐसा ही एक घाट है नंदपुरा और नंदपुरा घाट पर एक बार फिर रेत माफिया और वन विभाग के बीच में झड़प हुई है। अवैध रेत ले जा रही एक ट्रैक्टर ट्रॉली। को 1 विभाग ने पकड़ा और पकड़ने के बाद जब वह ले जाने लगे तो लोगों की भीड़ ने 1। विभाग की टीम को घेर लिया और जमकर पथराव किया। इस पूरे मामले में जिस तरह से रेत ले जा रहे लोगों ने 1। विभाग की टीम पर हमला किया है। वह साफ बताता है कहीं न कहीं रेत के अवैध कारोबार करने वाले रेत माफियाओं को राजनीतिक संरक्षण मिला हुआ है।
शनिवार रात को जब 1 विभाग ने रेत कि अवैध उत्खनन पर यह कार्रवाई की तो हमलावर इतने ज्यादा आक्रोशित थे।। कि उन्होंने वनपाल महेश धाकडा 1 रक्षक सुनील कंसाना को पत्थर मार मार के घायल कर दिया। 1 विभाग की टीम की गाड़ियां भी टूट गई इस पूरे मामले में। चौंकाने वाली बात यह रही कि 1 विभाग की टीम के साथ एसएएफ। के 4 जवान भी बंदूकों के साथ मौजूद थे। उन जवानों ने ना तो बाहर निकलकर पथराव का विरोध किया नहीं 1 विभाग के कर्मचारियों को बचाया और न ही रेत माफिया को खदेड़ने के लिए हवाई फायर तक किया।

इस पूरे मामले में जो जानकारी निकलकर आ रही है। उसके अनुसार के जवानों को डर था कि यदि वह गाड़ी से बाहर निकलेंगे तो रेत माफिया उनकी बन्दूकें छीन लेंगे। अब वजह यही रही या कुछ?और यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा। आपको बता दें कि इस तरह से 1 कर्मचारियों पर हमले की यह पहली घटना नहीं है। कुछ दिन पूर्व भी इसी तरह की घटना हुई थी और उसके बाद जब मुरैना क्षेत्र के मंत्री अदल सिंह कंसाना से मीडिया से पूछा था रेत माफिया हावी है तो उन्होंने रेत माफिया को पेट माफिया कह दिया था। लेकिन जिस तरह से ये रेत माफिया हमलावर है जो साहसी हैं और किसी भी हद तक जानने को तैयार हैं तो ऐसा लगता है ये रेत माफिया पेट माफिया नहीं मौत माफियाँ हैं। और रेत और अन्य वन्य उपज को बचाने वाले वन विभाग के कर्मचारी की जिंदगी दांव पर लगी हुई है।
आपको बता दें 1 विभाग की देवरी रेंज के एसडीओ भूरा गायकवाड लगातार सक्रिय हैं। वह वन विभाग के क्षेत्र में आने वाले अन्य वन्य सामग्री और रेत के अवैध उत्खनन पर लगातार कार्रवाई कर रहे हैं।लगातार कार्रवाई के चलते वे खासी सुर्खियों में भी हैं। नंदपुरा घाट पर हुई इस कार्यवाही का श्रेय भी उन्हें ही जाता है। एसडीओ भूरा गायकवाड मुरैना की टीम के साथ नंदपुरा घाट जा रहे थे। रास्ते में ही उन्हें अवैध रेत ले जाती। ट्रैक्टर ट्रॉली दिख गई जिसे उन्होंने घेरकर पकड़ लिया लेकिन ट्रॉली का ड्राइवर भाग निकला और अपने साथियों को सूचना देकर तमाम लोग इकट्ठा कर लिए। इसके बाद मौके पर आए रेत माफिया ने ट्रैक्टर ट्रॉली छुड़ाने के लिए वन विभाग की टीम पर पथराव कर दिया। हालांकि यह वन विभाग के टीम की जांबाजी रही कि उन्होंने हिम्मत से रेत माफिया का सामना किया ट्रैक्टर ट्रॉली को ले जाने के लिए उन्हें कामयाब नहीं होने दिया और ट्रैक्टर ट्रॉली को देवगढ़ थाने में लाकर एफआईआर दर्ज करा दी।

जिस तरह से खुले आम चंबल नदी में कई घाटों पर अवैध उत्खनन हो रहा है जिसका जिक्र एक बार पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती भी कर चुकी हैं क्योंकि जब वह चंबल नदी पर पुल से गुजर रही थी तो उन्हें भी नीचे अवैध उत्खनन होता दिखाई दिया था। अब सवाल यह उठता है कि इस तरह खुले आम अवैध उत्खनन क्यों चल रहा है? क्या यह प्रशासन की निगाह में नहीं है या प्रशासन किसी राजनीतिक दबाव में आँख मूँदे बैठा है। क्योंकि राजनीतिक दबाव जहां होता है वहां प्रशासन को या तो आँख मूंदकर बैठना होता है या अपने तबादले के लिए तैयार रहना होता है। जब चंबल में रेत माफिया इतना हावी है तो क्या कहीं ऐसा तो नहीं के? किसी मंत्री जी का संरक्षण इस मृत माफिया को है जिसके चलते वह इस तरह के दुस्साहस तक करने से नहीं चूकते?