भोपाल मध्य प्रदेश: प्रदेश की राजधानी भोपालमैन पुलिस कमिश्रेट व्यवस्था महिला अपराधों को रोकने में नाकाम साबित नजर आ रही है। सरकार ने बड़ी महत्वाकांक्षा के साथ नौ दिसंबर 2021 से भोपाल व इंदौर में पुलिस आयुक्त व्यवस्था लागू की थी। दावा था कि इस प्रणाली में अपराध घटेंगे। दोषियों को सजा जल्दी मिल सकेगी। पुलिस अधिकारियों के नाम और व्यवस्था बदल गई, पर अपराध कम नहीं हुए। हालत यह है कि दोनों शहरों में व्यवस्था लागू होने के बाद भी महिलाओं के प्रति अपराध बढ़ते गए। पुलिस मुख्यालय की एक रिपोर्ट के अनुसार दिसंबर 2021 से मई 2024 यानी लगभग ढाई वर्ष में इंदौर में दुष्कर्म की 849 घटनाएं हुईं। इनमें 397 नाबालिग थीं।
भोपाल में दुष्कर्म के 891 प्रकरण कायम किए गए। इनमें 369 नाबालिग थीं। इस तरह दुष्कर्म की घटनाएं इंदौर में भोपाल से कम रहीं, पर नाबालिगों के साथ इंदौर में अधिक घटनाएं हुईं। महिला अपराध ही नहीं, सामान्य अपराध भी दोनों जगह बढ़े हैं। भोपाल में वर्ष 2022 में 360, 2023 में 356 और वर्ष 2024 में मई तक 184 नाबालिग गुम हुईं। हालांकि, इनमें 90 प्रतिशत से अधिक को पुलिस ने खोज लिया, पर सुरक्षा और व्यवस्था पर प्रश्न बरकरार हैं।
भोपाल में नौ दिसंबर 2020 से नौ दिसंबर 2021 के बीच लूट की 40 घटनाएं हुई थीं, जो नौ दिसंबर 2021 से नौ दिसंबर 2022 (अगले एक साल में) के बीच 69 हो गईं। यानी लूट की घटनाएं 72 प्रतिशत बढ़ीं। इसी अवधि में हत्या के मामले आठ प्रतिशत बढ़ गए। अपहरण की घटनाएं 411 से बढ़कर 537 हुईं। यानी 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। पुलिस आयुक्त व्यवस्था वाले दोनों शहरों में बालिकाओं की गुमशुदगी के मामले भी बढ़े हैं। इंदौर में वर्ष 2022 में 545 और 2023 में 575 प्रकरण कायम किए गए।
अब हम आपको बताते हैं कि ऐसे क्या कारण रहे जिसके चलते पुलिस कमिश्नर व्यवस्था लागू होने के बावजूद भी महिलों के विरुद्ध अपराधों में बढ़ोतरी हुई है क्योंकि कई थाना क्षेत्रों में इससे बड़ा कारण है कि भोपाल पिछले कुछ समय से नशे की राजधानी बना हुआ है। नशे के बड़े बड़े कोरोबार पकड़े गये हैं जो साहब बताते हैं कि नशे की लत के चलते ही अपराध बड़ रहा है। और इस नशे के व्यापार पर अंकुश लगाने में पुलिस कमिश्नरेट व्यवस्था पूरी तरह फेल साबित हुई है।