नई दिल्ली: बजट दो हजार पच्चीस से जुड़ी एक बड़ी खबर निकलकर आ रही है। सूत्रों के अनुसार नया आयकर कानून संसद के बजट सत्र में पेश किया जाएगा। यह एक नया कानून होगा, न कि मौजूदा अधिनियम में संशोधन। बजट सत्र 31 जनवरी से 4 अप्रैल तक चलेगा। पहला भाग (31 जनवरी-13 फरवरी) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के लोकसभा और राज्य सभा के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करने के साथ शुरू होगा। नए आयकर कानून के संसद में पेश होने से जुड़ी अब तक क्या जानकारी सामने आई है।
आपको बता दें कि हर साल जब बजट का समय आता है तो आम लोगों को इंतजार रहता है कि बजट में कुछ ऐसे प्रावधान होंगे जिससे कुछ न कुछ राहत उनको मिलेगी। सरकार कुछ ऐसे प्रयास करेगी जिनसे महंगाई पर लगाम लगेगी। साथ ही जो लोग व्यापारी यह नौकरी पेशा हैं और आयकर देते हैं। उनके लिए। सबसे बड़ी अपेक्षा यही रहती है। कि क्या आयकर में छूट का दायरा बढ़ाया जाएगा वह जो आय प्राप्त कर रहे हैं उससे जो आये कर देते हैं उसमें क्या उनको और कुछ लाभ मिलने की वाला है। आयकर देने वाले लोग हर बजट में सबसे ज्यादा उम्मीद। इसी बात की लगाते हैं।
आयकर अधिनियम, 1961 की व्यापक समीक्षा के लिए सीतारमण द्वारा बजट घोषणा के अनुसरण में, सीबीडीटी ने समीक्षा की देखरेख करने और अधिनियम को संक्षिप्त, स्पष्ट और समझने में आसान बनाने के लिए एक आंतरिक समिति का गठन किया था, जिससे विवाद, मुकदमेबाजी कम होगी और करदाताओं को अधिक कर निश्चितता मिलेगी। इसके अलावा, अधिनियम के विभिन्न पहलुओं की समीक्षा के लिए 22 विशेष उप-समितियां स्थापित की गईं। चार श्रेणियों में जनता से सुझाव और सूचनाएं आमंत्रित की गईं हैं। ये श्रेणी हैं- भाषा का सरलीकरण, मुकदमेबाजी में कमी, अनुपालन में कमी, और अनावश्यक/अप्रचलित प्रावधान।
सरकार संसद के आगामी बजट सत्र में एक नया आयकर विधेयक पेश कर सकती है, जिसका उद्देश्य मौजूदा आईटी कानून को सरल बनाना, इसे समझने योग्य बनाना और पृष्ठों की संख्या लगभग 60 प्रतिशत कम करना है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जुलाई के बजट में छह महीने के भीतर छह दशक पुराने आयकर अधिनियम, 1961 की व्यापक समीक्षा की घोषणा की थी। सूत्र के अनुसार, “नया आयकर कानून संसद के बजट सत्र में पेश किया जाएगा। यह एक नया कानून होगा, न कि मौजूदा अधिनियम में संशोधन। फिलहाल, कानून के मसौदे पर विधि मंत्रालय विचार कर रहा है और बजट सत्र के दूसरे हिस्से में इसे संसद में पेश किए जाने की संभावना है।”
सीतारमण ने जुलाई, 2024 के अपने बजट भाषण में कहा था कि समीक्षा का उद्देश्य अधिनियम को संक्षिप्त, सुस्पष्ट, पढ़ने और समझने में आसान बनाना है। इससे विवाद और मुकदमेबाजी कम होगी, जिससे करदाताओं को कर निश्चितता मिलेगी। इससे मुकदमेबाजी में उलझी मांग में भी कमी आएगी। उन्होंने कहा कि इसे छह महीने में पूरा करने का प्रस्ताव है।