ग्वालियर, मध्य प्रदेश: लगातार बढ़ते हुए डिजिटल मामलों को रोकने के लिए गृह। मंत्रालय की मुहिम पर आजकल आप जब भी कहीं फ़ोन लगाते हैं तो आपको डिजिटल अरेस्ट से सावधान रहने की चेतावनी दी जाती है। और इस चेतावनी के बाद ऐसी उम्मीद की जा रही थी कि अब संभवतः डिजिटल अरेस्ट के मामले खत्म हो जाएंगे लेकिन ग्वालियर मध्यप्रदेश से डिजिटल अरेस्ट? का एक ऐसा मामला अब सामने आया है जो अब तक का सबसे हैरान करने वाला मामला है क्योंकि इस डिजिटल अरेस्ट? में अरेस्ट होने वाला व्यक्ति एक पढ़ा लिखा शिक्षित। सब इंस्पेक्टर रैंक का व्यक्ति है और इसे। साइबर ठगों ने कुछ घंटों के लिए नहीं बल्कि पूरे बत्तीस।दिन तक डिजिटल अरेस्ट करके रखा और उसको इतना दबाव बना दिया कि उसने अपनी जमीन मकान बेच इनसाइवर ठगों की। हर मांग पूरी की। भारतीय कानून में डिजिटल अरेस्ट जैसा कोई प्रावधान नहीं है इसके बावजूद कई लोग इनसाइबर ठगों के जाल। में फंस रहे हैं। ऐसा ही यह मामला जब उजागर हुआ तो। इसमें कई हैरान करने वाली बातें सामने निकलकर आई।
शहर में अब तक डिजिटल अरेस्ट का सबसे बड़ा मामला सामने आया है। बीएसएफ टेकनपुर में पदस्थ इंस्पेक्टर के साथ ठग ने डिजिटल अरेस्ट कर 71 लाख रुपए ठगे हैं। इतना ही नहीं ठगो ने मनिलॉटरिंग का डर दिखाकर इंस्पेक्टर को एक महीने तक डिजिटल अरेस्ट कर रखा था। इस दौरान इंस्पेक्टर ने प्रॉपर्टी बेचकर ठगो को रकम सौपी थी। ठगी का एहसास और बेटे की कहने पर इंस्पेक्टर ने पुलिस अधीक्षक से शिकायत की। वही उसकी शिकायत पर साइबर क्राइम पुलिस ने अज्ञात ठगो के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
दरअसल ग्वालियर के टेकनपुर बीएसएफ में पदस्थ इंस्पेक्टर अवसार अहमद ने पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचकर एसएसपी धर्मवीर सिंह यादव से मुलाकात कर अपनी आपबीती सुनाई। उन्होंने बताया कि लगभग एक माह पूर्व उनके पास फोन कॉल आया था जिसमें उनके मोबाइल का इस्तेमाल कर मनीलॉन्ड्रिंग की बात बोलकर डराया धमकाया था। वॉट्सएप पर वीडियो कॉल कर बात कर रहे ठग द्वारा पुलिस अधिकारी बनकर बताया गया था कि आपका फोन टेप हो रहा है अगर किसी को इस बारे में बताया तो आपके बच्चों ओर परिवार के लोगों को अरेस्ट कर लिया जाएगा। बीएसएफ के अधिकारी यहां अकेले रहते हैं इसलिए वहां डर गए और फोन करने वालों की बात मानते चले गए।
इस दौरान तकरीबन 34 ट्रांजेक्शन में 71 लाख रुपए वहां वीडियो कॉल करने वाले ठगो को थमा चुके थे। इंस्पेक्टर ने यहां रकम दिल्ली में स्थित फ्लैट और अपनी जमीन बेचकर के साथ साथ बैंक में सेविंग की गई रकम इकट्ठा कर दी थी। वहां इतना सहम चुके थे कि लगातार एक महीने से ठगों के संपर्क में आने के बाद उनके कहे मुताबिक पैसे देते चले गए। इतना ही नहीं जब उन्होंने डिजिटल अरेस्ट का विरोध किया तो उन्होंने यहां कहकर डरा दिया कि उनके द्वारा ही ये सारे जागरूकता अभियान चलाए जा रहे है। जब इस बात का पता अधिकारी के बेटे को चला तो इंस्पेक्टर को ठरकी का एहसास हुआ और उन्होंने बेटे की समझाइश के बाद अपने बेटे के साथ पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचे। फिलहाल पुलिस अधीक्षक ने बीएसएफ इंस्पेक्टर की बात को सुनने के बाद तत्काल साइबर क्राइम अधिकारी को बुलाकर अज्ञात ठगो के खिलाफ मामला दर्ज करने का निर्देश दिया है। साइबर क्राइम पुलिस ने मामला दर्ज करने के बाद अज्ञात आरोपियों की तलाश शुरू कर दी है।
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