नई दिल्ली: अगर आप या आपके बच्चे मैगी खाते हैं तो सावधान हो जाएं और मैगी खाते वक्त थोड़ा सा। ध्यान दे दें आप जुम्मैगी खा रहे हैं।इसको बनाने के लिए आपने पति में डाला है, कहीं उसमें जिंदा कीड़े तो नहीं हैं। हम यह इसलिए कह रहे हैं क्योंकि अभी एक ताजा ऐसा मामला आया है जिसमें मैगी में कीड़े मिले और इसके बाद जब कंपनी ने भी ऐसे पीड़ित ग्राहक की सुनवाई नहीं की तो उसे न्यायालय की शरण में जाना पड़ा और न्यायालय से उसे न्याय तो मिला ही साथ ही मैगी की निर्माता नेस्ले कंपनी पर भारी जुर्माना भी लगाया गया।
नेस्ले कंपनी को खराब मैगी देने के एवज में शिकायतकर्ता को 50 हजार रुपये जुर्माना देना होगा। वहीं नेस्ले को शिकायतकर्ता को 10 हजार रुपये मुकदमा राशि व 50 हजार रुपये उपभोक्ता आयोग के विधिक सहायता फंड में भी जमा करवाने होंगे। यह निर्णय उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष हेमांशु मिश्रा, सदस्य आरती सूद व नारायण ठाकुर की खंडपीठ ने सुनाया है। उपभोक्ता आयोग में शिकायतकर्ता पीयूष अवस्थी निवासी थंडोल तहसील पालमपुर ने बताया था कि उसके पिता एयरफोर्स से सेवानिवृत्त हैं।
पीयूस अवस्थी ने 9 जुलाई, 2023 को होल्टा स्थित सेना की सीएसडी कैंटीन से छह पैकेट मैगी के खरीदे थे। जब उनमें से एक पैकेट को खोलकर मैगी बनाने लगे तो उसमें जिंदा कीड़े पाए गए। ज्यादातर मामलों में ऐसा देखा गया है कि मैगी बनाते समय लोग पैकेट खोलकर बिना जांचे परखे। तुरंत उसे पतीले में खोलते पानी। में डाल देते हैं। और उन्हें बाद में यह पता ही नहीं चलता कि मैगी में कोई ऐसी चीज तो नहीं है जो उन्हें नुकसान पहुंचा सके। पीयूष अवस्थी भी उसी तरह से मैगी बना रहे थे वह तो उनकी निगाह मैगी पर पड़ गई जिसमें उन्हें कीड़े दिखाई दे गए।
शिकायतकर्ता ने मैगी में कीड़े निकलने की शिकायत मेल के माध्यम से नेस्ले कंपनी के अधिकारियों से की। इसके बाद उन्हें आश्वस्त किया गया कि वह इस विषय पर जांच समिति बनाएंगे और उचित कार्रवाई कर उन्हें दोबारा से मैगी भी देंगे। शिकायतकर्ता के अनुसार दो महीने का समय बीतने पर भी जब कंपनी ने कोई कार्रवाई नहीं की तो उन्होंने उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज करवाई। शिकायत में पाया गया कि कीड़े युक्त मैगी दी गई थी। सभी पक्षों को सुनने के बाद उपभोक्ता आयोग ने यह निर्णय सुनाया है।
आपको बता दें कि ज्यादातर पैक्ड फूड मैं प्रिजर्वेटिव्स मिलाए जाते हैं जिससे उनमें कीड़े न पड़े लेकिन प्रिज़र्वेटिव्स भी अपने आपमें नुकसानदायक होते हैं जो खाने वालों के किडनी लीवर पर बुरा प्रभाव डालते हैं। मैगी का यह कोई पहला विवाद नहीं है इससे पहले भी नेस्ले द्वारा बनाई जा रही मैगी। में बड़ी मात्रा में ऐसे केमिकल पाए गए थे जिसकी वजह से पूरे देश में मैगी की चर्चा हुई थी। जिस तरह से पालमपुर में मैगी में कीड़े निकलने की पुष्टि और कंपनी पर जुर्माना लगने की घटना सामने आई है। वह साफ बता रही है कि कहीं न कहीं मानकों को ताक पर रखकर नेस्ले कंपनी मैगी का निर्माण कर रही है और यह मैगी ग्राहकों के लिए नुकसानदायक है।