ग्वालियर रेलवे स्टेशन पर 11 दिन में हुआ दूसरा हादसा, मजदूर की मौत के बाद भी निर्माण कंपनी ने नहीं लिया सबक।
रेलवे स्टेशन पर चल रहे रहे जीर्णोद्धार कार्य के दौरान एक बार फिर आई लापरवाही सामने, प्लेटफॉर्म नंबर एक की छत से गिरा ऑपरेटर।
प्लेटफार्म एक की छत पर कटिंग कर रहे ऑपरेटर त्रिलोकी नाथ हुआ हादसे में घायल।
आनन-फानन में घायल त्रिलोकी को JH के ट्रॉमा सेंटर में कराया भर्ती, रीड की हड्डी टूटी, हाथ पैरों और सिर में आई चोट, इलाज जारी…
29 अक्टूबर को भी निर्माण कार्य के दौरान मजदूर छोटू जाटव की गिरने से हुई थी मौत, शरीर में घुसे थे तीन लोहे के सरिए।
ऊपर दी गई यह पंक्तियां काफी हैं आपको यह बताने के लिए कि ग्वालियर रेलवे स्टेशन का जीर्णोद्धार किस तरह लापरवाही से चल रहा है। वही लापरवाही कारण है बार बार होने वाले हादसों का। ग्वालियर रेलवे स्टेशन का जीर्णोद्धार ₹500 करोड की लागत से हो रहा है। जिसमें एक अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त रेलवे स्टेशन बनाया जा रहा है। लेकिन जिस कंपनी को यह निर्माण का ठेका दिया गया है। उसने सुरक्षा के मानकों को ताक पर रखा हुआ है। यहाँ कार्य कर रहे मजदूरों को सुरक्षा उपकरण उपलब्ध नहीं कराए गए हैं। और लापरवाही का आलम यह है। यहां छोटी बड़ी घटनाएँ आए दिन होती रहती है।
कुछ दिनों पूर्व ही ऊपरी मंजिल पर गेट लगा रहे मजदूर के नीचे गिरने की घटना हुई थी जिसमें मज़दूर के शरीर में तीन चलिए घुस गए थे। डॉक्टरों ने बड़ी सावधानी से ऑपरेशन तो किया था लेकिन इसके बावजूद इस मरीज को नहीं बचाया जा सका था। इतनी गंभीर घटना के बाद भी यहाँ जीर्णोद्धार का काम कर रही केपीसी प्राइवेट लिमिटेड काम में लापरवाही बरत रही है। जिसके चलते लगातार हादसे हो रहे हैं और यहां काम कर रहे मजदूर काल के गाल में समा रहे हैं। हैदराबाद की केपीसी प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड को 462.79 करोड़ में ग्वालियर रेलवे स्टेशन के जीर्णोद्धार का। ठेका दिया है। टेंडर राशि से 21.83 करोड़ अधिक में ठेका उठा है। कंपनी ने यहां पर जीर्णोद्धार का काम 2023। ने शुरू किया था। टेंडर आलोट होने के बाद 24 महीने में कंपनी को काम खत्म करना है। शायद यह समय सीमा ही है जिसके चलते यहां जल्दबाजी में काम हो रहा है और मजदूरों पर काम करने का इस कंपनी का इतना दबाव है कि इस जल्दबाजी के चलते ही यह हादसे हो रहे हैं।
ग्वालियर रेलवे स्टेशन के जीर्णोद्धार के दौरान हो रही लगातार इस तरह की घटनाओं ने कई तरह के सवाल खड़े किए हैं। क्या पीसी प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड सुरक्षा नियमों को ताक पर रखकर यहां निर्माण कार्य करा रही है? क्या रेलवे द्वारा इस कंपनी के कार्यों की प्रॉपर मॉनिटरिंग नहीं हो रही है? क्यों लगातार हो रही घटनाओं के बाद भी प्रशासन घटनाओं पर संज्ञान लेकर कंपनी पर कोई ऐक्शन नहीं ले रहा है?
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