इंदौर मध्यप्रदेश: इंदौर से दुष्कर्म का चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां परिवार वालों की गैरमौजूदगी में चार साल की एक बच्ची के साथ दो नाबालिगों ने उसके ही घर में ही दुष्कर्म करने का प्रयास किया। घटना के बाद जब बच्ची ने रोना नहीं बंद किया तो परिजन उसे लेकर थाने गए। थाने पहुंचने पर बच्ची का मेडिकल कराया गया। नाबालिग या छोटी उम्र की बच्ची के साथ दुष्कर्म का यह कोई पहला मामला नहीं है लेकिन इस मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह है। दोनों आरोपी भी नाबालिग और बहुत कम उम्र के हैं। बच्ची के मेडिकल के बाद पूरे मामले का खुलासा हुआ. इसके बाद पुलिस ने दोनों आरोपियों को 4 घंटे की मशक्कत के बाद हिरासत में ले लिया। हिरासत में लिए गए युवकों में एक की उम्र 17 साल व दूसरे की उम्र 10 साल है।
इस पूरे मामले में पुलिस ने बताया है कि घटना के दिन पति-पत्नी दोनों ही काम पर बाहर गए हुए थे। बच्चे घर पर अकेले थे। इसी दौरान पड़ोस में रहने वाले दो नाबालिग लड़कों ने बच्ची के साथ दुष्कर्म करने की कोशिश की. इससे उसे चोट भी आई और वह रोने लगी। जब उसका रोना बंद नहीं हुआ, तो आरोपियों के माता-पिता और एक अन्य पड़ोसी ने बच्ची के माता-पिता को फोन करके बताया कि वह लगातार रो रही है। शाम को जब बच्ची के परिजन काम से वापस आए, तो उसे हमारे पास थाने लेकर आए. हमने तुरंत उसकी मेडिकल जांच कराई और उसके इलाज की भी व्यवस्था की।
पुलिस कहना है कि, ” मामले की जांच से पता चला कि पड़ोस में रहने वाले दो नाबालिग लड़कों द्वारा उसके साथ दुष्कर्म करने की कोशिश की गई. उनमें से एक की उम्र 17 साल और दूसरे की 10 साल है. दोनों पड़ोसी हैं. एक मूल रूप से धार का रहने वाला है और यहां अपने नाना-नानी के साथ रहता है. जैसे ही घटना हमारे संज्ञान में आई हमने आरोपियों की तलाश में दो टीमें बनाईं. करीब चार घंटे की कोशिश के बाद हमने दोनों को हिरासत में ले लिया. उन्हें किशोर न्यायालय में पेश किया गया। पुलिस ने बाल अपचारियों के परिजनों को एक नोटिस भेजकर उन्हें आगाह किया है कि अगर इतनी छोटी उम्र में बच्चों की इस तरह की मानसिकता है, तो ऐसे बच्चों को मनोवैज्ञानिक या मनोचिकित्सक की जरूरत है, ताकि उनकी काउंसलिंग हो सके।”
यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि हमारा समाज किस दिशा में जा रहा है। हम आज अपने बच्चों को किस तरह के संस्कार दे रहे हैं। जो घटना इस 4 साल की मासूम के साथ हुई वह निंदनीय तो है। लेकिन साथ में जब आरोपी भी 10 साल का बच्चा हो तो यह सवाल खड़ा होता है कि आरोपी में इस तरह का बोध या भावना कैसे उत्पन्न हुई, क्या कहीं-न-कहीं हमारे सामने में इस तरह की विकृति फैलती जा रही है और हम आने वाली पीढ़ी को सही संस्कार नहीं दे पाए रहे हैं जिसके चलते आजकल ये घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। आइए इस सवाल का जवाब ढूँढ़ने का प्रयास करते हैं।
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