एक लड़का जब 1954 में पंजाब विश्वविद्यालय से इकॉनोमिक्स में मास्टर्स करने के लिए पहुंचा था तब किसी को नहीं पता था कि एक दिन वह न केवल देश का बेहतरीन अस्त शास्त्री बनेगा बल्कि देश का प्रधानमंत्री बनकर देश की अर्थव्यवस्था के नए अध्याय भी लिखेगा। मन मोहन का नाम तो बहुत साधारण था पर व्यक्तित्व बहुत बड़ा था। एक साधारण नाम जिसको देश ने दस सालों तक प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के रूप में सिर आंखों पर बिठाए रखा। डॉ. मनमोहन सिंह ने शिक्षा और राष्ट्रीय सेवा के क्षेत्र में ऐसी मिसाल कायम की है जो देशवासियों के लिए गर्व का विषय है। डॉ॰ मनमोहन सिंह भारतीय राजनीतिज्ञों के लिए तो एक उदाहरण हैं ही कि किस तरीके से आप अपनी सरलता, सहजता और योग्यता के बल पर देश के विकास में अनुकरणीय योगदान दे सकते हैं। साथ ही वह उन युवाओं के लिए भी एक सफलता का उदाहरण है, जो आज अपनी शिक्षा की शुरुआत कर रहे हैं और उनके मन में भी कई सपने हैं।देश के लिए और समाज के लिए कुछ न कुछ करने के लिए। आज पूर्व प्रधानमंत्री डॉ॰ मनमोहन सिंह हमारे बीच नहीं रहे लेकिन उनका जीवन एक संस्थान के रूप में हमें सदैव प्रेरित करता रहेगा।
भारतीय गणराज्य के तेरहवें प्रधानमंत्री, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के 15वे गवर्नर मनमोहन सिंह का वीरवार की शाम को दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया। पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितम्बर 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब प्रान्त के एक गाह गांव में हुआ था। डॉ. मनमोहन सिंह ने वर्ष 1948 में पंजाब विश्वविद्यालय से मेट्रिक की शिक्षा पूरी की थी। वहीं विभाजन के दौरान उनका परिवार भारत पलायन करके अमृतसर में बस गया था. उसके बाद उन्होंने अपनी आगे की शिक्षा ब्रिटेन के कैंब्रिज विश्वविद्यालय से पूरी की थी। वहीं साल 1957 में उन्होंने अर्थशास्त्र में प्रथम श्रेणी से ऑनर्स की डिग्री पाई थी। इसके बाद 1962 में उन्होंने ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय के नूफिल्ड कॉलेज से अर्थशास्त्र में डी.फिल किया था। मनमोहन सिंह साल वर्ष 1954 में लाहौर में स्थित पंजाब यूनिवर्सिटी के अर्थशास्त्र विभाग में मास्टर्स करने के लिए पहुंचे थे। पहले पंजाब यूनिवर्सिटी में छात्र रहे। इसके बाद 1957 में लेक्चरर बन गए।
1962: डी.फिल., नफील्ड कॉलेज, यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड। थीसिस – भारत के निर्यात रुझान और आत्मनिर्भर विकास की संभावनाएं।
1957: कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से इकोनॉमिक्स ट्राइपॉस (फर्स्ट क्लास ऑनर्स)।
1954: पंजाब यूनिवर्सिटी से एम.ए. (इकोनॉमिक्स) में प्रथम श्रेणी और विश्वविद्यालय में प्रथम स्थान।
1952: बी.ए. (ऑनर्स) इकोनॉमिक्स, पंजाब यूनिवर्सिटी में द्वितीय श्रेणी लेकिन प्रथम स्थान।।
1950: इंटरमीडिएट, पंजाब यूनिवर्सिटी में प्रथम श्रेणी और प्रथम स्थान।
1948: मैट्रिकुलेशन, पंजाब यूनिवर्सिटी में प्रथम श्रेणी।
1987: भारत सरकार द्वारा पद्म विभूषण।
1997: लोकमान्य तिलक अवार्ड और निक्केई एशिया प्राइज फॉर रीजनल ग्रोथ।
1993 और 1994: एशियामनी और यूरोमनी द्वारा फाइनेंस मिनिस्टर ऑफ द ईयर का पुरस्कार।
1994: ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स द्वारा डिस्टिंग्विश्ड फैलो।
1956: कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय का एडम स्मिथ प्राइज।
1954: पंजाब यूनिवर्सिटी का उत्तर चंद कपूर मेडल।
2018: मनमोहन सिंह एक बार फिर बतौर काँग्रेस सांसद राज्य सभा पहुँचे।
2013 : मनमोहन सिंह को पांचवीं बार राज्यसभा के लिए चुना गया।
2007 : उन्हें चौथे कार्यकाल के लिए राज्यसभा के लिए फिर से चुना गया।
2004 : 2004 में यूपीए ने लोकसभा में पूर्ण बहुमत हासिल किया, जिसके बाद कांग्रेस संसदीय दल ने मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री चुना। 2004 से 2014 तक उन्होंने बतौर पीएम दो कार्यकाल पूरे किये।
2001 : उन्हें तीसरे कार्यकाल के लिए राज्यसभा के लिए फिर से चुना गया।
1999 : वे 13 वां लोकसभा चुनाव दक्षिण दिल्ली से भाजपा के विजय कुमार मल्होत्रा से हार गए।
1998 : सदस्य, वित्त संबंधी समिति।
1998 : नेता प्रतिपक्ष, राज्यसभा।
1996 : सदस्य, वित्त मंत्रालय की सलाहकार समिति।
1995 : उन्हें दूसरे कार्यकाल के लिए राज्यसभा के लिए फिर से चुना गया।
1991 : अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स और पुनर्निर्माण और विकास के लिए अंतर्राष्ट्रीय बैंक के लिए भारत के राज्यपाल।
1991 : केंद्रीय वित्त मंत्री और बाद में राज्यसभा के लिए चुने गए।
1990 : आर्थिक मामलों पर भारत के प्रधान मंत्री के सलाहकार।
1987 : महासचिव और आयुक्त, दक्षिण आयोग, जिनेवा।
1985 : उपाध्यक्ष, योजना आयोग।
1985 : अध्यक्ष, भारतीय आर्थिक संघ।
1983 : सदस्य, प्रधान मंत्री को आर्थिक सलाहकार परिषद।
1982 : भारत के लिए वैकल्पिक गवर्नर, बोर्ड ऑफ गवर्नर्स, आईएमएफ।
1982 : गवर्नर, भारतीय रिजर्व बैंक।
1980 : अध्यक्ष, भारत-जापान संयुक्त अध्ययन समिति की भारत समिति।
1980 : सदस्य-सचिव, योजना आयोग।
1976 : सचिव, वित्त मंत्रालय (आर्थिक मामलों का विभाग), भारत सरकार। सदस्य, वित्त, परमाणु ऊर्जा आयोग।
1972 : मुख्य आर्थिक सलाहकार, वित्त मंत्रालय, भारत।
1971 : आर्थिक सलाहकार, विदेश व्यापार मंत्रालय, भारत।
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ॰ मनमोहन सिंह कहा पंजाब यूनिवर्सिटी से हमेशा गहरा नाता रहा वे यहां छात्र, प्रवक्ता और प्रोफेसर रहे। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर से लेकर प्रधानमंत्री तक की जिम्मेदारी निभाने के बाद, डॉ. सिंह का फिर से पीयू लौटना न केवल विश्वविद्यालय के लिए गौरव की बात रही थी। बल्कि छात्रों के लिए प्रेरणा थी। डॉ. मनमोहन सिंह ने अपने करियर की शुरुआत 1957 में पंजाब यूनिवर्सिटी में प्रवक्ता के रूप में की। 1963 में वे वहीं प्रोफेसर बने। इसके बाद भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर, भारत सरकार में वित्त मंत्री और अंततः दो बार भारत के प्रधानमंत्री के रूप में अपनी सेवाएं दीं।
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने निजी पुस्तकालय से पंजाब यूनिवर्सिटी को 3,500 किताबें दान में दी थी। इसके साथ ही, विश्वविद्यालय ने उन्हें प्रतिष्ठित जवाहर लाल नेहरू चेयर की जिम्मेदारी सौंपी है, जिसे वे सहर्ष स्वीकार कर चुके थे।
डॉ. सिंह ने यूनिवर्सिटी की ऑनरेरी प्रोफेसरशिप 2015 में स्वीकार की थी। कुछ लोगों के विरोध के कारण उन्होंने इसे पार्लियामेंट्री कमेटी के पास भी भेजा। पार्लियामेंट्री कमेटी ने क्लियर किया कि यह आर्थिक लाभ के दायरे में नहीं आती। प्रो. रंगनेकर पहले होशियारपुर में डॉ. सिंह के टीचर थे और बाद में साथ में काम किया।शहर के सेक्टर 11 में स्थित मनमोहन सिंह के घर की कीमत 4.92 करोड़ रुपए है। उन्होंने अपनी संपति के ब्यौरे में उसका जिक्र किया था। प्रधानमंत्री ने यह घर 1987 में 8.62 लाख रुपए में खरीदा था। मार्च 2013 तक प्रधानमंत्री की संपत्ति के ब्यौरे में यह बात सामने आई।
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