एक महिला के पति और उसके ससुराल वालों ने इस महिला पर क्रूरता की सारी हदें पार कर दी। पहले तो महिला को जहर देकर मारने का प्रयास किया और जब जहर से भी महिला नहीं मरी तो फिर साड़ी से उसके गले में फांसी का फंदा बनाकर उसे फांसी दे दी और कुछ समय से यह महिला अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ रही है। इस महिला पर इतना जुल्म क्यों किया गया? क्या था इसका अपराध इस महिला का अपराध था। एक बिटिया को जन्म देना जी हाँ आज भी हमारे समाज में बिटिया को जन्म देना एक अपराध है और अपराध के लिए एक माँ को इस क्रूरता की हद तक सजा दी जाती है।
हालिया मामला मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले के हजीरा थाना क्षेत्र के अंतर्गत न्यू कांच मिल में रहने वाले एक परिवार का है। जिसमें बहू पिंकी शर्मा की 2020 में राहुल शर्मा से शादी हुई थी। शादी के बाद की ने बेटी को जन्म दिया और इस बिटिया की जन्म के बाद ही। राहुल शर्मा सास सरला शर्मा रीना शर्मा अपनी बहू को परेशान करने लगे बात बात पर पिंकी को ताने मारे जाते थे। है। उसने बेटी को जन्म दिया है और पिंकी को तमाम तरह की प्रताड़ना का सामना करना पड़ता था। कई बार पिंकी को बिना खाना खाए रहना पडता था। रोज उसको क्रूरता सहन करनी पड़ती थी और पिंकी का बेटी जन्म देना ससुराल को इतना नागवार गुजरा की सारी हदें पार करते हुए फिर पिंकी को जहर खिला दिया। जब ज़हर खाने के बाद भी पिंकी नहीं मरी है तो साड़ी से उसको फांसी लगा दी।इसके बाद भी पिंकी नहीं मरी। तो सारे ससुराल वाले उसे छोड़कर भाग गए। पुलिस को जब इसकी सूचना मिली तो पुलिस ने पिंकी को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया। अभी भी तीन दिन से पिंकी अचेत है और ससुराल वाले फरार हैं हालांकि पुलिस ने ससुराल पक्ष पति राहुल शर्मा सास चलरा शर्मा और आनंद रीना शर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है।
इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खडा कर दिया है ही है हमारे समाज में है। आज भी बेटी को जन्म देना एक अपराध से कम नहीं है। है। आज भी तमाम ऐसे परिवार हैं जो बेटी को जन्म देने में माँ का दोष मानते हैं जबकि साइन्स साफ कहता है के पुरुष के शुक्राणों में में उपलब्ध डी एन ए ही यह निर्धारित करता है की जन्म लेने के लिए वाला बेटा होगा या बेटी। आज बेटी हर के में सफलता हासिल कर रही है। इसके बाद भी में हमारे समाज के तमाम शिक्षित परिवार भी है। इस तरह की की उसी परंपरा ने विश्वास रखते हुए बेटी को को जन्म देना माँ का ही अपराध मानते हैं। इस घटना ने सरकार के उस अभियान पर भी सवाल खड़ा किया है जिसमें सरकार तमाम दावे करती है कि उन्होंने बेटी के जन्म पर बहुत सारी सुविधाएं और जागरूकता का प्रयास किया है लेकिन ऐसी घटना करो यह साबित करती है की सरकार के सभी दावे और प्रयास शून्य है।