बांग्लादेश तीन तरफ से भारत से घिरा हुआ है और इस वजह से इसे ‘इंडिया लॉक्ड’ देश कहा जाता है। व्यापार के लिहाज से भारत बांग्लादेश के लिए बेहद अहम है। फरवरी 2024 के विदेश मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, भारत एशिया में बांग्लादेश का सबसे बड़ा निर्यात बाजार है. वित्त वर्ष 2022-23 में भारत को बांग्लादेश का निर्यात लगभग 2 अरब डॉलर का रहा था. वित्त वर्ष 2022-23 में कुल द्विपक्षीय व्यापार 15.9 अरब डॉलर का रहा। इसी साल अगस्त में शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद से द्विपक्षीय व्यापार पर असर पड़ा है. बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यक कट्टरपंथियों के निशाने पर हैं जिसे लेकर भारत बार-बार आपत्ति जताता रहा है। हाल ही में बांग्लादेश इस्कॉन से जुड़े हिंदू पुजारी चिन्मय कृष्ण दास को देशद्रोह के मामले में गिरफ्तार कर लिया गया था। भारत ने इसे लेकर चिंता जताई थी जिसके बाद से दोनों देशों में तनातनी बढ़ी है।
जब ये को कॉल बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार हो रहे हैं पूरे भारत में हिंदू समाज में आक्रोश व्याप्त है। कई जगह पर यह आक्रोश सड़कों पर भी दिखाई दे रहा है। अभी हाल ही में मध्य प्रदेश के सभी मुख्य शहरों भोपाल इंदौर जबलपुर ग्वालियर में हिंदू समाज ने सड़क पर उतर कर बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार का पुरज़ोर विरोध किया। बांग्लादेश के विरोध मे जमकर नारेबाजी हुई। लेकिन सवाल यह उठता है कि हिन्दुस्तान की धरती पर हो रहे बांग्लादेश के इस विरोध का बांग्लादेश पर कोई प्रभाव पड़ा कि नहीं। क्योंकि बांग्लादेश में जब से तख्ता पलट के बाद हालात बदतर हुए हैं और हिंदुओं पर अत्याचार बड़े हैं तब से ही हिन्दुस्तान में लगातार बांग्लादेश के विरोध में धरना प्रदर्शन जारी है। हिन्दुस्तान की धरती पर जिस तरह से बांग्लादेश के विरोध में आवाज उठाई जा रही है उससे बांग्लादेश को तनिक भी असर नहीं हो रहा है। तो फिर ऐसा क्या किया जा सकता है क्योंकि बांग्लादेश की कमर टूट जाए और बांग्लादेश घुटने टेकने पर मजबूत हो जाए। कई बार बांग्लादेश के विरोध में सड़क पर उतरे प्रदर्शनकारियों के मन में यह विचार जरूर आता होगा। बांग्लादेश को झुकाने का जो उपाय है आइए उस पर चिंतन करते हैं।
पहले पेराग्राफ में भारत बांग्लादेश के बीच व्यापारिक संबंधों के बारे में जो। जानकारी दी गई है। उसकी वजह यही है कि हम अपने पाठकों को बताना चाहते हैं कि बांग्लादेश किस तरीके से अपने व्यापार के लिए भारत पर निर्भर है। और बांग्लादेश का ज्यादातर निर्यात भारत में ही होता है। मतलब साफ है कि बांग्लादेश से सामान भारत खरीदता है जिसके चलते बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था चलती है। इन आंकड़ों के चलते यह साफ है कि बांग्लादेश को उसके घुटनों केवल ले आना भारत सरकार के बाएं हाथ का काम है जिस दिन बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी जाएगी। बांग्लादेश स्वयं ही झुकने पर मजबूर हो जाएगा और वहां पर हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार और हिंसा पर लगाम लग जाएगी।
लेकिन अब सवाल यह उठता है इतने लंबे समय से बांग्लादेश में हालात बिगड़े हुए हैं। हिंदुओं पर अत्याचार हो रहे हैं। इसके बावजूद भारत में केंद्र में सत्तासीन हिंदूवादी सरकार और माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यह निर्णय क्यों नहीं ले रहे कि बांग्लादेश से आर्थिक संबंधों को पूरी तरह खत्म कर दिया जाए। और यहां पर यह सवाल भी उठता है की जो प्रदर्शनकारी बांग्लादेश में हो हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के विरोध में सडकों पर है वह केंद्र सराकार से यह मांग क्यों नहीं कर रहे कि बांग्लादेश के साथ आर्थिक संबंध पूरी तरह तोड़ दिए जाएं। भारत में सड़क पर उतरे हर हिन्दू को बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार को रोकने के लिए अपनी केंद्र सरकार पर यह दबाव डालना चाहिए कि वह बांग्लादेश के साथ आर्थिक संबंध पूरी तरह खतम कर दें ।